भारतीय मूल के पत्रकार को उठाकर बाहर फेंका

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देव मक्कड़, न्यू जर्सी

भारतीय मूल के एक अमेरिकी पत्रकार डा. प्रकाश एम स्वामी को न्यू जर्सी के मानमाउथ जंक्शन स्थित रासोई रेस्टूरेंट में श्रीलंका के तमिल एसोसिएशन और इलांकाई तमिल संघम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम से उठा कर बाहर फेंक दिया गया। डा. प्रकाश मान्यताप्राप्त एक वरिष्ठ पत्रकार हैं। आयोजनकर्ताओं ने इन्हें गाली देते हुये कहा कि वे भारत और श्रीलंका के एजेंट हैं, जबकि वह दलील देते रहे कि न्यूयार्क से दो घंटे का सफर तय करके खासतौर से वह इस कार्यक्रम को कवर करने आये हैं। जिस वक्त उन्हें बाहर निकला जा रहा था उस वक्त बाहर काफी ठंड भी पड़ रही थी। बाद में डा. स्वामी ने बताया कि फेडरेशन आफ तमिल संघम आफ नार्थ अमेरिका (फेटना) के प्रेसीडेंट पलानी सुंदरम को हाल के अंदर भारत विरोधी नारे सुनाई दी, और उन्होंने वहां उपस्थिति कार्यकर्ताओं को हिदायत दी कि डा. स्वामी को उठाकर हाल के बाहर फेंक दे, क्योंकि वे संगठन के संबंध में नकारात्मक रिपोर्टिंग कर सकते हैं। तमिलभाषी पत्रकार दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ हैं और न्यूयार्क स्थित तमिल इलम के ट्रांसनेशनल सरकार का खामियों के विषय में लगातार लिखते रहे हैं। पिछले 35 वर्ष से वह सक्रिय पत्रकारिता कर रहे हैं। इस घटना के संबंध में डा. स्वामी ने बताया, इस कार्यक्रमको कवर करने के लिए मुझे आमंत्रित किया गया था। मेरे यहां पहुंचने पर पलानी ने पूछा मैं यहां कैसे आ गया, तो मैने जवाब दिया कि मुझे कवर के लिए बुलाया गया है। इस पर उन्होंने कहा कि सिर्फ संगीत कार्यक्रम पर लिखना। उल्टा-सीधा लिखने की जरूरत नहीं है। मैं अंतिम पंक्ति में बैठा हुआ था तभी भारत विरोधी नारे लगने लगे। एक व्यक्ति मेरे पास आया और मेरा परिचय पत्र मांगा। परिचय पत्र दिखाने के बाद दूसरा व्यक्ति आया और मेरा कैमरा और नोटबुक छिनने लगा। मैंने इसका विरोध किया। इसके बाद मुझे बाहर फेंक दिया गया।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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