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हथियार लूटकर एक दर्जन नक्सलियों को मौत के घाट उतारा ग्रामीणों ने

मुंगेर के झबुआ टोला में करीब एक दर्जन नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। दियारा में जमीन के झगड़े को लेकर नक्सली बड़ी संख्या में बिंद जाति के पक्ष में जुटे थे। इनके निशाने पर एक सजायाफ्ता यादव जाति का अपराधी था। दियारा में जमीन को लेकर बिंदों और यादवों के बीच वर्षों से संघर्ष होता रहा है।

खबर के मुताबिक बिंदों की ओर से नक्सली अपने लाव लश्कर के साथ यहां पर आये थे। लेकिन उनके आधुनिक हथियारों को देखकर बिंदों के मन में लालच आ गया। उन्हें लगा कि इतने हथियार उन्हें मिल जाएंगे तो यादवों से वे खुद निपट लेंगे। नक्सलियों को अंधेरे में रखकर बिंदों ने अलग मीटिंग की और उनके हथियार लूटने की योजना बना डाली। बिंदों की ओर से नक्सलियों के खाने पीने का इंतजाम किया गया। बिंदों ने खाने में ही जहर मिला दिया। खाना खाने के दौरान ही नक्सलियों को इस बात का अहसास हो गया कि उनके खाने में कुछ मिला दिया गया है। इसके बाद नक्सली नशे की हालत में होने के बावजूद ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगे। इस बीच घात में बैठे बिंदों ने भी नक्सलियों पर लाठियों, डंडे और भालों के साथ आक्रमण कर दिया। देर रात तक दो तीन घंटे के खूनी संघर्ष के बाद बिंदों ने सभी नक्सलियों का सफाया कर दिया और पेट फाड़कर उनकी लाशों को गंगा नदीं में फेंक दिया। घटना स्थल पर जगह-जगह खून के धब्बे अभी भी मौजूद है। भनक लगने के बाद पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंच चुकी है। पुलिस को घटनास्थल पर खाने-पीने के ढेर सारे सामान के साथ-साथ नक्सली साहित्य भी मिले हैं।     

 यदि ग्रामीणों की बात पर विश्वास करें तो नक्सली यहां पर कांट्रेक्ट किलर की भूमिका में थे। दियारा के जमीन के विवाद को सुलझाने के लिए के लिए बिंद जाति की मदद करने वे आये थे, लेकिन उनके हथियारों को देखकर बिंदों का मन बदल गया और उन्होंने नक्सलियों का सफाया करने का मन बना लिया। अब तक चार लाशें बरामद हो चुकी है, जिनमें से एक ग्रामीण का है। तीन लाशों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है। पुलिस का कहना है कि नक्सलियों का हथियारबंद अपराधी गिरोहों के साथ मुठभेड़ हुआ है। मामले की जांच चल रही है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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