इन्फोटेन

चरित्रहनन के झूठे चक्रव्‍यूह से बेदाग बहार निकल आया दूरदर्शन का क्रांतिकारी अधिकारी



रिपोर्ट राजू बोहरा, नयी दिल्ली,

तीन साल पहले झूठे षडयन्‍त्र के तहत दूरदर्शन के ईमानदार अधिकारी, प्रख्‍यात क्रांतिकारी लेखक और दूरदर्शन अपर महानिदेशक अंतत: तीन साल की लम्‍बी लड़ाई के बाद सभी आरोपों से बेदाग बाईज्‍जत ‘मुक्‍त’ हुए। ज्ञात हो कि विगत तीन वर्ष पहले एक झूठी शिकायत के तहत एक अंजान कैसुएल डाटा एंट्री ऑपरेटर से झूठी शिकायत करवाकर जिसमें तीन अशिक्षित अंग्रेजी व हिन्‍दी से अनभिज्ञ, चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों से एक झूठी शिकायत करवाई गई। जो लोग श्री राजशेखर व्‍यास के कार्यालय में कार्य नहीं करते थे।

बताया जाता है कि इन सभी षडयंत्र और चक्रव्‍यूह के पीछे श्री राजशेखर व्‍यास की ईमानदारी से परेशान तत्‍कालीन महानिदेशक, तत्‍कालीन मंत्री और अनेक भ्रष्‍ट अफसरों व मुम्‍बई के भ्रष्‍ट प्रोड्यूसरों की मिलीभगत के कारण ऐसा किया गया।  प्रसार-भारती ने भी अपने उच्‍च अधिकारी का साथ न देकर पहले तो  लड़की को पुलिस थाने में पहुँचाया। पुलिस में लड़की के नटने पर “कि मुझे श्री व्‍यास जी से कोई शिकायत नहीं है” के बावजूद प्रसार भारती ने तीन साल एक झूठी इंक्‍वायरी चलाई। जिसमें अनेक नकली कागज बनवाए गए। झूठी शिकायतें लिखवा कर सरकारी कागजातों में छेड़छाड़ कर श्री व्‍यास जी को मानसिक उत्‍पीड़न दिया गया। इस कार्य में उक्‍त अवधि में उनका वेतन भी रोक दिया गया। फिर उन्‍हे गैर कानूनी व अवैधानिक तरीके से ऑल इण्‍डिया रेडियो में स्‍थानांतरण कर नार्थ ईस्‍ट का हेड बनाकर भेज दिया गया। श्री व्‍यास ने इसका भी कानूनी विरोध किया।

ज्ञातव्‍य है कि श्री व्‍यास दूरदर्शन के “प्रबंधन और कार्यक्रम” के वरिष्‍ठतम अधिकारी रहे हैं। उन्‍होने विगत 35 वर्षों में दूरदर्शन को अपनी असंख्‍य ‘अवार्ड विनिंग’ वृत्‍तचित्र, क्रांतिकारी फिल्‍मों से समृद्ध किया। जिस दूरदर्शन में एक ही परिवार का गुणगान होता था और क्रांतिकारियों का नाम लेना अपराध माना जाता था। वहां भी व्‍यास जी ने ‘सुभाष चन्‍द्र बोस’, ‘चन्‍द्रशेखर आज़ाद’, ‘सरदार भगत सिंह’ जैसे महान क्रांतिकारियों पर अनेक फिल्‍म बनायी। उनकी चर्चित फिल्‍मों में ‘आजाद की याद’, ‘इंकलाब’, ‘एक विचार की यात्रा’, ‘वंदेमातरम’, ‘एक गीत जो मंत्र बन गया’, ‘जयति जय उज्‍जयिनी’, ‘काल’, ‘द टाइम’(अंग्रेजी), ‘गणतंत्र गाथा’, ‘स्‍वतंत्रता पुकारती’ जैसे बेहतरीन और नायाब फिल्‍में हैं।

‘सरदार भगत सिंह’ और ‘सुभाष’ पर अपने कार्यों के लिए सारे देश के दुलारे लेखक श्री व्‍यास की अब तक 63 से ज्‍यादा पुस्‍तकें ‘भारतीय ज्ञानपीठ’, ‘प्रभात प्रकाशन’, ‘किताब घर’, ‘प्रवीण प्रकाशन’, ‘सामयिक’ जैसे असंख्‍य लोकप्रिय प्रकाशकों से प्रकाशित है। लगभग 15,00 से अधिक लेख देश-विदेश के प्राय: सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। ज्ञात हो श्री व्‍यास की गणना भारतीय दूरदर्शन के सबसे ‘चर्चित’ व ‘विख्‍यात’ और ‘लोकप्रिय लेखक’, ‘निर्माता निर्देशक’ और ‘क्रांतिकारी अधिकारी’ के रूप में होती है।

