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पेडों की पूजा तो की लेकिन देखभाल नहीं : श्याम रजक

मंत्री श्याम रजक पौधारोपण करते हुये

पटना। उद्योग मंत्री श्याम रजक ने सोमवार को उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान कहा कि  पेड़ों का हमारी जिंदगी में बड़ा महत्व है। आज हम सब जिस महामारी से जूझ रहे हैं उसका सबसे बड़ा कारण कहीं न कहीं हमारी पेड़-पौधों से दूरी का होना है। हमने आज तक पेड़ों की पूजा तो की पर उनकी देखभाल में कहीं चूक गए। हमने उससे प्रेम नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हरियाली मिशन के माध्यम से वृक्षारोपण का जो कार्यक्रम किया है उससे काफी संख्या में वृक्ष लगाए गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर भी दिया कि जो वृक्ष लगाए गए हैं उसका उपयोग और संरक्षण कैसे हो इसके लिए जो नई उद्योग प्रोत्साहन नीति बनाई गई है उसमें इन सबका ध्यान रखा गया है। इसके माध्यम से हम वृक्षों को बचा सकते हैं और प्रकृति की भी रक्षा कर सकते हैं। इन सबके माध्यम से ही बिहार विकास के नए आयामों को पा सकेगा।

मंत्री संस्थान में लायंस क्लब ऑफ पटना फेवरेट के सहयोग से आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। इस मौके पर उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल ने कहा कि पेड़ लगाने से बड़ा तो कोई काम हो ही नहीं सकता। कम शब्दों में कहें तो हजार यज्ञ के बराबर होता है एक पेड़ लगाना। आज के समय में जब हम पर्यावरण की समस्या से जूझ रहे हैं तो उसमें पेड़ लगाना और भी जरूरी हो जाता है। भारत की संस्कृति भी हमेशा से रही है कि हमने हमेशा प्रकृति की पूजा की है। इसलिए हम सबको आगे आकर बड़ी संख्या में पेड़ लगाना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान मंत्री श्याम रजक उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल और लायंस क्लब के डीजीएम संजय कुमार को प्रतीक चिन्ह शॉल और पग पहनाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने अतिथियों को संस्थान की ओर से तैयार की गई कलाकृति भी भेंट की। कार्यक्रम का संचालन बिहार महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष उषा झा ने किया। इस मौके पर लायंस क्लब ऑफ पटना फेवरेट की अध्यक्षए डीजीएम संजय कुमारए उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा,  मनोज कुमार बच्चन, राजकुमार लाल समेत संस्थान के कई सदस्य और लायंस क्लब के कई सदस्यगण मौजूद थे।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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