लिटरेचर लव
“तुम्हारा स्थान” (कविता)
तुम जान सकती हो
मेरे अन्दर की ज्वाला को,
देख सकती हो
भड़कते हुए अंगारे,
और छू सकती हो
मेरे अन्दर के तूफानों को।
मगर दूसरा वो किनारा,
जहाँ खिल रहे है
प्रेम के छोटे-छोटे फूल,
लिपट रही है
वृक्षों से लताएँ,
जिसकी विशालता पर
जन्म सकती है
नई सृष्टि,
रच सकती है जहाँ
कृष्ण की वे रास-लीलाएं।
क्या कभी देखा है
मेरे ह्रदय के उस स्थान को,
जिसकी तुम राधा हो
और मैं तुम्हारा कृष्ण।