लिटरेचर लव
नायक
नायक
(कविता )
(समस्या…बड़ी है..)
(समस्या…बड़ी है..)
ईक्षा नायक बनने की
प्रबल ईक्षा…! पर डर.
लाखों लाशों का बोझ.
शायद टूट जाए कमर..
फिर वही लहू, आंसू और मलाल,
एक गली साफ़, तो दूसरी फिर लाल!
मुझ अकेले का क्या!
बन जाऊंगा एक बूँद उस शोणित -सर की
और खाक हो जाएगा वो भी,
मेरी गलती किसी ने अगर की.
क्यों की वो भी मेरी तरह अकेला..
बिलकुल अकेला..!
(समाधान आसन है)
पर तुम्हे भी अगर किसी के रुदन पर रोना आता है..
वो लाल रंग अगर तुम्हे भी धोना आता है..
तो फिर क्या…फिर क्या!
ईक्षा प्रबल हुई..भय नहीं रहा..
हर कोई बना निज-मृत्यु का गायक..
हर घर में..हर गली में..
तब ऐसा नायक!
Thanks for inrdtoucnig a little rationality into this debate.