देश के लिए आपदा है संघ-भाजपा का कारपोरेट-साम्प्रदायिक  गठबंधन : दीपंकर भट्टाचार्य

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भाकपा(माले) को मजबूत बनाना उसके कारगर प्रतिरोध के लिए बेहद जरूरी – दीपंकर भट्टाचार्य

मुजफ्फरपुर.भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य समेत देश के कोने-कोने से आये वरिष्ठ माले नेताओं की भागीदारी के साथ स्थानीय कनक श्री भवन में कल से ही जारी भाकपा(माले) केन्दीय कमेटी की तीन दिवसीय बैठक के दूसरे दिन आज कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया गया।

बैठक ने आगामी 15-20 फरवरी 2023 को बिहारकी राजधानी पटना में आयोजित होने जा रहे पार्टी के 11वें महाधिवेशन की कार्यसूची व दिशा परविस्तार से चर्चा की और कई जरूरी निर्णय लिए।

इसी सिलसिले में बैठक ने महाधिवेशन के ‘विजन डॉक्यूमेंट’ पर जो विगत 8 वर्षों से देश में जारी भाजपा के फासीवादी शासन के खिलाफ चल रहे जन प्रतिरोध की दिशा और कार्यभार पर केंद्रित था, पर। गहन विचार-विमर्श किया।

चर्चा की शुरुआत करते हुए भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी राज मेँ हमारे देश के लोकतंत्र पर चौतरफा हमला हो रहा है और देश के नाम पर देश की जनता के ही बड़े हिस्से को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वंस से जो सिलसिला शुरू हुआ और 2002 में हुए गुजरात जनसंहार से परवान चढ़ा, उसे भाकपा(माले) ने ही सबसे पहले ‘साम्प्रदायिक फासीवाद’ के बतौर चिन्हित किया था।

उन्होंने कहा कि देश के कारपोरेट , खासकर अडानी-अम्बानी भाजपा को सरकार में बनाये रखने के लिए पानी की तरह पैसा भ रहे हैं और बदले में भाजपा देश की नीतियों में बदलाव लेकर काफीव संस्थाओं पर दबाव डालकर कीमती प्राकृतिक संसाधनों समेत समूचे सार्वजनिक क्षेत्र को उनके हाथों गिरवी रख रही है।

उन्होंने कहा कि भाजपा का चुनावी विस्तार और बढ़ती ताकत देश के लिए सचमुच एक विपदा बनकर आयी है। जनसंघर्षों के माध्यम से और चुनावों में बड़ी विपक्षी एकता के जरिये भाजपा का प्रतिरोध करना और इस प्रतिरोध को एक शक्तिशाली धारा में बदल डालना ही भाकपा(माले) 11 वें महाधिवेशन का लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में हम अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन के उन अनुभवों से भी सिख सकते है जो 1920-40 के दशक में हिटलर व नाजी जर्मनी को पराजित करने के दौरान हासिल हुए हैं।

उन्होंने कहा कि पूंजीवाद आज दुनिया भर में भारी संकट झेल रहा है जिसकी वजह से अनेक देशों में फासीवाद फिर से सिर उठा रहा है। भारत में संघ-भाजपा प्रेरित फासीवाद को भी इस संकट का लाभ मिल रहा है।
उन्होंने भारत में फासीवाद के प्रमुख लक्षणों, उसके घटकों व विशिष्टताओं पर भी विस्तार से रोशनी डाली और उसके कारगर प्रतिरोध के जरिये उसे राज और समाज दोनों से ही बेदखल करने की विस्तृत कार्यदिशा को रखा।

आगे चर्चा करते हुए भाकपा(माले) महासचिव ने फासीवाद की इस आपदा से निबटने और प्रतिरोध संघर्ष को निर्णायक मंजिल तक ले जाने के लिए भाकपा(माले) को मजबूत बनाने तथा उसका चतुर्दिश विस्तार करने पर जोर दिया।

उन्होंने पार्टी जनसंगठनों को मजबूत करते हुए भारी तादाद में लोगों को शामिल करने, महिलाओं व युवाओं की भारी तादाद को पार्टी कतार में शामिल करने तथा पार्टी के प्रचार तन्त्र को सक्षम व मजबूत करने पर जोर
दिया।

उभोने सड़क के संघर्ष को और अधिक ऊंचाई पर पहुंचाने पर सबसे ज्यादा जोर देने का आह्वान किया और चुनाव भागीदारी के दौर में पार्टी कतारों के अंदर आनेवाले सम्भावित भटकावों पर भी नजर रखने की बात कही।

भाकपा (माले) पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, राजाराम सिंह, सरोज चौबे (बिहार), गुरुमीत सिंह (पंजाब), राजेन्द्र प्रथोली (दिल्ली), श्रीराम चौधरी (उत्तर प्रदेश), सुवेन्दु सेन, (झारखंड), विवेक दास (असम) आदि ने इस चर्चा को और आगे बढ़ाया।
भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य कामरेड स्वदेश भट्टाचार्य, कुणाल, अभिजीत मजूमदार, क्लिफ्टन ड़ी रोजेरियो व प्रतिमा इंगपी की पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडली ने आज भी बैठक की अध्यक्षता की।

प्रभात कुमार चौधरी द्वारा जारी

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