पहला पन्ना

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ की ओर से मुंबई की कुछ शाखाओं में ‘रविवार’ के स्थान पर ‘शुक्रवार’ के दिन घोषित छुट्टी की गई रद्द 

‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ की कुछ शाखाओं ने मुंबई की दादर एवं गोवंडी की शाखाओं को ‘1 दिसंबर 2022 से रविवार के स्थान पर प्रति शुक्रवार छुट्टी देने का निर्णय लिया था । हिन्दू जनजागृति समिति सहित विभिन्न हिन्दू संगठनों ने एवं जागृत नागरिकों ने इस निर्णय का विरोध किया था । इसके संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति के शिष्टमंडल ने गोवंडी शाखा, दादर शाखा एवं नरिमन पॉईंट की मुख्य शाखा में ज्ञापन प्रस्तुत कर यह निर्णय रद्द करने की मांग की थी । अंततः आज ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से बैंक ने यह निर्णय वापस लेने की घोषणा की । धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में किसी एक समुदाय का तुष्टीकरण करने का यह प्रयास निंदनीय है । बैंक ने यह निर्णय वापस लिया, इसका हिन्दू जनजागृति समिति स्वागत करती है । समिति ने यह भी कहा है कि ऐसा अन्य कहीं होने की बात ध्यान में आई, तो हम उसका विरोध करेंगे ।

‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ के इस निर्णय के कारण जनसामान्यों में बैंक के द्वारा मुसलमानों के लिए अनुकूल निर्णय लिए जा रहे हैं, यह भावना उत्पन्न हुई है । शासन के द्वारा नियंत्रित बैंकों में किसी विशिष्ट धर्म के लिए अनुकूल निर्णय लेना अन्य धर्मियों के साथ अन्याय करने जैसा ही है । समिति द्वारा दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि बैंक को शुक्रवार को छुट्टी घोषित की जा रही है, तो हम पाकिस्तान में रह रहे हैं अथवा हिन्दुस्थान में ?’, समिति ने बैंक से यह प्रश्न पूछा था कि ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ की कुछ शाखाओं के द्वारा छुट्टी के दिनों में परिवर्तन लाने का निश्चित क्या कारण है ? समिति ने यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन करने की चेतावनी दी थी । अब भले ही बैंक ने यह निर्णय वापस लिया हो; परंतु तब भी केंद्र सरकार को इस घटना की व्यापक जांच कर ऐसा निर्णय लेनेवालों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए । समिति ने यह मांग की है ।

आपका विनम्र,
*श्री. रमेश शिंदे,*
राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति,
(संपर्क : 99879 66666 )

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button