सुगैाली को अनुमंडल एवं करमवा रघुनाथपुर को प्रखंड बनाने की मांग

0
29

विरेंद्र कुमार//

सुगौली,
सुगैाली को अनुमंडल एवं करमवा रघुनाथपुर को प्रखंड बनाने की मांग ने जोर पकड लिया है। इसको लेकर जनजागरण मंच के संयोजक मधुरेन  कुमार के नेतृत्व में गुरूवार को एस पी नायक महाविद्यालय में एक खास समारोह का आयोजन किया गया जहां विभिन्न पार्टी के नेताओं सहित जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। मौके पर  उपस्थित सभी वक्ताओं ने सुगौली को अनुमंडल बननने की मांग को जायज करार देते हुए अपना भरपूर सहयोग देने का वादा किया, वहीं  सुगौली के इतिहास पर भी प्रकाश डाला। इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री को सौपे जाने वाले मांग पत्र को भी तैयार कर लिया गया है। करीब पांच हजार लोगों के  हस्ताक्षर युक्त मांग पत्र की छाया प्रति सभी प्रतिनिधियों को दिया गया जिसे मुख्यमंत्री को सौपा जाना है। बताते चले कि सुगैाली का एक खास महत्व है  और अनुमंडल बनाने की सभी शर्ते पूरा करता है। सुगैाली एक ऐतिहासिक स्थल है जहां भारत  और नेपाल के बीच  4  मार्च  1816  को एक संधि हुयी थी, जिसके आधार पर नों  देशेां का सीमांकन हुआ और आज भी संधि स्थल से मशहूर है।  1857 के सिपाही विद्रोह में भी यहां के लोगों ने अपना भरपूर येागदान दिया। सधि स्थल के समीप बेतिया  स्टेडियम तथा कसतुरबा अवासीय विद्यालय भी अवस्थित है। बगल में सिकराहना नदी के नाम से मशहूर के तट पर सुगौली बसा हुआ है, जिसे पर्यटक केन्द्र  के रुप मे विकसित किया जा सकता है। मौके पर पूर्व मंत्री बिजय गुप्ता, जिला पार्षद ब्रजकिशोर गुप्ता, सुनील पासवान, धर्मेन्द्र नायक, दिवाकर मिश्र, प्रो मनोहर मिश्रा, म एैनुल, वाजिद अली, कुमार विनोद, ओमप्रकाष गुप्ता, विक्रमा प्रसाद, दिनेश सिंह सहित भारी संख्या में छात्र – छात्रा मौजूद थे।

Previous articleअंधविश्वास 21 वीं सदी में भी साथ छोड़ने को तैयार नहीं
Next articleसामाजिक विकलांगता का नाम है ‘वहशीपन’
सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here