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मुंगेर में बिहार फुटबॉल एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष की मनाई गई पुण्य तिथि

लालमोहन महाराज, मुंंगेेर
बिहार के मुंगेर जिले के शीतलपुर गांव निवासी बिहार फुटबॉल एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष सह मुंगेर फुटबॉल एसोसिएशन के पूर्व सचिव दिवंगत रविंद्र प्रसाद सिंह की पुण्यतिथि मनाई गई । शीतलपुर गांव पहुंचे भारतीय पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष पत्रकार लालमोहन महाराज, जमालपुर भाजपा के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष किस्टो सिंह उर्फ कृष्ण कुमार सिंह, तित्तू सिंह, पिंटू सिंह ,डॉ पंकज सिंह, चुन्नू सिंह, दिवंगत रविंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र भारतीय सेना में कार्यरत राजीव सिंह ,मुंंगेेर फुटबॉल एसोसिएशन के सचिव सह बिहार के पूर्व कप्तान भावेश कुमार सिंह, स्पोर्ट्स कोटा से चयनित एस बी आई बैंक पटना में कार्यरत बड़े पुत्र संजीव सिंह सहित समाजसेवियों व
राजनीतिज्ञों ने दिवंगत रविंद्र प्रसाद सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। वहीं भावेश कुमार सिंह ने कहा कि बिहार सहित मुंंगेेर जिले में फुटबॉल के उत्थान को लेकर उनका योगदान काफी सराहनीय रहा है। उनके दिवंगत पिता ने अपने घर का ही नाम फुटबॉल हाउस रख दिया है।

फुटबॉल हाउस की सजावट तथा फुटबॉल के फील्ड जैसा ही बना मुंगेर जिले के शीतलपुर गांव में अवस्थित अपने घर को एक अलग पहचान देने का काम किया है। घर के गेट से लेकर गार्डन तक में फुटबॉल की छाप हर जगह दिखाई देती है। इतना ही नहीं मेेरे भाईयों को भी नौकरी फुटबॉल की वजह से स्पोर्ट्स कोटा से हुई है।

बतातें चलें कि बिहार के मुंगेर जिले के शीतलपुर गांव में भी फुटबॉल को लेकर जोश और जुनून कम नहीं है। फुटबॉल के प्रति इस गांव की दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस गांव के प्रत्येक घर में एक फुटबॉलर है, जो सुबह होते मैदान में पहुंच जाते हैं और घंटों पसीना बहाते हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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