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Monday, May 6, 2024

याद आती है…(कविता)

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// संजय राय // याद आती है वो धधकती हुई आखो की जवाला अग्नि पथ पे बिखरे हुआ अंगारे याद है वो जलना जलाना खोयी हुई धुंध भरी...

स्वर्ण युग (कविता)

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आंखों को चौड़ी करने के बावजूद.......... कुछ भी तो दिखाई नहीं देता अंधकार में ....फिर भला कोशिश करने से क्या फायदा ? कोशिश किये बिना इन्सान रह...

—क्योंकि मुझे अमरत्व में यकीन है (कविता)

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सिगरेट की धुयें की तरह तेरे दिल को टटोल कर तेरे होठों से मैं बाहर निकलता हूं, हवायें अपने इशारों से मुझे उड़ा ले जाती है।  तुम देखती...

लुबना (फिल्म स्क्रिप्ट, भाग -9)

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Scene -20 Character –धूसर, मनकु, रतिया, शंभू, लुबना, सुखु और सरोज। Ext/Day/out side hut. (लुबना खटिया के पास बैठी हुई है। शंभू वहीं पर खड़ा बैचनी की हालत...