इन्फोटेन

वास्तविक जीवन की पुलिस और सिक्किम की बॉक्सर फिल्म लकड़बग्घा में बेरहम कातिल महिला के रूप में अपनी डेब्यू करेंगी

अमरनाथ, मुंबई।

लकड़बग्घा के निर्माताओं ने फिल्म के सभी कलाकारों के कैरेक्टर पोस्टर और ट्रेलर जारी करने के बाद उनकी सबसे दिलचस्प कलाकारों में से एक एक्शा कीरुंग का खुलासा किया है, जो वास्तविक जीवन में सिक्किम की पुलिस है। वह लकड़बग्घा में बेरहम कातिल महिला के रूप में अपनी शुरुआत करने के लिए तैयार हैं। दिलचस्प बात यह है कि वह एक पेशेवर बॉक्सर भी हैं और कई बार राष्ट्रीय स्तर पर सिक्किम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। फिल्म में वह नायक के साथ हाथों हाथ मुटभेड़ करते नज़र आएंगी।

फिल्म विक्टर मुखर्जी द्वारा निर्देशित और फर्स्ट रे फिल्म्स के बैनर तले निर्मित है। यह अंशुमन झा, रिधि डोगरा, परेश पाहुजा और मिलिंद सोमन अभिनीत एक पशु प्रेमी सतर्कता के बारे में भारत की पहली फिल्म है। यह फिल्म दुनियाभर के सिनेमाघरों में 13 जनवरी को रिलीज़ होने के लिए तैयार है।

जब अंशुमान ने एक्शा को कास्ट करने के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “मुझे नॉर्थ ईस्ट बहुत पसंद है और आम तौर पर पूरे देश में कलाकारों के लिए बहुत सम्मान है। हमने जानबूझकर, अपने पिछले प्रोडक्शन में ‘हम भी अकेले, तुम भी’ में पहाड़ों से निक्की को लिया था। क्योंकि हम चाहते थे कि इसकी कहानी LGBTQ+ समुदाय के लिए एक अखिल भारतीय प्रतिनिधित्व के रूप में हो। और इसलिए हमने ज़रीन खान की साथी की भूमिका निभाने वाली जाह्नवी रावत को पेश किया। भले ही वह वास्तविक जीवन में दिल्ली से हैं।

उन्होंने आगे कहा, “और अब फिल्म लकड़बग्घा द्वारा हम एक कदम आगे बढ़े है। एक्शा में सिक्किम के एक वास्तविक जीवन के पुलिस वाले को कास्ट किया है। मैं एक्शन फिल्मों में किल-बिल और महिला हत्यारों का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। जब आलोक लकड़बग्घा लिख ​​रहे थे, हम जानबूझकर एक बेरहम कातिल महिला रखने का फैसला किया। उन्होंने सिक्किम में इस पुलिस वाले का सुझाव दिया जो एक सुपर मॉडल रही है। मैं एक्शा के पास पहुंचा और वो ऑडिशन के लिए तैयार हो गई। एक मार्शल किक बॉक्सर होने के नाते, वह वास्तव में फिल्म की दुनिया में फिट बैठती है। वह फिल्म में ‘बिना नाम वाली लड़की’ का किरदार निभा रहीं है और हमें उसका परिचय देते हुए बहुत गर्व हो रहा है। मज़ेदार बात ये है कि – उसने वास्तव में हमारे एक्शन दृश्यों के दौरान मुझे शारीरिक रूप से चोट पहुंचाई क्योंकि वह नहीं जानती थी कि कैसे पीछे हटना है या अभिनय करना है। यह रोमांचकारी अनुभव था। वह फिल्म में सरप्राइज पैकेट है।”

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button