कलह करने वालों के लिए सबक है मुकेश पांडे का सुसाइड नोट
क्या वजह थी कि बक्सर के डीएम मुकेश पांडे ने मौत की तरफ रुख किया ? कब और कैसे हम किसी अच्छे खासे इंसान की जिंदगी को जहन्नुम में तब्दील कर देते हैं पता भी नहीं चलता। मुकेश पांडे के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। सबकुछ होने के बावजूद उसके जीवन में कुछ भी तो नहीं था। उसके माता-पिता और पत्नी आपस में बुरी तरह से उलझे रहते थे और मुकेश पांडे चाह कर भी इन सब के बीच संतुलन नहीं बैठा सका। बक्सर के एक सर्किट हाउस में तैयार किये गये उसके सुसाइड वीडियो में तफ्सील के साथ उन वजहों का जिक्र किया है जो उसे मौत के मुंह में ले आई। सुसाइड से पहले कही गई उसकी बातें उन माता-पिता और पत्नी का लिए सबक है जो बेवजह घर को कुरुक्षेत्र बनाने पर तुले रहते हैं। आइये जानते हैं हैं मुकेश पांडे ने मरने से पहले क्या कहा था…उसी के शब्दों में —–
मेरा नाम मुकेश पांडेय है और मैं आईएएस 2012 बैच का ऑफिसर हूं। बिहार कैडर का। मेरा घर गुवाहाटी असम में पड़ता है। यह मेरे सुसाइड के बाद का मैसेज है। यह मैं पहले से प्री रिकॉर्ड कर रहा हूं। बक्सर के सर्किट हाउस में। यहीं पर मैंने डिसिजन लिया कि मैं दिल्ली में जाकर अपने जीवन का अंत कर दूंगा। यह फैसला मैंने इसलिए लिया क्योंकि मैं अपने जीवन से खुश नहीं हूं।
मेरी वाइफ और मेरे माता पिता के बीच बहुत तनातनी है। दोनों हमेशा एक दूसरे से उलझते रहते हैं। जिससे कि मेरा जीना दुश्वार हो गया है। दोनों की गलती नहीं है, दोनों ही अत्यधिक प्रेम मुझसे करते हैं। लेकिन कभी कभी अति किसी चीज की किसी आदमी को मजबूर कर देती है एक्सट्रीम स्टेप उठाने के लिए। मेरी वाइफ मुझसे बहुत प्यार करती है, मुझे मालूम है। मेरी एक छोटी बच्ची भी है। लेकिन मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं बचा है। और मैं वैसे भी जीवन से तंग आ चुका हूं। मैं बहुत सीधा सादा आदमी हूं। शांतिप्रिय।
जब से मेरी शादी हुई है, मैरेड लाइफ में काफी उथल पुथल चल रही है। हमेशा हमलोग किसी न किसी बात पर झगड़ते रहते हैं। दोनों की पर्सनलिटी बिल्कुल अलग है। उसका एग्रेसिव और एक्स्ट्रोवर्ट नेचर है। मेरा बिल्कुल इन्ट्रोवर्ट नेचर है। हमारा किसी चीज में मेल नहीं खाता है, बावजूद इसके हमलोग एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। और ये जो मैं सुसाइड करने जा रहा हूं, अपनी मौत के लिए मैं किसी को जिम्मेदार नहीं मानता हूं। मैं खुद को जिम्मेदार मानता हूं और मेरी जो पर्सनलिटी है वह वजह है।
मैंने बचपन से ऐसी चीजें अपने अंदर भरी है, खुद को एक्स्ट्रोवर्ट और खुले दिल के पर्सनलिटी के तौर पर नहीं बनाया है। वो मेरी compatibility नहीं हो पाई। और इसी कारण से मैं ये सुसाइड कर रहा हूं। इसमें कोई दबाव नहीं है। न ही किसी के द्वारा कोई ऐसा काम किया गया है जिससे कि मैं उनके ऊपर आरोप लगाऊं कि उन्होंने सुसाइड करने पर मजबूर कर दिया है।
मैं खुद ही जिंदगी से फ्रस्ट्रेट हो चुका हूं। और मुझे नहीं लगता कि हम इंसान कुछ बहुत ज्यादा कंट्रीब्यूट कर रहे हैं। हम अपने आप को बहुत ज्यादा सेल्फ इम्पॉर्टेंस देते हैं, ये कर रहे हैं, वो कर रहे हैं। लेकिन जब पूरे यूनिवर्स में अपने आप को इमैजिन कीजिएगा, और जो यूनिवर्स की जर्नी रही है, उसमें कितने लोग आए, कितने लोग गए। तो पता चलेगा कि हमारे अस्तित्व का कोई मतलब नहीं है। हम नए-नए जाल रोज बुनते रहते हैं, अपने आप को उलझाते रहते हैं और अपना मन बहलाते रहते हैं। वरना हमारा कोई इम्पॉर्टेंस नहीं है।
पहले मैं सोच रहा था कि मैं अध्यात्म की ओर जाऊंगा, मैं कहीं जाकर तप करूंगा, मगर मुझे लगा कि वह भी एक व्यर्थ चीज है। इससे अच्छा है कि आदमी अपनी मौत को embrace करे। और अपनी इस इहलीला को, फालतू के जीवन को अंत करें और जो भी इसके बाद, नेक्स्ट आता है, सुकून आएगा या क्या आएगा, किसी को पता नहीं है। और जो आए, आदमी उसका सामना करेगा। लेकिन अब इस जीवन से मेरा मन भर गया है।
अब बिल्कुल मुझे जीने की इच्छा नहीं रह गई है, और इसी कारण मैं ये एक्स्ट्रीम स्टेप ले रहा हूं। कायराना स्टेप है, मुझे भी पता है, पलायनवादी रुख है। लेकिन मेरे अंदर फीलिंग ही नहीं बची है जीने की तो फिर एग्जीस्टेंस का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसीलिए मैं इस स्टेप को ले रहा हूं। अगर ये वीडियो आपको मिलता है को कृपया मेरे सभी रिलेटिव को मेरी मौत की जानकारी दे दीजिएगा कि उनका मुकेश पांडेय अब इस दुनिया में नहीं रहा। दिल्ली में सुसाइड कर लिया है। मैंने यहीं प्लान बनाया है कि मैं झूठ बोलकर दिल्ली जाऊंगा। वहीं पर सुसाइड कर लूंगा।