जो महागठबंधन नहीं संभाल सका, वह बिहार क्या संभालेगा : मुकेश सहनी

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पत्रकारों को संबोधित करते वीआपी के चीफ मुकेश सहनी

पटना, 4 अक्टूबर (पटना ब्यूरो)। टिकट बंटवारे को लेकर नाराज महागठबंधन के प्रेस वार्ता में हंगामा करके प्रेस वार्ता का बहिष्कार करने वाले विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी ने बिहार खुद के दम पर बिहार विधान सभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। रविवार को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर भी जमकर हमला  बोला। उन्होंने कहा कि तेज यादव ने उन्हें अंधेरे में रखकर उनकी पीठ में छूरा भोंका है। यही उनकी फितरत है। इसके पहले भी लोकसभा चुनाव में वह धोखा दे चुके हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि जो अपने भाई का नहीं हो सकता वह भला बिहार की अवाम का क्या होगा।  उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी यादव के साथ 25 सीट और उप मुख्यमंत्री के पद पर सहमति हुई थी, लेकिन तेजस्वी ने उसकी घोषणा करना उचित नहीं समझा। जो महागठबंधन को नहीं संभाल सका वह भला बिहार को क्या संभालेगा।

मुकेश सहनी ने कहा कि जब बात सीटों की हो चुकी थी, तब उन्हें इसकी घोषणा करने में दिक्कत क्यों हुई, जबकि दो दिन पहले उनके पास आई पार्टी के सीटों की घोषणा करने में देर नहीं की? सहनी ने कहा कि वे भविष्य में कभी तेजस्वी यादव के साथ राजनीति नहीं करेंगे। हम अपनी शर्तों पर चुनाव लड़ेंगे। अभी कुछ लोगों से बात चल रही है। फिलहाल हमने पार्टी के सभी पदाधिकारियों के साथ विमर्श के बाद 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। प्रथम सूची की घोषणा 5 अक्टूबर को जारी की जाएगी।

इससे पहले मुकेश सहनी ने तेजस्वी पर ताबड़तोड़ कई आरोप लगाये। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के विचारों से प्रभावित होकर हमने उनसे समझौता किया था और महागठबंधन में शामिल हुआ था। पर अब राजद, लालू प्रसाद यादव की पार्टी नहीं रह गई है। तेजस्वी ने हमें लोकसभा चुनाव में भी धोखा दिया था। दरभंगा लोकसभा सीट पर वार्ता हुई थी, लेकिन एक साजिश के तहत हमें खगड़िया लोकसभा सीट से चुनाव लड़न पर मजबूर किया गया।  विधानसभा उपचुनाव में भी हमारे साथ छल किया गया, हर मामले में अपनी मनमर्जी करते रहे। हमेशा हमें नजरअंदाज किया गया, जो व्यक्ति एक पार्टी और महागठबंधन को बरकरार नहीं रख सकता है वह बिहार कैसे संभालेगा?

सहनी ने कहा कि हमने हमेशा महागठबंधन को मजबूत करने का काम किया। महागठबंधन के सभी घटक दल कोआर्डिनेशन कमिटी की मांग करते रहे, फिर भी कोआर्डिनेशन कमिटी का गठन नही किया गया। नतीजा, दलितों के नेता जीतनराम मांझी एवं पिछड़ा समाज का बेटा उपेन्द्र कुशवाहा को मजबूरन महागठबंधन से अलग होना पड़ा। राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कांग्रेस को 70 सीट देने की बात पहले हुई थी, लेकिन उनके साथ भी 58 सीट के साथ ब्लैकमेल किया जा रहा था। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्वकर्ता के दबाव पर 70 सीट दिया गया। हमारे साथ 25 सीट एवं उपमुख्यमंत्री का वादा करके अंधेरे में रखकर अंतिम समय में पीठ में छुरा घोंपने का काम किया। इसका बदला अति पिछड़ा समाज बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में लेगी।

सहनी ने कहा कि मेरा जीवन संघर्ष भरा रहा है। कई लोगों ने हमारे साथ धोखा किया, लेकिन फिर भी मैं आगे बढ़ता रहा। मुंबई के एशोआराम को छोड़ कर अपने समाज के लिए खुद के दम पर मैं राजनीति में समाज की भलाई के लिए आया। अपने लिए कोई चाह नहीं। उन्होंने कहा कि हम अपने दम पर सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा उपचुनाव में 26 हजार वोट लाए, जिसके कारण राजद की जीत हुई। उसी समय से रणनीति के तहत मेरे साथ छल किया जा रहा था। जो व्यक्ति अपने बड़े भाई तेजप्रताप का नही हुआ, वह व्यक्ति बिहार के युवाओं का कैसे हो सकता है। बिहार के तमाम उभरते हुए युवा नेता को तेजस्वी देखना नहीं चाहते है क्योंकि तेज तर्रार, युवा नेता से तेजस्वी को एलर्जी एवं डर है।  लोकसभा चुनाव में माकपा  को महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया क्योंकि कन्हैया को टिकट देना पड़ता और कन्हैया अगर जाता तो तेजस्वी के लिए खतरा था। उन्होंने कहा कि पिछड़ा समाज अब पिछलग्गू बनकर नही रहेगा। आगे उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा समाज का बेटा जहाँ से भी किसी अन्य प्रमुख दल से चुनाव लड़ेगा तो वहां से वीआईपी अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगा। उन्होंने अंत में कहा की याचना नही अब रण होगा संघर्ष महा भीषण होगा।

संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता राजीव मिश्रा, बिहार प्रभारी संतोष कुशवाहा, सवर्ण मोर्चा के अध्यक्ष विकास सिंह, मुकेश निषाद, निषाद विकास संघ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौहान, युवा मोर्चा के अध्यक्ष गौतम बिन्द, छात्र मोर्चा के विकास बॉक्सर, डॉ विश्वनाथ प्रसाद यादव, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राज भूषण चौधरी, निर्मला सहनी उपस्थित थे।

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