लुबना (फिल्म स्क्रिप्ट, भाग -10)

0
15

Scene -23

Characters : शंभू, धूसर, मनकु, सुखु, रतिया और  सरोज, एक महिला डाक्टर।

Ext/Night/ In front of hut

(शंभू गुस्से में आग बबूला है)

              शंभू

(पास में खड़े रतिया और सरोज को डांटते हुये)

घर में दो-दो लुगाई है,…फिर भी इ सब हो गया….

               रतिया

(सहजता से ) अब कोई खुदे अपना दुश्मन बन जाए तो हमनी का कर सकते हैं…?

                 धूसर

(गुस्से में) इ औरत ने तो तमाशा बना दिया ….इसे तो मैं मार ही डालूंगा.

                शंभू

(डपटते हुये) भुतनी के.. चुप कर…(फिर समझाने के लहजे में)…उसके दिमाग में श्मसानी वाली बात बैठ गई है….लेकिन हमलोगों का धरम यही कहता है कि उसका ध्यान रखे…(रतिया को छिड़कते हुये)…गर्भउती को कहीं अकेला छोड़ा जाता..  हमेशा उसके साथ बने रहो…अब कुछ दिन की ही तो बात है…

(एक महिला डाक्टर झोपड़ी से बाहर निकलती है, शंभू उसके पास लपककर पहुंचता है। वहां पर मौजूद अन्य लोग भी उसके करीब आते हैं)

               महिला डाक्टर

(शंभू से)…पेट में चोट लगा है….लेकिन बच्चा ठीक है…उसे आराम की जरूरत है…आपलोग ध्यान रखे…

(शंभू महिला डाक्टर को सौ रुपये अपनी धोती से निकाल कर देता है, थोड़ा हिचकते हुये वह रुपये लेती है और चली जाती है। शंभू झोपड़ी की ओर बढ़ता है।)

                                 कट टू….

 

 

            Scene -24

Characters – Sambhu and Lubana

Ent/Night/ In side hut

(लुबना खाट पर चादर ओढ़के लेटी हुई है। उसकी आंखें खुली है, वह छत की ओर देख रही है। शंभू खाट पर उसके सिर के पास बैठता है। और बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरता है। लुबना उसकी ओर देखती है।)

                शंभू

लुबना बेटी…हमनी का सारा जीवन तो लहास के आग देते निकल गेल….अपन धरम यही हे…लेकिन हतयार न ही….उ काम महाकाल के हे…तू काहे इ बच्चा का पाप हमनी के माथा पर देवल चाहित हे…महाकाल के काम अपन हाथ में मत ले….

                 लुबना

(रोते हुये) एकरा साफ करे के होत त कब के कर देती हल …. इ औरत का धरम न हे…(थोड़ा दृढ़ शब्दों में) बाकी दूसर के बच्चा के हम न रखम…….

(उसकी उदासी को देखकर शंभू भी उदास हो जाता है। प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरता रहता है।)

                                 कट टू….

 

                Scene -25

Characters–सुखु और सरोज, सोखी, शनिया और मंगला।

Ent/Night/ In side another hut.

(सरोज जमीन पर बिछे बिछावन पर लेटी हुई है, कुछ दूरी पर ही तीनों बच्चे सो रहे हैं। सुखु उसके बगल में बैठकर बीड़ी धूंक रहा है।)

                सुखु

(बीड़ी धूकते हुये)…लुबना का बच्चा खराब हो जाता तो अच्छा..

               सरोज

(धिक्कारते हुये) शर्म नहीं आती…क्या बकवास कर रहे हो…

               सुखु

(थोड़ा जोर देते हुये)…अरे है तो आखिर श्मसानी के ही बीज न….यदि बेटी होयत त कुछ खास नुकसान अपन न हे …

               सरोज

 

(थोड़ी त्योरियां चढ़ाकर) तुमरा दिमाग ठीक है…?

                सुखु

शंभू के बाद श्मसान का काम धूसर देखित हे, यदि धूसर के बच्चा नहीं होयत त के देखत…

               सरोज

के ??

                सुखु

(समझाने के अंदाज में) अपन बच्चा सब,अउर के ?? जदि लुबना के बेटी होयत त उ शादी बिआह करके चल जाएत…बाकी बेटा होयत त धूसर के बाद श्मसान के काम वही देखेत न…डोमराज के बदले कुत्ता के बच्चा  ल्हास के आग देवत… धरम के भी नाश होयत…अच्छा होयत कि लुबना के बच्चा बिला जाये….

                सरोज

 (गुस्से से) छि, तू आदमी है कि शैतान…वह

 

(सुखु टेंशन में आकर बीड़ी के तीन चार कश तेजी से लेता है।)

                               कट टू….

 जारी….

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here