कैसे करें एचआईवी/एड्स की खबरों की रिपोर्टिंग

0
31

क्या करें

  • · मीडिया को लोगों को सूचित और शिक्षित करना चाहिये, उन्हें सर्तक या भयभीत न करें।
  • · वस्तुपरक, तथ्यपरक और संवेदनशील बने।
  • · तेजी से विकसित होते संक्रमण की वास्तविकता के प्रति सजग रहें
  • · उचित भाषा और शब्दावली का इस्तेमाल करें, जो कलंकित करने वाला न हो।
  • · सुनिश्चित करें कि शीर्षक सटीक और संतुलित हो।
  • · उत्तरदायित्वपूर्ण बने, एचआईवी और एड्स (पीएलएचआईवी) से पीड़ित लोगों की आवाजों को सम्मिलित करते हुये तस्वीर के विभिन्न पहलुओं को रखें।
  • · बचाव और संक्रमण के विषय में गलत धारणाओं को नकारें।
  • · संक्रमण से बचाव के अवैज्ञानिक और चमत्कारिक तौर-तरीकों को नकारें।
  • मामले की गंभीरता को कम किये बिना सकारात्मक कहानियों को सामने लायें।
  • संक्रमित लोगों, उनके परिवार और संबंधियों की गोपनीयता को बनाये रखें।
  • · सुनिश्चित करें कि तस्वीरें उनकी गोपनीयता को भंग न करें।
  • · सुनिश्चत करें कि फोटो का कैप्शन सटीक हो।
  • · लिंग संवेदनशीलता रिपोर्टिंग को सुनिश्चित करें और चलंत कहानियों की अनदेखी करें।   
  • · मानित सोर्स से ही डाटा हासिल करें क्योंकि गलत रिपोर्ट्स का मनोबल पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और कलंक को बढ़ाएगा।
  • · साक्षात्कारकर्ता को आश्वस्त करना कि उसके खुलासे और पहचान का क्या प्रभाव पड़ेगा  

पत्रकार का उत्तरदायित्व है।   

  • · जहां कहीं भी संभव हो प्राप्त जानकारी को लिखित रूप में सुनिश्चित करें।
  • · हेल्पलाइन/काउंसलिंग केंद्र को संलग्न करते हुये नकारात्मक कहानी को संतुलित करें, जैसे एचआईवी से संबंधित आत्महत्या या भेदभाव आदि।
  • · अर्थ व्यवस्था, बिजनेस, राजनीति और विकासात्मक मुद्दों पर संक्रमण के प्रभाव जांचने के लिए रिपोर्ट को व्यापक बनायें।
  • · संदेह होने की स्थिति में पोजेटिव लोगों के स्थानीय नेटवर्क या स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी से संपर्क करें या स्पष्टीकरण के लिए स्थापित शब्दावली दिशानिर्देशों की मदद लें।
  • · सुनिश्चत करें कि प्रश्न अति व्यक्तिगत या दोषारोपण करने वाला न हो।
  • · पीएलएचआईवी को पीड़ित के बजाय व्यक्ति के तौर पर चित्रित करते हुये सकारात्मक तरीके से दिखायें।

क्या न करें

  • · कहानी को सनसनीखेज न बनायें।
  • · मूल्य निर्णय न करें जो पीएलएचआईवी पर उंगली उठाती हो।
  • · संक्रमण या एड्स फैलाने के तौर पर पीएलएचआईवी, वेश्यावृति, ड्रग्स एटिक्ट, एड्स मरीज/पीड़ित/प्रभावित का वर्णन के लिए स्कोरेज जैसे शब्द का इस्तेमाल न करें।  
  • · अनावश्यक रूप से कैसे एक पीएलएचआईवी संक्रमित हुया था पर केंद्रित न हो।
  • · एचआईवी और एड्स से प्रभावित बच्चों का नाम या फोटो न दें, चाहे उनकी सहमति ही क्यों न मिली हो।
  • · गुप्त कैमरे का इस्तेमाल न करें।
  • · बीमार और मरते हुये लोगों की ऐसी तस्वीरों और रिपोर्टों की अनदेखी करें, जो दुख, असहायता और अकेलेपन को दर्शाता हो।
  • · ग्राफिक्स के तौर पर खोपड़ी, क्रास हड्डी, सांप आदि का इस्तेमाल विजुअल्स के रूप में न करें।
  • · जाति, लिंग और सेक्स झुकाव के संदर्भों की अनदेखी करें।
  • · लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल या ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) जैसे लोगों के विषय में चलंत कहानी पर जोर न दें।
  • · पीड़ित व्यक्ति का चित्रण दोषी, मुजरिम या दया के पात्र के रूप में न करें।
  • · एचआईवी, एसटीआई, चर्मरोग, तपेदिक और दूसरे संक्रमण रोगों से संबंधित दिग्भ्रमित करने वाले विज्ञापनों को तरजीह न दें।
  • · स्वैच्छिक जांच कराने की इच्छा करने वाले लोगों की गुप्तता को भंग न करें।
Previous articleपलक झपकते ही खा जाता है जिंदा छिपकली
Next articleEntries invited for BHARATH BALAN.K.NAIR-S.T.V SHORT FILM FESTIVAL
सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here