सौर शक्ति से चलने वाली लैपटाप मात्र 500 रुपये में
विश्व पटल पर भारत की एक और उपलब्धि
अश्निनी कुमार, नई दिल्ली
अब लैपटाप एरा गांवों की ओर भागने के लिए तैयार है। छोटे-छोटे कस्बे और गांवों के लोग भी अब उंगलियां खनखाने लायक हो जाएंगे, और इसी के साथ इफोरमेशन के क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी, नेट रिवोल्यूशन होगा, और लोग गांव में बैठे हुये ही दुनियां से जुड़ सकेंगे, बातें कर सकेंगे, चैट करेंगे, फिल्म डाउनलोड करेंगे, फेसबुक पर आएंगे, बैंकों के फार्म भरेंगे, विभिन्न कालेजों के प्रोस्पेक्टस देखेंगे, और उन्हें ढेरों सारे ब्लाग और डाट काम पढ़ने को मिलेंगे, फोटो शाप पर काम करेंगे और सही मायनों में तकनीकि युग के एक नये चरण में पहुचेंगे। सूचनाओं पर उनका दायरा बढ़ जाएगा, सर्च इंजनों में घूसेंगे, और नासा, कैलिफोर्नियां, ग्रीस, ताईवान, रुस, जर्मनी, चेचेन्या आदि की गलियों और चौराहों को भी देख और सुन सकेंगे। इनफोरमेशन टेक्नोलाजी के क्षेत्र में सौर उर्जा संचार को एक नया आकाश देगा। यह लहर चारों ओर फैलेगा, हाजीपुर, जंदाहा, पटियाला, सोपोर, मोकोकचुंग आदि स्थानों के लोग व्यापक पटल पर आ जाएंगे, क्योंकि क्रय शक्ति के हिसाब से यह निसंदेह उन्हें राहत देने वाला होगा, और शौर उर्जा के सही इस्तेमाल की योग भारत एक नया डग भरेगा।
विश्व पटल पर भारत की एक और उपलब्धि। मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने विश्व का सबसे सस्ता लैपटॉप प्रदर्शित कर फिर से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की काबलियत को प्रदर्शित किया। विश्व के इस सबसे सस्ते लैपटॉप की कीमत मात्र $35 होगी। भारतीय मुद्रा में करीबन 1500 रुपये। इस वक्त बाजार में लैपटॉप करीबन 10 हजार के आसपास में उबलब्ध है।
इस लैपटॉप के डिजाईन एवं डेवलोपमेंट के लिए निश्चित तौर पर भारत के दोनों नामी संस्थान आईआईटी और आईआईएस बधाई के पात्र हैं। 7 इंच का तुअच स्क्रीन डिस्प्ले, 2 जीबी रैम, लिनुक्स ओपरेटिंग सिस्टम, वाईफाई कानेक्टिविटी के साथ इस लैपटॉप मैं वो सारी खूबिया हैं जो 1 नेट बुक मैं होनी चाहिए। इस लैपटॉप को चालने के लिए मात्र 2 वाट की बिजली की ज़रूरत होगी और साथ ही इसमें सौर शक्ति से भी चलने की सुविधा मौजूद रहेगी। इसके विभिन्न पार्ट्स को अपनी जरुरत की हिसाब से फेर बदल भी किया जा सकता है। इसके नेट बुक के बोर्ड को डिजाईन किया है वीआईटी के छात्र ने तथा उस पर करीबन 2207 रुपये की लागत आई. भारत सरकार की ये योजना है के इससे मात्र 500 रूपये में ही भारत के छात्रों को उपलब्ध कराया जाए, जो निश्चित तौर पर तारीफ़ के काबिल होगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसके बड़े स्तर पर निर्माण हेतु कई कंपनियों से भी विचार विमर्श किया है और 2011 तक ये नेटबुक बाजार मैं बिक्री के लिए आ जाएगा।
निश्चित तौर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय का ये कदम तारीफ़ के काबिल है बशर्ते इसको सही तरीके से लागू किया जाए। इस नोटबुक के बाजार मैं आ जाने के बाद कम से कम ये उम्मीद तो की जा सकती है कि भारत में भी सुचना एवं प्रद्योगिक के क्षेत्र में फिर से 1 क्रांति आएगी।
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