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माहौल का असर बच्चों पर पड़ता ही है-राजीव वर्मा

राजू बोहरा, नई दिल्ली

छोटे पर्दे के सबसे लोकप्रिय चरित्र कलाकारों यानी पिता की भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं में एक नाम राजीव वर्मा का सबसे भी ऊपर आता है। यह माना जाता है राजीव वर्मा अगर किसी धारावाहिक में परिवार के मुखिया की गंभीर भूमिका निभा रहे हैं तो उस धारावाहिक की सफलता की उम्मीद काफी बढ़ जाती है। राजश्री प्रोडक्शन की शानदार फिल्मों “मैनें प्यार किया” और “हम साथ-साथ हैं“ से घर-घर में आदर्श पिता के रूप में हर परिवार में अपनी खास जगह बना चुके राजीव वर्मा इन दिनों एक बार फिर छोटे पर्दे पर बेहद दिलचस्प भूमिकाओं में नज़र आ रहे है। जीटीवी पर  छोटी बहू और मिसेज कौशिक की पाँच बहुँएं के बाद अब दूरदर्शन पर एक और नया शो इम्तिहान शुरू हुआ है। जिसमें वो एक एनआरआई पिता की बेहद गंभीर व दिलचस्प भूमिका निभा रहे है। हर बुधवार  और गुरूवार को प्राईम टाईम में रात साढ़े दस बजे प्रसारित हो रहे इस पारिवारिक धारावाहिक में वह एक ऐसे भारतीय परिवार के मुखिया दुर्गा प्रसाद की भूमिका निभा रहे हैं जो हिन्दुतान के बाहर कनाड़ा में बसा है। वो अपने वतन से लम्बे समय तक दूर रहने के बाद भी अपनी संस्कृति को भूला नहीं बल्कि दूर रहकर और लगाव हो गया। उनका मानना है कि पश्चिम की संस्कृति के मुक़ाबले पूरब की संस्कृति और सभ्यता ज्यादा अच्छी और मजबूत है। पूरब और पश्चिम की संस्कृति को केंद्र में रखकर बनाये गये इस धारावाहिक का निर्माण निमात्री सुशीला भाटिया कर रहीं हैं। जो लंम्बे समय से धारावाहिकों के निर्माण में सक्रिय है और दूरदर्शन के लिए बसेरा“  और विवाह बंधन “ जैसे अर्थपूर्ण व सामाजिक धारावाहिक बना चुकी है। धारावाहिक इम्तिहान में दुर्गाप्रसाद के किरदार के माध्यम से राजीव वर्मा को भारतीय संस्कृति और सभ्यता का गुणगान करते हुए दर्शाया जा रहा है। दुर्गा प्रसाद चाहते हैं कि विदेश में रहकर भी इस परिवार के बच्चे भारतीय संस्कृति और सभ्यता का अनुशरण करें। “इम्तिहान”  की इस भूमिका को लेकर राजीव वर्मा खासे उत्साहित हैं। वो कहते हैं कि यूं तो मैंने इससे पूर्व भी सिद्वांतवादी पिता की भूमिका कई बार निभाई है। पर “इम्तिहान” की इस भूमिका की बात ही निराली है। यहाँ मुझे भारतीयता के सिद्वांतों को मानने वाले पिता के रूप में दिखाया गया है। मेरा यह मानना है कि माहौल का असर बच्चों पर पही है। विदेशी माहौल में रहने वाले बच्चों पर वहाँ का असरड़ता

आना स्वाभाविक है। वहाँ का रहन-सहन पढ़ाई, त्यौहार आदि से बच्चें अछूते नहीं रह पाते। लेकिन जो बात हमारी पूरब की सभ्यता और संस्कृति में है वह कहीं और नहीं है। यही वजह है कि वर्षो से

कनाड़ा में रहने के बाद भी “इम्तिहान” का दुर्गा प्रसाद अपनी सभ्यता और संस्कृति से ही प्यार करता है और वो अपने बच्चों से भी यही उम्मीद रखता है। धारावाहिक “इम्तिहान”  में अभिनीत राजीव वर्मा की दुर्गाप्रसाद की यह संवेदनशील भूमिका तेजी से पापुलर हो रही है। निमात्री सुशीला भाटिया  इस धारावाहिक का निर्माण उच्च तकनीक के तौर पर कर रहीं है। यही वजह है कि वो इस धारावाहिक की शूटिंग के वो कनाड़ा भी गई थीं। कुल मिलाकर दूरदर्शन का यह धारावाहिकें नयी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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