रिंकल शर्मा की पुस्तक ‘प्रेमचंद मंच पर’ का हुआ शानदार लोकार्पण

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राजू बोहरा / वरिष्ठ संवाददाता,  गाजियाबाद। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के “कथा संवाद” में रिंकल शर्मा की पुस्तक ‘प्रेमचंद मंच पर’ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रसिद्ध लेखक, समालोचक और पत्रकार प्रियदर्शन ने कहा कि प्रेमचंद नाटकीयता से बखूबी परिचित थे। उन्होंने कहानियों के नाट्य रूपांतरण की सराहना करते हुए कहा कि रिंकल ने प्रेमचंद की कहानियों को सहजता के साथ रूपांतरित किया है। प्रियदर्शन ने कहा कि गाजियाबाद जैसे मशीनी शहर में “कथा संवाद” साहित्य की वाचिक परंपरा में आ रहे शून्य को भरने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि पुरातन काल में अलाव के आसपास के किस्सों ने जिस सभ्यता को जन्म दिया था, विज्ञान और विकास ने उसे परे धकेल दिया है। पूरे विश्व में मानवीय सरोकारों के विपरीत हिंसा अपने पांव पसार रही है। हमारा समाज भी पुरानी साहूकारी और महाजनी सभ्यता की ओर लौटता दिखाई दे रहा है। ऐसे में हमें प्रेमचंद को पुनः दोहराने की आवश्यकता है।

नेहरू नगर स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध लेखिका कात्यायनी सिंह इस आयोजन के लिए विशेष रूप से उपस्थित हुईं। उन्होंने कहा कि वह बिहार की पृष्ठभूमि से हैं, लेकिन “कथा संवाद” का सार्थक संदेश ही उन्हें इस कार्यक्रम में खींच लाया। उन्होंने अपने स्वर्गीय पति की स्मृति में मासिक पुरस्कार प्रदान करने की पेशकश की। जिसके अंतर्गत प्रति माह “कथा संवाद” में पढ़ी गई श्रेष्ठ कहानी को 11 सौ रुपए का “दीपक स्मृति कथा सम्मान” प्रदान किया जाएगा। उन्होंने अपनी कहानी “पापा मुझे माफ कर दो” का भी पाठ किया। जिस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रियदर्शन ने कहा कि यह कहानी वर्जनाओं से मुक्त है। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रियदर्शन ने कहा कि “कथा संवाद” में सुनी गई अधिकांश कहानियां वैश्विक चिंता और हालात का बयान हैं। जिस भविष्य के मुहाने पर हम खड़े हैं वह इस बात का संकेत है कि चौथा विश्व युद्ध पत्थरों से ही लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि आज सुनी गई तमाम कहानियां भाषा, कथ्य और शिल्प के स्तर पर बेहद मजबूत हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की उम्रदराज लोग यहां आकर जिंदगी की दूसरी पारी में कहानी लेखन के क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं।

“कथा संवाद” की शुरूआत सिनीवाली की कहानी “अतिथि” से हुई। यह कहानी घर में दो बच्चियों के साथ अकेली स्त्री के रात में एक बुजुर्ग अतिथि के आ जाने से उत्पन्न असहजता और आशंकाओं का बयान है। लेखक कमलेश भट्ट कमल ने कहा कि एक स्त्री का शंकालु मन हमारी सामाजिक सुरक्षा के बोध का परिचायक है। सुप्रसिद्ध लेखिका निर्देश निधि की कहानी “शेष विहार” को प्रियदर्शन ने विज्ञान की बेहतरीन फेंटेसी बताया। श्री भट्ट ने कहा कि पर्यावरण व पारिस्थितिकी की चिंता को यह कहानी वैश्विक स्तर पर उठाती है। युवा रचनाकार टेकचंद ने कहा कि ऐसी कहानियों को कोर्स में शामिल किया जाना चाहिए। निधि अग्रवाल की कहानी “होलोकास्ट” को प्रियदर्शन ने दो पीढ़ियों में बंटी संवेदनशीलता की शिनाख्त बताया। “कथा संवाद” में शकील अहमद ने अपनी कहानी “मदरसा”, मनु लक्ष्मी मिश्रा, डॉ. बीना शर्मा एवं आलोक यात्री ने अपनी संभावित कहानियों के खाके प्रस्तुत किए। “प्रेमचंद मंच पर” पर बोलते हुए सुभाष चंदर ने कहा था कि रिंकल ने कहानियों की आत्मा को जीवित रखते हुए मंचन की दृष्टि से इस तरह रूपांतरित किया है कि कोई भी निर्देशक इन कहानियों का आसानी से मंचन कर सकता है। अपने वक्तव्य में मनु लक्ष्मी मिश्रा ने कहा कि कहानी और नाट्य रूपांतरण में एकरसता का बने रहना इस पुस्तक की उपलब्धि है। उन्होंने नाटक के कुछ अंश पढ़कर सुनाए।

संचालक के तौर पर सुभाष चंदर ने कहा कि आज की कहानियों में शिल्प लगातार कमजोर होता जा रहा है। अधिकांश लेखक कथानक के विस्तार में जाने के बजाए कहानी को समाप्त करने की जल्दबाजी में रहते हैं। लेकिन “कथा संवाद” एक ऐसा मंच है जहां शिल्प से लेकर कथानक के विस्तार की तकनीक सीखने को मिलती है। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट काक, फाउंडेशन के अध्यक्ष शिवराज सिंह, रंगकर्मी अश्रयवरनाथ श्रीवास्तव व अनिल शर्मा, लेखक डॉ. अजय गोयल, अशोक मिश्रा, सुरेंद्र सिंघल, डॉ. रमेश कुमार मांझी, तेजवीर सिंह, सोनी नीलू झा ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर राजेश श्रीवास्तव, वागीश शर्मा, तिलक राज अरोड़ा, सुशील कुमार शर्मा, कुलदीप, कमलेश त्रिवेदी फर्रुखाबादी, श्रीराम शर्मा, रवि शंकर पांडे, दिनेश पवन अरोड़ा डॉ राजेश कुमार भादुरी, देवेंद्र गर्ग, अभिषेक सिंघल, बीएल बत्रा ‘अमित्र’ सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।

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