
पुलिस के खून का प्यासा इनामी नक्सली अरविंद यादव हुआ ढेर
मारे गए नक्सलियों के पास से एक एसएलआर , चार इंसास , एक रिवाल्वर सहित अन्य हथियार हुआ बरामद
लालमोहन महाराज, मुंगेर
झारखंड के झुमरा पहाड़ पर सोमवार की सुबह सीआरपीएफ कोबरा व जिला पुलिस बल के द्वारा नक्सलियों के विरुद्ध चलाए गए ऑपरेशन के दौरान हुए मुठभेड़ में मारे गए 8 नक्सलियों में शामिल धरहरा क्षेत्र का पूर्व एरिया कमांडर 10 लाख का इनामी नक्सली अरविंद यादव के मारे जाने के बाद मुंगेर पुलिस ने राहत की सांस ली है. मुंगेर पुलिस के लिए कई दशकों से सिर दर्द बने शीर्ष नक्सली अरविंद का खौफ सिर चढ़कर बोल रहा था. वही इस मुठभेड़ में एक करोड़ का इनामी नक्सली विवेक उर्फ प्रयाग मांझी व साहेब रा म मांझी के भी मारे जाने की सूचना है. वही मारे गए नक्सलियों के पास से एक एसएलआर , चार इंसास , एक रिवाल्वर सहित अन्य हथियार भी बरामद हुआ है.
बता दें कि वर्ष 2010 में धरहरा प्रखंड के सीमावर्ती इलाके कजरा में पुलिस मुठभेड़ में अरविंद यादव ने बीएमपी के सब इंस्पेक्टर लुकस टेटे की हत्या कर इलाके में दहशत फैला दी थी.वहीं वही इस मुठभेड में कवैया थाना के प्रभारी भूलन प्रसाद यादव समेत सात पुलिसकर्मियों को भी मौत के घाट उतारने वाले अरविंद यादव ने सब इंस्पेक्टर अभय प्रसाद यादव,पी एस आई रूपेश कुमार सिंहा व बीएमपी के हवलदार मो एहसान खान को बंधक बनाने के बाद नौवे दिन मुक्त किया था. अरविंद यादव के इस कारनामे से पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल कायम हो गया. धरहरा प्रखंड में अरविंद यादव की समानांतर सरकार चलने लगी थी. अरविंद यादव के खौफ के साए में स्थानीय लोग गुजर बसर करने के लिए मजबूर थे. वहीं पुलिस प्रशासन कुछ भी कर पाने में असमर्थ दिख रही थी .जमुई के चरकापत्थर के रहने वाले इस कुख्यात नक्सली ने वर्ष 2004 में इस इलाके में इंट्री की थी। 5 जनवरी 2005 को जमुई मुंगेर सीमा पर स्थित भीम बांध में मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू सहित छह पुलिसकर्मियों को मारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । 1 जनवरी 2008 में मुंगेर के ऋषि कुंड में 4 सैप जवानों की हत्या कर उनके हथियार को लूटने में हम भूमिका निभाई थी । इस घटना के बाद उसके पांव इस इलाके में जम गए। इसके बाद अरविंद ने जमुई जिले के खैरा क्षेत्र के इंस्पेक्टर कपिल राम सहित सोनो बाजार के निकट पुलिस दल पर हमला कर 6 जवानों को मारने सहित कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया । सूत्रों की मानें तो जे बी जोन के कमांडर रहे अरविंद यादव ने दर्जनों पुलिसकर्मियों को मार उनके हथियार लूट लिए। वर्ष 2010 में मुंगेर में तैनाती के दौरान आईपीएस शिवदीप लांडे को मारने के लिए हवेली खड़गपुर क्षेत्र में कई बार रेकी की थी। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। विगत 19 दिसंबर 2017को नक्सली बंदी के दौरान अपने दस्ते के साथ मसुदन रेलवे स्टेशन पर मारक दस्ते के साथ पहुंचे अरविंद यादव ने ट्रेन को रोक कर उसमें सवार जीआरपी एस्कॉर्ट के जवानों के असलहे को लूटने की फिराक में था। हालांकि विलंब से पहुंची गया जमालपुर ट्रेन के कारण स्टेशन को सिर्फ आग के हवाले करने के बाद एएसएम मुकेश कुमार व पोर्टर नीरेंद्र मंडल को अगवा कर लिया था। बाद में पूर्णत: रेल परिचालन ठप की मांग रेल अधिकारियों के द्वारा पूरा किए जाने के बाद अपहृतों को मुक्त किया था।
संगठन के लोगों को भी अरविंद यादव ने सजा दी थी
श्री यादव ने सिर्फ पुलिस वालों को ही नहीं मारा। संगठन विस्तार में जो भी बाधा बना उसे रास्ते से हटा दिया। वर्ष 2009 में मुंगेर के हवेली खड़गपुर क्षेत्र में झील रोड पर पूर्व एरिया कमांडर विकास दा को मारा था। विकास पर संगठन छोड़ पुलिस की मुखबिरी का आरोप था। इसके बाद नक्सलियों की राह में रोड़ा साबित हो रहे धरहरा प्रखंड के करेली गांव में 2 जुलाई 2011 को खूनी क्रांति दिवस पर मारक दस्ते को लेकर लेकर पहुंचे अरविंद यादव ने अपने सहयोगियों के साथ हमला बोलकर बंगलवा मुखिया सुलो देवी के पति अशोक कोड़ा पर हमला बोल दिया।हलांकि इस हमले में मौत को करीब से देख रहे अशोक कोड़ा सपरिवार बाल बाल बच गए थे .इस घटना में छह ग्रामीण मारे गए थे । जमालपुर, धरहरा, कजरा के एरिया कमांडर बनने के बाद भी अरविंद ने नक्सली रह चुके कजरा थाना क्षेत्र के मुस्तफापुर निवासी गौतम तांती, शिवडीह के सनी राम, मोहलिया के उप मुखिया वीरेंद्र कोड़ा, बरमसिया के लल्लन यादव, अमारी के मुकेश बिंद उर्फ गोपाल, पंकज राम का भांजा गोरे राम की पुलिस मुखबिरी एवं अन्य कई आरोप लगाकर हत्या कर दी थी ।
वही इस संबंध में मुंगेर ए एसपी अभियान कुणाल कुमार ने बताया कि पुलिस हिरासत में लिए गए शीर्ष नक्सली प्रवेश के निशान देही पर यह कार्रवाई हुई है. लगातार पुलिस दबिश के कारण अरविंद यादव को खड़गपुर क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा . उन्होंने कहा कि विगत दिसंबर माह में ही घोड़ा खूड में हुए मुठभेड़ के बाद अरविंद यादव अपने सहयोगियों के साथ झारखंड के झूमर पहाड़ पर शरण लिए हुए था . प्रवेश के निशान देही पर सीआरपीएफ व पुलिस बलों की हुई कार्रवाई में यह सफलता मिली है
अब धरहरा नक्सल फ्री हो गया है.