लिटरेचर लव

शहीदों का सम्मान (कविता)

वेंकटेश कुमार.

… न करते वो वलिदान,

तो आजादी एक सपना होता !

लालकिले पर फहराता झंडा,

पर नहीं वो अपना होता !!

गर अपनाते उनके आदर्शो को,

संसार में  शर्मिंदा न होना होता !

भ्रष्टाचार, बेकारी, गरीबी और

साम्प्रदायिकता से न जूझना होता !!

बनेंगे अच्छे नागरिक,  देशभक्त,

न छोड़ेंगे किसी को भूखा और रोता,

सौगंध शहीदों की खाते है,

बनायेंगे भारत को विश्व विजेता !!

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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