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नास्तिक से आस्तिक बनने की थीम पर आधारित है भोजपुरी फिल्म ‘बोल राधा बोल’

साँवरे फिल्मस कृत वेव म्यूजिक की नवीनतम प्रस्तुति भोजपुरी फिल्म ‘बोल राधा बोल’ का फर्स्ट लुक जारी कर दिया गया है। नास्तिक से आस्तिक बनने की थीम पर आधारित इस भोजपुरी फिल्म में खेसारी लाल यादव और मेघा श्री की जोड़ी है। भोजपुरी फिल्म जगत के चर्चित फिल्म निर्माता विजय कुमार यादव के इस फिल्म के सह निर्माता कुलदीप श्रीवास्तव व श्रद्धा विजय यादव, कार्यकारी निर्माता अखिलेश राय, लेखक मनोज के. कुशवाहा, छायांकन आर.आर. प्रिंस, संकलन दीपक जउल, राजेश शाह मारधाड़ दिलीप यादव, पार्श्व संगीत असलम सुरती, नृत्य कानू मुखर्जी, महेश आचार्य, कला राम बाबू ठाकुर, ड्रेस डिजाईनर नानु फैशन (विद्या विष्णु), ध्वनि मुद्रक अविनाश सिंह, संगीतकार छोटे बाबा व कृष्णा बेदर्दी, गीतकार क्रमशः प्यारेलाल यादव, कृष्णा बेदर्दी, सुमित सिंह चन्द्रवंशी, प्रेम प्रकाश सिंह व छोटू यादव और पीआरओ समरजीत, रंजन सिन्हा, राम चन्द्र यादव हैं। इस फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन दिव्य ज्योति डिजिटल ने और डी आई रोहित सिंह व अमन कुमार ने किया है। इस फिल्म को पुरे देश में रेणु विजय एंटरटेनमेंट के निशांत उज्जवल रिलिज कर रहे हैं। निर्देशक पराग पाटिल द्वारा निर्देशित इस फिल्म के अन्य मुख्य कलाकार महिमा सिंह, अरुणा गिरी, विनोद मिश्रा, करन पांडेय, पप्पू यादव, सुबोध सेठ यादव, संजय वर्मा, महेश आचार्य, डॉ. यादवेन्द्र यादव, संजीव मिश्रा, अभय राय, नीलू तिवारी, मनीष चतुर्वेदी, बीना पांडेय, दीप्ति तिवारी, तुलसी राजपूत, हरिकेश सिंह (प्रधान-राजपुर), विवेक रावत, राजू मौर्य, रानी जायसवाल, कीर्ती तिवारी, नेहा, ममता पांडेय, चंदेश्वरी देवी, डॉ. गजेन्द्र त्रिपाठी और आर. नरेंद्र आदि हैं।

बकौल निर्माता विजय यादव संदेशपरक भोजपुरी फिल्म ‘बोल राधा बोल’ के माध्यम से समाज में फैली जात-पात, भेदभाव की भावनाओं को मिटाना हमारा उद्देश्य है। साथ ही इस फिल्म के माध्यम से हम दर्शकों को बताना चाहते हैं कि प्रेम ईश्वर का दूसरा स्वरूप है। इसलिए प्रेम और आस्था का सहारा लिया जाए तो नफरत, आपसी मनमुटाव को समाज से मिटाया जा सकता है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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