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Saturday, May 4, 2024
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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

मूर्तियों की दुर्दशा के साथ-साथ जलाशय भी प्रदूषित हो रहे हैं

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श्रद्धा भारती यहां कुछ तस्वीरें संलग्न की गई हैं आपके अवलोकनार्थ. आप इसका अवलोकन करें और अपनी प्रतिक्रिया दें. एक बात मैं य़हां स्पष्ट करना...

खूब खून बहेंगे अबूझमार के घने जंगलों की अबूझ पहेली जानने...

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अखिलेश अखिल, नई दिल्ली इसे केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल विरोधी अभियान का हिस्सा माने या फिर अबूझमार के घने जंगलों में रह रहे...

एक औरत के संघर्ष और सफलता की कहानी है ‘‘मंगलसूत्र…एक मर्यादा’’

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राजू वोहरा, नई दिल्ली प्राइवेट चैनलों के इस आधुनिक दौर में भी दर्शकों के लिए मनोरंजन का सबसे सशक्त माध्यम आज भी दूरदर्शन ही है...

देश की जनता ही तय करे कि असली नक्सली कौन है

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अखिलेश अखिल अखिलेश अखिल, नई दिल्ली ‘नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी...

मोदी बनाम धर्मनिरपेक्षता की राजनीति

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 (धरमबीर कुमार) अमेरिकी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सी आर एस ) की भारत से सम्बंधित रिपोर्ट जो अभी समाचारों में सुर्खियाँ बटोर रही हैं , कि...

बच्चों के लिए स्पाट ड्राइंग-पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन

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तेवरआनलाईन, हाजीपुर पूर्व मध्य रेल महिला कल्याण संगठन, हाजीपुर की अध्यक्षा श्रीमती साधना श्रीवास्तव के दिशा-निर्देश पर पूर्व मध्य रेलमुख्यालय भवन, हाजीपुर में आन-द-स्पाट ड्राइंग...

मंजिल का सफ़र (कविता )

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-  धर्मवीर कुमार           मंजिल का सफ़र कतई आसान न था,  क्योंकिं मुझ पर कोई भी मेहरबान न था. रास्ते में छोटे- बड़े अवरोध भी मिले,  सच कहता...

पल पल में अब बनेगा तेरा कल… (कविता)

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दीपशिखा शर्मा कुछ जिंदगी के पल… सपने बुनते – बुनते हमको कहते हैं कि चल कुछ जिंदगी के पल… कह गए मेहनत कर , बेहतर होगा तेरा कल। कुछ...

पिछलग्गू लोगों के शोर में और आन्दोलन में फर्क होता है

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चंदन कुमार मिश्र अन्ना से सरकार की अनबन और अन्ना के अनशन का खेल रोज दिख रहा है। तानाशाही तरीका अपनाना कहीं से न्यायोचित नहीं...