इन्फोटेन

आर्मी मैन की निजी जिंदगी पर आधारित है फ़िल्म ‘रण’

काजल राघवानी और आनंद ओझा की भोजपुरी फ़िल्म ‘रण’ 13 मई को बिहार झारखंड में होगी रिलीज

पटना। आर्मी मैन के निजी जिंदगी की कहानी पर आधारित भोजपुरी फ़िल्म ‘रण’ 13 मई यानी कल से बिहार झारखंड के सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इसकी जानकारी आज पटना में संवाददाता सम्मेलन के दौरान निर्माता अरुण कुमार मिश्रा, निर्देशक चंद्र पंत और अभिनेता आनंद ओझा ने दी। उन्होंने कहा कि ‘रण’ एक्शन से भरपूर फ़िल्म है, जिसमें रोमांस और इमोशन का तड़का भी है। आनंद ओझा इस फ़िल्म में एक आर्मी मेन की भूमिका में हैं, लेकिन फ़िल्म कहानी बॉर्डर की नहीं बल्कि पर्सनल रिवेंज की है। फ़िल्म में उनकी जोड़ी काजल राघवाणी के साथ है। आनंद ओझा ने कहा कि यह फ़िल्म बेहद खास है। इसलिए सबों से आग्रह है कि कल इसे अपने परिवार के साथ सिनेमाघरों में जाकर जरूर देखें।
वहीं, निर्देशक चंद्र पंत ने कहा कि रण एक संपूर्ण फ़िल्म है जिसकी भाषा भोजपुरी है जबकि आम भोजपुरी फिल्मों की तरह इसमे लटका झटका नहीं बल्कि एक संवेदनशील फ़िल्म है जो हर वर्ग के दर्शको को ध्यान में रखकर बनाई गई है , एक्शन फिल्मों के दीवानों को रण के एक्शन में नवीनता दिखेगी । एक मसाला फिल्म का टोटल वैरिएशन इस फिल्म में दर्शको को दिखाई देने वाला है। साथ ही आनंद ओझा और काजल रघवानी की प्यारी केमिस्ट्री भी फिल्म में दर्शकों को आकर्षित करेगी। आपको बता दें कि निर्देशक चंद्र पंत एक जाने माने निर्देशक है । मूलतः नेपाल निवासी चंद्र पंत नेपाल और अमेरिका में भी फ़िल्म मेकिंग कर चुके हैं ।
उन्होंने बताया कि निर्माता अरुण कुमार मिश्रा की यह पहली फ़िल्म है जबकि इनकी दुसरी फ़िल्म ‘ माही ” भी बनकर तैयार है । उन्होंने बताया कि वे सार्थक व मनोरंजक फिल्मों का निर्माण करते रहेंगे । फिल्म में आनंद ओझा, काजल राघवानी और अयाज़ खान, देव सिंह , मनोज टाइगर, सी पी भट्ट , अरुण कुमार मिश्रा मुख्य भूमिका में हैं। म्यूजिक है दिवंगत धनंजय मिश्रा का जबकि स्टोरी ,डायरेक्शन और एक्शन चंद्रपंत का है । कात्यायान ग्रुप प्रेजेंट्स “रण ” का निर्माण कात्यान फिल्म्स क्रेअशन्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले किया गया । फ़िल्म रण की को प्रोड्यूसर रुचि और कार्यकारी निर्माता हैं ज्योति दिनेश पांडेय । रण के लेखक मनीष कुमार और पटकथा व संवाद है मनीष किशोर का। गीतकार वीरेंद्र पांडेय व कुंदन प्रीत हैं। पीआरओ उदय भगत व रंजन सिन्हा हैं ।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button