डॉक्टर होना सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि है चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है: डॉ. वी. पी. सिंह
पटना। भारत रत्न से सम्मानित महान भारतीय चिकित्सक डॉ विधानचंद राय के जन्मदिवस पर मनाये जानी वाले डॉक्टर्स डे के मौके पर सवेरा कैंसर एंड मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ वी. पी. सिंह ने कहा कि डॉक्टर होना सिर्फ काम नहीं है, बल्कि चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। आजकल व्यावसायिकता की अंधी दौड़ में भी सेवा जिंदा है। पुराने वक्त में हर क्षेत्र के लोग पैसे कमाने की अंधी दौड़ में शामिल थे, मगर डॉक्टरी का पेशा अछूता था। इसलिए डॉक्टरों को सम्मान मिलता था। वर्तमान स्थितियां कुछ और ही है।
वहीं, डॉ वी. पी. सिंह ने डॉ विधानचंद राय को याद करते हुए कहा कि युवा डॉक्टरों को डॉ. विधानचंद राय की तरह जवाबदारी पूरी कर डॉक्टरी के पेशो को बदनाम होने से बचाने की पहल करनी होगी। यह दिन विचार करने के लिए है कि डॉक्टर हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। वर्तमान में डॉक्टर पुराने सम्मान को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता हुआ नजर आ रहा है। इसके कई कारण हैं। डॉक्टरों को अपनी जवाबदारियों का पालन ईमानदारी से करना होगा सीखना होगा। डॉक्टर की एक छोटी सी गलती किसी की जान ले सकती है।डॉ. वी. पी. सिंह ने कहा कि आज की दुनिया समस्याओं से घिरी हुई है। इन समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या है प्राणी, संसार और वनस्पति जगत बढ़ता संतुलन। पौधे के कटते रहने से मानव सभ्यता को खतरा पैदा हो गया। मौसम में काफी परिवर्तन आ गया है।उन्होंने कहा कि आज डॉक्टरी के पेशे पर लोगों का विश्वास बनाये रखना सभी डॉक्टरों की जिम्मेदारी है। डॉक्टर्स डे डॉक्टरों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। यह उन्हें अपने चिकित्सीय प्रैक्टिस को पुनजीर्वित करने का अवसर देता है। सारे डॉक्टर जब अपने चिकित्सीय जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और जरुरतमंदों की मदद का जज्बा होता है। वे इसकी कसम भी खाते हैं। इसके बाद कुछ लोग इस विचार से पथभ्रमित होकर अनैतिकता की राह पर चल पड़ते हैं। आज के दिन डॉक्टरों को यह मौका मिलता है कि वे अपने अंदर झांके और अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझ कर चिकित्सा को मानवीय सेवा का पेशा बनाएं। तभी हमारा यह डॉक्टर्स डे मनाना सही साबित होगा।गौरतलब है कि महान भारतीय चिकित्सक डॉ विधानचंद राय का जन्मदिवस एक जुलाई को मनाया जाता है। उनके जन्मदिवस को ही डॉकटर्स डे के रूप में मनाया जाता है। डॉ विधानचंद राय का जन्म 1882 में पटना में हुआ था। कोलकाता में चिकित्सा शिक्षा पूर्ण करने के बाद डॉ राय ने एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधि लंदन से प्राप्त की। सन 1911 में उन्होंने भारत में चिकित्सीय जीवन की शुरूआत की। इसके बाद वे कोलकाता मेडिकल कॉलेज स्कूल और फिर कारमिकेल मेडिकल कॉलेज गए। उनकी ख्याति एक चिकित्सक के साथ स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होने के कारण बढ़ी। डॉ राय को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।