हार्ड हिट

भ्रष्टाचारियों और लुटेरों का स्वर्ग बना भारत

अखिलेश

अखिलेश, पटना

हमारा देश भारत, अब भगवान महावीर, लॉर्ड बुद्व, एवं गांधी  का देश नहीं भ्रष्टाचारियों और लुटेरों का स्वर्ग के नाम से जाना जाने लगा है। कौन है ये देश के लुटेरे जो दस लाख करोड़ रूपये विदेशी बैंकों में सिर्फ स्वंय के लिये छिपा कर रखे हैं? ये किस मेहनत के तथा किसके पैसे हैं? क्या ये देश में विदेशों से रेलवे ईंजंन, बोफोर्स जैसे हथियार, युद्वक विमान, आई.टी. लाईसेंस, चीनी आयात-निर्यात, मैच सेटींग, छद्म कर चोर व्यापारियों, फिल्म निर्माण, लोकनिर्माण के नाम पर सत्ता के दलालों, नौकरशाहों द्वारा लूटे गये पैसे हैं? यह कार्य सिर्फ सत्ताधारी दलाल कर सकते हैं या उनके संरक्षण प्राप्त लोग? फिर इन साठ वर्षेां में राज किस-किस का रहा? किसने कौन-कौन से घोटाले किये? इस अति महत्वपूर्ण मुद्दे को किस पार्टी प्रमुख ने लोस 09 के चुनावी मुद्दे में ये पैसे वापस लाने की बात की है, पहल नहीं। एक जीवित भारतीय के सोच में यह प्रथम मुद्दा होना चाहिये। जवाब खोजने पर स्वंय मिल जायेगा। क्या ऐसे देशद्रोहियों को माफ किया जा सकता है? माफ करना भी क्या देशद्रोह नहीं होगा? जिस सरकार ने इसे संरक्षण दिया क्या वो देश की बागडोर अपने हाथ में रखने के लायक है? देश पर अब तक राज किसने किया? इनके हर चाल पर देश लुटता रहा और हम देखते रहे, यह क्या देशद्रोह से कम है? इन्होंने हमें हर बात पर बांटा है। जाति, धर्म, क्षेत्रीयता आदि आदि। हम सबसे बाद में भारतीय हैं, यह क्या देशद्रोह से कम है?  

पूरे विश्व में कभी भारत को सोने की चिड़िया और विश्व गुरू कहा जाता था। फिर इसे लगातार लूटा जाता रहा विदेशी आक्रमणकारी आतंकियों द्वारा, फिर लूटा दो सौ वर्षों तक विश्व विजेता ब्रिटेन के गोरे व्यापारियों और शासकों ने, और अब भारत को स्वतंत्रता के 60 साल बाद तक देश को लूट रहे हैं काले देशद्रोही राजनेता, व्यापारी, नौकरशाह लुटेरे जो देश के धन को लूट कर विदेश में जमा कर रहे हैं। इन गिद्वों ने जनजन के शरीर पर बचे हाड़मांस नोंच-नोंच लूट-लूट कर कंगाल कर दिया। देश का प्रत्येक बच्चा जन्म लेने से पूर्व ही रूपया 75600/- के कर्ज में जन्म लेता है। विश्व के सबसे बड़े इस भारत देश की प्रजा के साथ इससे गंदा मजाक नहीं हो सकता कि यहां प्रजा गरीब और इसके नौकर और प्रतिनिधि धनवान। अगर यह वापस लाया जा सका तो फिर देश का हर व्यक्ति लखपति होगा। विश्व में हम सबसे आगे होंगे। फिर भी देश के सबसे बड़े मुद्दे पर ज्यादातर भ्रष्ट राजनेता एकमत नहीं हैं। ये देश को भुक्खड़ों, कमजोर और गरीबों का देश बना कर चुनाव में एक एक रोटी के टुकड़े पर हमारे वोट का हरण करते रहे हैं। फिर लूट और भ्रष्टाचार का दौर प्रारंभ होता है। इस लूट के कुछ हिस्सेदार हर चुनाव में बदलते रहते हैं। आज भी गांव और छोटे शहरों में पिछले साठ सालों में कुछ नहीं बदला। न बिजली, न पानी, न रोड, न शिक्षा, न रोजगार, न व्यापार। देश सेवा के नाम पर हर योजना का अरबों रूपया प्रति वर्ष दूसरे देशों में भेजा जाता रहा है। वंचितों का महासमुद्र है हमारे देश में जिसे कुछ ही देशद्रोहियों ने खड़ा किया है, सारे खेल यहीं चंद घिनौने लोग खेलते हैं। चेहरे और रंग अलग-अलग हैं पर हैं सब उसी एक खेल के खिलाड़ी। इन्होनें देश के हर इंसान को बांट या तोड़ दिया है, कभी आतंक के नाम पर, कभी सम्प्रदायवाद के नाम पर तो कभी जात-पात के नाम पर। आप एक न होंगे तो यही गिद्व राज करते रहेंगे और आपके बचे-खुचे मांस को भी लूट कर अपना घर बसायेंगे। इन्हें पहचानें, सतर्क रहे, इन्हें वोट रूपी ब्रह्मास्त्र से ही समाप्त किया जा सकता है। अब अपना नहीं तो कम से कम अपने अगले पीढ़ी के लिए सोचें।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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