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हरमुनिया के बाद अब खेसारीलाल यादव ‘तबला’ की थाप पर नचाएंगे

भोजपुरी ट्रेंडिंग स्टार खेसारीलाल यादव हरमुनिया के बाद अब लोगों को ‘तबला’ की थाप पर नचाने को तैयार हैं। उनका नया गाना ‘तबला’ आज सारेगामा हम भोजपुरी से रिलीज हो चुका है। गाना को आज पटना स्थति होटल पनाश में रिलीज किया गया है, जो रिलीज के बाद से ही वायरल होना शुरू हो गया है। इस मौके पर खेसारीलाल यादव के साथ नम्रता माल्या और सारेगामा हम भोजपुरी के बिजनेश हेड बद्री नाथ झा मौजूद रहे। इस गाने का टीजर पहले से ही वायरल हो रहा है और यूट्यूब पर 15 वें नंबर पर भी ट्रेंड कर रहा है।

वहीं, गाना ‘तबला’ के रिलीज के बाद खेसारीलाल यादव ने कहा कि ‘तबला’ एक बेहतरीन गाना है। इसकी मेकिंग बड़े पैमाने पर हुई है। हमने इसके लिए बेहद मेहनत की है। यह गाना दर्शकों को बेहद पसंद आएगी। यह हमारा विश्वास है। उन्होंने कहा कि सारेगामा हम भोजपुरी को विशेष रूप से आभार कि उन्होंने भोजपुरी इंडस्ट्री में नए कॉन्सेप्ट के साथ एक गानों में विविधता के साथ भोजपुरी के मान को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। इस लेबल से हमारे कई गाने आए हैं और कई नए कलाकारों के गाने भी आए हैं। सभी एक से बढ़ाकर एक हैं और यह लोगों को पसंद आए हैं। मुझे उम्मीद है कि अब हमारे गाने को भी उनका स्नेह और आशीष मिलेगा। और मैं एक बात सारेगामा हम भोजपुरी के लिए कहना चाहूँगा कि यह सिर्फ एक चैनल नहीं, क्रांति है।

वहीं, सारेगामा हम भोजपुरी के बिजनेश हेड बद्री नाथ झा ने कहा कि हर बार की तरह हम एक बार फिर से दर्शकों के लिए एक खूबसूरत गाना लेकर आए हैं। यह गाना सबों को पसंद आएगी। यह गाना सारेगामा हम भोजपुरी का सबसे नया और फ्रेश गाना है। टीजर को लोगों ने खूब पसंद किया है। गाना भी उन्हें पसंद आएगा। इस गाने में खेसारीलाल यादव का नया अंदाज सबों के लिए खास होने वाला है। उनके साथ अभिनेत्री नम्रता माल्या की केमेस्ट्री भी अब तक सबसे अलग होने वाला है।

उन्होंने बताया कि गाना ‘तबला’ को खेसारीलाल यादव और शिल्पी राज ने आवाज दी है। लिरिक्स डी के दीवाना का है। म्यूजिक शुभम राज का है। वीडियो डायरेक्टर सूरज कटोंच हैं। एडिटर पी शुभम बाबू और श्रीकांत (Zav स्टूडियो) है। डीओपी योगेश सिंह हैं और पीआरओ रंजन सिन्हा हैं। कला पुनीत कपूर का है। कोरियोग्राफी गीत तमता हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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