छब्बीस लाख पौधे लगाकर भारत का नाम रोशन किया विष्णु लाम्बा ने, यूएन पर्यावरण प्रमुख ने पत्र भेजकर दी बधाई,

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राजू बोहरा नई दिल्ली / तेवरऑनलाइन.डॉटकॉम

जयपुर- मूलतः टोंक राजस्थान के रहने वाले विष्णु लाम्बा इन दिनों दुनियां भर में चर्चाओं का विषय बनें हुए है, ट्रीमैन ऑफ़ इंडिया के नाम से मशहूर पर्यावरणविद विष्णु ऐसे शख्स हैं जिन्होनें बिना अनुदान के श्री कल्पतरू संस्थान के माध्यम से अब तक छब्बीस लाख पौधे लगाने, तेरह लाख पौधे पर्यावरण विरोधी योजनाओं को रुकवाकर बचाने और ग्यारह लाख पौधे तैयार कर निशुल्क वितरण करने जैसे अद्भुद नवाचार किये है, बिना सरकारी अनुदान के दुनियाँ को पचास लाख वृक्षों की सौगात दे चुके विष्णु के प्रयासों को हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय प्रसारक डीडब्ल्यू जर्मन द्वारा विश्व भर में कई भाषाओं में दियाखा गया है, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्क्रम के प्रमुख के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैंपियन ऑफ़ द अर्थ अवार्ड देने वाले एरिक सोल्हेम ने दो भार ट्वीट कर बधाई दी, इतना ही नहीं उन्होंने विष्णु को नॉर्वे से पत्र लिखकर सार्थक प्रयासों की सराहना करते हुए मनोबल बढ़ाया है, उसके बाद कई गणमान्य लोग भी लगातार सोसल मीडिया पर लाम्बा और उनकी टीम को बधाई दे रहे है, विष्णु ने प्रसन्नता व्यक्त की है कि भारत ने विश्व की जो सेवा की है, उसके फलस्वरूप बनी हमारी साख के कारण आज संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्था ने भी विश्वास व्यक्त किया है । जलवायु संकट सबसे बड़ी चुनौती हैं और उसका सामना विज्ञान और परंपरागत ज्ञान के आपसी संतुलन से ही होगा ।

सात साल की उम्र से घर छोड़कर प्रकृति की सेवा में जुटे विष्णु लाम्बा ने आजीवन पर्यावरण की सेवा का संकल्प ही नहीं लिया बल्कि उसे बखूबी निभा भी रहे हैं। उनके अथक प्रयासों से आज समाज में पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है। उनकी मुहिम से आज देश और दुनियां के लाखों युवा जुड़ चुके हैं। लाम्बा ने कहा कि उनको पूर्ण विश्वास है कि वो दिन दूर नहीं जब हर आम और खास उनकी मुहिम का हिस्सा बनेंगे और वो अपना मिशन पूर्ण करते हुए विश्व के सामने पर्यावरण जगत का श्रेष्ठ उदाहरण रखेंगे।

विष्णु ने आजादी के बाद पहली बार देश के 22 राज्यों में भ्रमण कर 56 से अधिक क्रांतिकारियों के परिवारों को तलाश कर शहीदों के जन्म और बलिदान स्थलों पर पौधारोपण जैसे कार्य ही नहीं किये बल्कि सभीको तत्कालीन राष्ट्रपति स्व. प्रणब मुखर्जी से मिलवाया, इसी समारोह में राष्ट्रपति मुखर्जी ने विष्णु को पौधा चोर से ‘ट्रीमेन ऑफ़ इंडिया’ का नाम दिया,

फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ से प्रेरित होकर विष्णु ने राजस्थान के चम्बल से चित्रकूट तक फैले बीहड़ों की करीब दो साल तक खाक छानी और पूर्व कुख्यात दस्युओं को अपनी मुहिम से जोड़ा ।

वे हर साल गर्मियों में पक्षियों के लिए लाखों परिंडें भी लगवाते है, नि:शुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन कर लाखों घायल पशु-पक्षियों का जीवन भी बचा चुके हैं।

उन्होंने ऋग्वेद काल के बाद पहली बार छोटे भाई की ग्रीन वेडिंग (पर्यावरणीय विवाह) भी संपन्न काराई, रेगिस्थान के जहाज ऊंट के संरक्षण व संवर्धन को लेकर अभियान चलाया और उनके प्रयासों से जुलाई 2014 में राजस्थान सरकार ने ऊंट को राज्य पशु का दर्जा दिया। वे सिन्दूर जैसी दो सौ से अधिक दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित कर चुके है, इस कोरोना जैसी वैश्विक मानवीय आपदा में श्री कल्पतरू संस्थान के कार्यकर्ता लगातार ढाई माह तक प्रतिदिन हजारों लोगों को मास्क, राशन सामग्री और भोजन जैसी व्यवस्थाओं में जुटे रहने के बाद अब लोगों को इको फ्रेंडली आजीविका उपलब्ध कराने पर जोर दे रहे हैं। साथ ही नीम तुलसी अश्वगंधा गिलोय जैसे पौधों का चयन कर घर-घर पहुंचाने के प्रयास हो रहे हैं जो कोविड के संक्रमण से बचाव में सहायक है ।

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