लिटरेचर लव
ये प्यार तेरा मुझको पागल कर देगा(कविता)
अरविंन्द सिंह ‘मोनू’,
हर लम्हा गुजरता है अरसा बन–बनकर
हर दिन गुजरता है साल बन–बनकर
इंतजार में जीना कितना मुश्किल होता है
आँखों की गुस्ताखी भुगतना दिल को होता है
इंतज़ार तेरा मुझको पागल कर देगा
दिल से निकले जज्बात, जबतक देर हो जाती है
जुबा कह दे अपनी बात तबतक दूर चली जाती है
इज़हार मोहब्बत का एक गंभीर बिषय है
ये बात पक्की है नहीं कोई संसय है
इज़हार तेरा मुझको पागल कर देगा
सब रिश्ते टूटे है बस तेरी चाहत में
सब अपने छूटे हैं बस तेरी मोहब्बत में
इन्कार मैं तेरा सह नहीं पाउँगा
होकर जुदा तुमसे मैं रह नहीं पाउँगा
इन्कार तेरा मुझको पागल कर देगा
सांसो में तेरी सांसे बस ऐसे घुल जाये
बांहों में हो बांहे रांते ऐसे निकल जाये
प्यार जो तेरा मुझपर इतना ज्यादा है
आँखों का तेरा मुझपर कितना भरोसा है
ये प्यार तेरा मुझको पागल कर देगा