हार्ड हिट

बिन ब्याही मां के बच्चे की खरीद फरोख्त से शर्मसार हुई इंसानियत

बिहार में इंसानियत को शर्मसार करने देने वाली यह कहानी एक गरीब किशोरी की है। अपने गरीब पिता के साथ वह  नालंदा के इस्लामपुर की रहने वाली है। वही नालंदा जहां कभी दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय हुआ करता था और जिसे वर्तमान नीतीश सरकार पुर्नजीवित करने के लिए एड़ी-चोटीं का जोड़ लगाये हुये है। एक पूर्व मुखिया के एक दबंग भतीजे की नजर इस किशोरी पर पड़ी और जान से मारने की धमकी देकर वह इसके साथ लगातार दुष्कर्म करता रहा। पूर्व मुखिया के भतीजे के हैवानियत अपने चरम पर थी। वह इस किशोरी का हाथ-पैर बांध कर उसके साथ दुष्कर्म किया करता था। मना करने पर उसे गोली मारने की धमकी दी जाती थी। उसके पिता एक ईंट के एक भट्टे पर काम करते हैं। जब उन्हें इस बात का पता चला तो उन्हें भी जान से मारने की धमकी मिलने लगी। वे खामोश रहकर अपनी बेटी को बचाने की कोशिश करते रहे लेकिन बचा नहीं सके क्योंकि अपराधियों ने बुरी तरह से डरा दिया था। लगातार हो रहे दुष्कर्म से किशोरी गर्भवती हो गई। पिता को समाज में लड़की की बदनामी का डर सताता रहा। लेकिन किसी भी कीमत पर वह अपनी बेटी को खोना नहीं चाहते थे। अपनी गर्भवती किशोरी बेटी को लेकर वह पटना के कंक्कड़बाग में रह रहे एक रिश्तेदार के यहां पहुंचे। चूंकि गर्भवती हुये उसे काफी दिन हो गये थे, ऐसे में गर्भ गिराना खतरे से खाली नहीं था। अंत में उन्होंने अपनी बेटी और बच्चे दोनों को बचाने का निर्णय लिया।

प्रसव का समय आने पर उन्होंने अपनी जमा पूंजी का इस्तेमाल करते हुये अपनी बेटी को कंकड़बाग के जेएच नर्सिंह होम में भर्ती कराया। 21 मई की रात रात लगभग नौ बजे आपरेशन से उसकी बेटी को एक बच्चा पैदा हुआ और इसके साथ ही बच्चे के खऱीद फरोख्त की कहानी शुरु हो गई। नर्स सीमा देवी और नर्सिंह होम के मैनेजर अविनाश को मालूम था कि किशोरी बिन ब्याही मां बनी है। साथ ही इन्हें यह भी पता था कि किशोरी के पिता गरीब इंसान है, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इन दोनों ने मिलकर बच्चे को पटना सिटी में रहने वाले रेमंड शो रूम के मालिक देवकी अग्रवाल को बेच दिया।

जन्म के तत्काल बाद देवकी अग्रवाल नर्सिंग होम यह देखने के लिए पहुंचे कि बच्चा स्वस्थ्य है या नहीं। फिर पूरी तसल्ली करने के बाद उन्होंने बच्चे को खरीदने के लिए हामी भर दी। नर्स सीमा देवी और मैनेजर अविनाश बच्चे को कपड़े में लपेट कर नर्सिंग होम से निकल गये। सुबह जब बच्चे के बारे में किशोरी के पिता ने पूछा तो उसे बताया गया कि बच्चा मरा पैदा हुआ था। किशोरी के पिता को शक हुआ और उसने बच्चे के शव की मांग की तो उसे साफतौर पर कहा गया कि बच्चा मरा हुआ था इसलिए उसे रात में ही फेंक दिया गया। बार-बार शव की मांग करने पर किशोरी के पिता और उसके एक परिजन को दो दिन तक नर्सिंग होम में कैद करके रखा गया। जब किशोरी के पिता बच्चे को पाने के लिए रट लगाने लगे तो उनसे कहा गया कि किशोरी की जान खतरे में है, अपना मुंह बंद रखे।

किसी तरह किशोरी के पिता नर्सिंग होम से निकलने में कामयाब हुये और कंकड़बाग थाना पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी पुलिस को देते हुये रिपोर्ट लिखवाई। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और बच्चे को पटना सिटी के देवकी अग्रवाल के घर से बरामद कर लिया। देवकी अग्रवाल के एक बेटे को संतान नहीं थी इसलिए अपना घर बसाने के लिए उन्होंने पैसे देकर इस बच्चे को खरीद लिया था।

उस किशोरी के दिल हिला देने वाली कहानी से पूरा सूबा सकते में है। पहले तो वह किशोरी पूर्व मुखिया के भतीजे के दरिंदगी की शिकार होती रही, और जब उसने साहस करके एक बच्चे को जन्म दिया तो उसका ममत्व भी उससे छिन लिया गया। किशोरी की इस कहानी से स्पष्ट हो जाता है कि बिहार में गरीब होना अभिशाप है। तमाम सरकारी दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर गरीबों के साथ शोषण और जुल्म की प्रक्रिया अनवरत जारी है। पहले एक बिन ब्याही किशोरी को जबरदस्ती गर्भवती बना दिया जाता है फिर जब वह बच्चे को जन्म देती है तो उससे उसका बच्चा तक छिन लिया जाता है। इस घटना से सूबे में संचालित विभिन्न नर्सिंग होमों की भूमिका पर भी उंगलियां उठने लगी है। पैसा बनाने की हवस किस कदर इन नर्सिंह होम के संचालको के ऊपर हावी है यह देखकर आम आदमी का कलेजा दहल उठा है। इन नर्सिंग होमों में महिला भ्रूणहत्या तो आम बात है। अब ये बच्चे बेचने पर भी उतारू हो गये हैं।

इस प्रकरण से एक बात और स्पष्ट होती है कि आज भी सूबे में सामंतवादी मानसिकता हावी है। इस मानसिकता के लोग न तो गरीब की जान की कीमत समझते हैं और न उनकी इज्जत की। इन्हें कानून का भी भय नहीं है। राज्य सरकार बार-बार सूबे में कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कहती आ रही है, लेकिन यह घटना चीख-चीखकर कह रही है कि कानून को अपने घर लौंडी समझने वाले लोगों की सूबे में आज भी कमी नहीं है। खासकर बात जब गरीब तबके की आती है तो कानून की सारी किताबें धरी की धरी रह जाती हैं। खासकर गरीब राज्य में सुरक्षित नहीं है। तो क्या यह मान लिया जाये कि हम आज भी बर्बरता के युग में सांस ले रहे हैं?  बहरहाल पूरा सूबा इस घटना से हतप्रभ है। लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि यह महज बानगी है, सूबे की जमीनी सच्चाई और भी भयावह है।

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One Comment

  1. वाकाई में बेदर्दी भरा सुशासन का दर्दनाक चेहरा, मगर इस खबर में आपने बहुत कुछ छुपाया है. सभी के नामों के साथ विवरण दें. मुखिया कौन? पूर्व मुखिया कौन?
    किस पार्टी से सम्बंधित है मुखिया ? मुखिया और उसके दबंगई में कौन कौन भागिदार हैं क्यूंकि खबर जहाँ दुखियारी को और दुखिया बना रही है वहीँ अपराधियों को बेनामी भी.
    संदिघ्दाता का वातावरण हटायें,

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