पटना से राष्ट्रपति कलाम द्वारा पुरस्कृत डॉ. नारायण यादव बने एमएलसी के लिए राजद उम्मीदवार  

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पटना, 5 अक्टूबर (पटना ब्यूरो)। बिहार के बदलते हुये तेवर को देखकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी अपना चाल और चेहरा तेजी से बदल रहा है। पढ़े लिखे तबकों के बीच में अपनी पैठ मजबूत करने बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए वह अब शिक्षकों को खासा तव्वजो दे रहा है। इसी क्रम में अपने बेहतरीन शैक्षणिक कार्यों के लिए राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजे जा चुके डॉक्टर नारायण यादव को राजद ने महागठबंध की ओर से पटना शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी के तौर पर अपना उम्मीदवार बनाया है। शिक्षा जगत में अपने बेमिशाल कार्यों के जरिये अपनी खास पहचान वाले डॉक्टर नारायण यादव ने सोमवार को पूरी सादगी के साथ अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया। बिहार के विभिन्न विद्यालयों में प्राचार्य के तौर पर अपने शैक्षणिक सुधारों के जरिये उन्होंने शिक्षा के स्तर को दुरुस्त करने के लिए वैज्ञानिक तरीके से पठन पाठन की प्रक्रिया की शुरुआत तो की ही थी साथ ही बच्चों के दरमियान खेल और कला के विकास के लिए भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये थे। यही वजह रही कि राष्ट्रपति कलाम ने उनके कार्यों के लिए पुरस्कृति किया था।

शिक्षण के दौरान उन्होंने खुद को राजनीति से दूर रखा और अपना पूरा ध्यान राज्य के बच्चों के भविष्य को संवारने में लगाया। उनके द्वारा पढ़ाये हुये बच्चे जीवन बेहतर करते हुये राज्य और देश की सेवा कर रहे हैं। एक किसान परिवार से संबद्ध होने की वजह से उन्हें किसानी का भी जमीनी अनुभव है और अंग्रेजी विषय के शिक्षक के तौर उन्हें वाल्तेयर, दिदरों, मिल्टन, जान स्टुअर्ट मिल, बाल्जाक जैसे पाश्चात्य साहित्यकारों और शिक्षाविदों को पढ़ने और समझने का भी भरपूर अवसर प्राप्त हुआ। यही वजह रही कि जब प्राचार्य के तौर पर उन्हें बिहार के विभिन्न स्कूलों में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ तो उन्होंने बच्चों में अपने वतन की मिट्टी के प्रति प्यार का जज्बा भरने के साथ-साथ उन्हें यूरोपीयन शैली शिक्षा पद्धति से भी परिचय कराया। उन्होंने गया यूनिवर्सिटी गया से पोस्ट ग्रेजुएट किया और पटना कॉलेज से डॉक्टरेट की उपाधि ली।

बाद में शैक्षणिक कार्यों से निवृत होने के बाद उन्होंने अपना अधिकर समय अध्ययन और सामाजिक सेवा में ही व्यतीत किया। वह शुरु से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। चाहे खेल का मैदान हो या फिर डिबेट का मंच हर जगह अपने फन के बदौलत बड़ी आसानी अपनी जगह बनाते रहे। शैक्षणिक कार्यों से दूर होने के बाद सामाजिक कार्यों में भी वह अपनी मिलनसार व्यक्तित्व और दूसरों के प्रति गहरी संवेदना रखने की वजह से लोगों के बीच काफी लोकप्रिय होते चले गये। जब पटना शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी के तौर पर राजद की ओर से एक सुलझे हुये चमकदार व्यक्तित्व वाले शख्स की तलाश शुरु हुई तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित पार्टी के तमाम कद्दावर नेताओं की निगाहें इन्ही पर आकर टिक गयी। उन्होंने भी इस चुनौती को खुले दिल से स्वीकार किया और पटना शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी उम्मीदवार के रुप में मैदान में उतरना स्वीकार कर लिया।

नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद मेरी पहली प्राथमिकता होगी बिहार में शिक्षकों को पूरी तरह से शैक्षणिक कार्यों तक सीमित रखना। यहां पर शिक्षकों को शिक्षण के साथ-साथ कई काम करने पड़ते हैं जिसका नकारात्मक प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर तो पड़ ही रहा है साथ ही साथ शैक्षणिक व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। शिक्षकों को पूरी तरह से शैक्षणिक कार्यों में ही लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा मुफ्त में आवास के साथ ही हर तरह की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करने की दिशा में कदम उठाऊंगा। उनके वेतनमान को भी दुरुस्त किया जाएगा ताकि उन्हें शिक्षण के अलावा कोई और कार्य नहीं करना पड़े। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। शिक्षकों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार करने करने के लिए उनके लिए अनिर्वाय प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी। सबसे पहले हमें शिक्षकों के स्तर को ठीक करना होगा, शिक्षण और शैक्षणिक व्यवस्था खुद ब खुद ठीक हो जाएगी।

 

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  1. बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए ऐसे ही लोगों की जरूरत है .

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