बताया जाता है कि व्यास के खिलाफ सारा प्रपंच उनको महानिदेशक पद से रोकने और वंचित करने के लिए किया गया जिसके वे प्रबल उम्‍मीदवार थे। इस सारे षडयंत्र में दूरदर्शन और रेडियो में बिखरे पड़े अनेक प्रतिभाहीन अधिकारी और रिटायर्ड महानिदेशकों का भी हाथ था। तीन साल की इस लंबी लड़ाई व मानसिक उत्‍पीड़न के बाद अब उन्‍हें ‘सवर्था निर्दोष’ व ‘निरपराध’ पाया गया। इस सारे षडयंत्र की अलग से निष्‍पक्ष इंक्‍वायरी की जाएगी।

श्री व्‍यास से पूछने पर कि वो इन षडयंत्रकारियों के विरूद्ध कोई मानहानि केस लगाएंगे? तो उन्‍होने कहा कि पहले तो मुझे और मेरे महान परिवार को जानने वालों के हृदय में इस घटना से कोई मानभंग हुआ ही नहीं था। मेरे महान पिता के योगदान से सारा देश सुपरिचित है। उज्‍जैन का ‘विक्रम विश्‍वविद्यालय’, ‘विक्रम कीर्ति मंदिर’, ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’, ‘सिंधिया प्राच्‍य विद्या संस्‍थान’, ‘कालिदास एकेडमी’ उन्‍हीं की देन है। उस महान स्‍वतंत्रता सेनानी की स्‍मृति में खुद दूरदर्शन ने कई खण्‍डों में “स्‍वाभिमान के सूर्य” नाम से फिल्‍म बनाई है।

खुद ‘प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी’ ने अपने आवास पर जिन पर डाक टिकट जारी किया हो और जो भारत के आरम्‍भिक ‘पद्मभूषण’ रहे हो उस महान स्‍वतंत्रता सेनानी के परिवार पर कीचड़ उछालना सूर्य पर थूकने के समान है। लेकिन उन्‍होने गहरे दुख से ये भी कहा कि मेरे निर्दोष और मासूम बच्‍चों ने तीन साल जो मानसिक उत्‍पीड़न, प्रताड़ना व भयावह आर्थिक परेशानी सही पर अगर भविष्‍य में इन्‍होंने फिर कोई ऐसा षडयंत्र रचा तो निश्‍चय ही मुझे कानून का सहारा लेते हुए इन षडयंत्रकारियों के खिलाफ सख्‍़त कदम उठाना ही होगा और ऐसे षडयंत्रकारियों को बेनकाब करना ही होगा। दिलचस्‍प बात ये है कि तीन साल पहले ही जो श्री व्‍यास महानिदेशक पद के सबसे ‘काबिल’, ‘योग्‍य‘ व ‘प्रबल’ उम्‍मीदवार थे। उन्‍हे आज भी इस दौड़ से बाहर रखने की वैसी ही साजिश पुन: रची जा रही है। बाइज्‍जत रिहा होने के बावजूद उन्‍हें अभी तक वेतन से वंचित रखा गया है।

श्री व्‍यास का आगे यह भी कहना है की मुझे इस झूठे षडयंत्र में फसाने से दूरदर्शन का ही ज्‍यादा नुकसान रहा क्‍योंकि मेरे ही कार्यकाल में (जब में दूरदर्शन नैशनल चैनल का प्रमुख था) तो दूरदर्शन के इतिहास में सबसे ज्‍यादा आय और लोकप्रियता का रिकार्ड कायम हुआ था। ज्ञात हो कि उन्‍हीं के कार्यकाल में ‘बुनियाद’, ‘चाणक्‍य’, ‘उपनिषद-गंगा’, ‘व्‍योमकेश बक्‍शी’, ‘सरस्‍वती चंद’, ‘सत्‍यमेव जयते’, ‘पवित्र बंधन’, ‘कोक स्‍टूडियो’ जैसे अनेक कार्यक्रम चयन हुए थे।

मैट्रो पर प्रसारित ‘स्‍वराज’ जैसे लोकप्रिय, देशभक्‍ति से परिपूर्ण धारावाहिक के मार्गदर्शक श्री व्‍यास इससे पूर्व ‘डी डी भारती’, ‘डी डी मैट्रो’, ‘डी डी इण्‍डिया’, ‘डी डी कश्‍मीर’ व ‘नैशनल’ के भी जन्‍मदाता व वर्षों चैनल प्रमुख रहे हैं। ‘देख भाई देख’, ‘ये जो है जिन्‍दगी’, ‘द ग्रेट मराठा’ और ‘आज तक’ जैसे कार्यक्रम(जो आज एक चैनल में बदल गया है) को दूरदर्शन पर लाने का श्रेय भी श्री व्‍यास को ही जाता है। भारत भर में चुनाव में जागरूकता का अभियान चलाने के लिए विगत अनेक वर्षों से वे निर्वाचन आयोग से सम्‍मान पाते रहे हैं और भारत में एकमात्र अधिकारी हैं जो संसार भर के अन्‍तर्राष्‍ट्रीय ब्रॉडकास्‍टिंग सेमिनार में ‘ब्राडकास्‍टर ऑफ द ईयर(2013)’ अवार्ड पाकर भारत लौटे।

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