राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन.एस.डी.) में बिहार के प्रथम छात्र प्यारे मोहन सहाय

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– रविराज पटेल,

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन.एस.डी.) दिल्ली की स्थापना सन 1959 ई. में संस्कृति मंत्रालय ,भारत सरकार के स्वायत्त संस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा की गई .इसी वर्ष पटना के चर्चित युवा रंगकर्मी एवं डाक-तार विभाग के कर्मचारी प्यारे मोहन सहाय पटियाला (पंजाब) से लौटते वक्त दिल्ली में कुछ पुराने मित्रों से मिलने ठहर गये. प्यारे मोहन हैमर थ्रो एवं वेट लिफ्टिंग के राज्यस्तरीय खिलाड़ी भी थे. वे इसी खेल को विभाग की ओर से पटियाला खेलने गये थे. इनके मित्रों में शिवसागर मिश्र ,केशव पाण्डेय ,भालचंद्र ओझा आदि उन दिनों ऑल इण्डिया रेडिओ (आकाशवाणी) ,दिल्ली में कार्यरत थे. शिवसागर मिश्र ने उन्हें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना की विस्तृत जानकारी दी. प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में था. प्यारे मोहन तुरंत कुछ मित्रों के साथ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय जा कर प्रवेश हेतु आवेदन भर दिया, अगले ही दिन साक्षात्कार हुआ और चयन भी हो गया . पटना आये, नाट्य अध्ययन के लिये विभाग से छुट्टियाँ ली और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ,दिल्ली पहुँच गये. लम्बी अवधि के लिये पहली बार घर से दूर गये थे ,इसलिए मन में घबराहट भी थी लेकिन लक्ष्य सामने था. वहाँ तीन वर्षों में नाटक के हर विद्या की शिक्षा ग्रहण किया ,अतिरिक्त एक वर्ष का निर्देशन में भी विशेषज्ञता हासिल किया,इसके लिये उन्हें एक साल तक छात्रवृति भी मिला. इसी दरम्यान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में किये गये नाटकों में सर्वश्रेठ अभिनय के लिये उन्हें ‘किर्लोस्कर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया.

प्यारे मोहन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रथम बैच के प्रथम बिहारी छात्र थे. इनका अध्ययन सत्र सन 1959 ई. से सन 62 ई. तक रहा . ज्ञातव्य हो की राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सन 1975 ई. में संगीत नाटक आकादमी से मुक्त हो कर स्वतंत्र विद्यालय के अस्तित्व में आया .सन 2005 ई. में इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान की गई थी, परन्तु सन 2011 ई. में संस्थान के अनुरोध पर इसे रद्द कर दिया गया.

प्यारे मोहन सन 1963 ई. में वहाँ से पढाई समाप्त कर वापस पटना आ गये. पारिवारिक परिस्थिति को देखते हुये,डाक-तार विभाग में फिर से नौकरी शुरू कर दी ,लेकिन अपने कला का विस्तार भी करते रहे. रंगमंच ,आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के साथ खुद को गति देते रहे . तब तक भोजपुरी- मैथली क्षेत्रीय फिल्मों का भी दौर शुरू हो चूका था. प्यारे मोहन की पहली फीचर फिल्म “कब होइहें गवनवां हमार” थी . इसी बीच प्रथम मैथली फिल्म ‘ममता गावे गीत’ में वे नायक बने जिसमे नायिका अजरा थी. यह फिल्म सन 1963-64 ई. में ही बनी, लेकिन तीन चार दिनों की शूटिंग सन 1980-81 ई. में पुरी कर प्रदर्शित हुई .इसी कारण पहली मैथली फिल्म हो के भी पहली का दर्जा प्राप्त नहीं कर पाई.

प्यारे मोहन बिहार के सशक्त अभिनेता के रूप में मशहूर हो चुके थे. प्रकाश झा की दूसरी फिल्म “दामुल” (1985) से इन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली. प्यारे मोहन सहाय देश के कई दिग्गज सिने निर्देशकों के साथ काम किया जैसे -मृणाल सेन ,रमेश सिप्पी ,श्याम बेनेगल ,महेश भट्ट,प्रकाश झा ,कुंदन शाह ,अनिल शर्मा, गिरीश रंजन,तरुण मजुमदार, लेख टंडन,पी.एल.संतोषी, राजेश सेठी ,दीपक सरीन ,अजय कश्यप ,शुभंकर घोष ,पप्पू वर्मा,दिनकर चौधरी, ब्रज भूषण आदि .

 प्यारे मोहन सहाय अभिनीत छोटे बड़े नाटकों में ( सन 1946 ई. से सन 2009 ई. तक ) पारसी शैली की “यहूदी की लड़की” (लेखक आगा हश्र /निर्देशक भगवान सिन्हा) ,”अंगूर की बेटी” (लेखक हरे कृष्ण प्रेमी/ निर्देशक भगवान सिन्हा), “चन्द्रगुप्त” (लेखक डी.एल. रॉय / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ), “मेवाड़ पतन” (लेखक डी .एल. रॉय / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ) बंगला का हिन्दी अनुवाद, “राजमुकुट” (लेखक गोविन्द पन्त / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय) बंगला का हिन्दी अनुवाद, “कोणार्क” (लेखक जगदीश चन्द्र माथुर / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ) ,”ध्रुवस्वामिनी” (लेखक जयशंकर प्रसाद / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ), “मणी गोस्वामी” (लेखक कृपा नाथ मिश्र / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ), “मेघनाथ” (लेखक चतुर्भुज / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ), “इन्द्रधनुष” (लेखक कृपा नाथ मिश्र / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय), “सिराजुदौल्ला” (लेखक चतुर्भुज / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय) ,” पाप और प्रकाश” (लेखक जैनेन्द्र / निर्देशक शांता गाँधी) अंग्रेजी नाटक ‘पावर ऑफ़ डार्कनेस’ का हिन्दी अनुवाद ,”बर्फ की मीनार” ( लेखक ज्ञानदेव अग्निहोत्री / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय) , “शुतुरमुर्ग” (लेखक ज्ञान देव अग्निहोत्री / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ), “षोडशी” (लेखक शरतचंद्र / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ), “नीलकंठ निराला” (लेखक रामेश्वर सिंह कश्यप / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय) ,” बाकी इतिहास” (लेखक बदल सरकार / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय) बंगला का हिन्दी अनुवाद , ” मैं मंत्री बनूँगा” (लेखक सुनील चक्रवर्ती / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय) बंगला का हिन्दी अनुवाद , “इंस्पेक्टर विवेक” (लेखक प्रशांत पाण्डेय / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय), ” माई डियर सिटिजन” (लेखक एम. के. सिन्हा / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय ) अंग्रेजी मूल , “कारण” (लेखक श्याम नंदन सहाय ‘सेवक’ / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय), “समाधान” (रामेश्वर सिंह कश्यप / निर्देशक प्यारे मोहन सहाय) 

नाटक “नीलकंठ निराला” में  निराला के गेटअप  में प्यारे मोहन सहाय ,साथ में मुख्य अतिथि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं अन्य कलाकार

वहीँ एकांकी नाटकों में प्यारे मोहन अभिनीत ” भगवत अजुकियम” (नेमी चन्द्र जैन), ” चलो इसी जगह,जहाँ कोई ना हो” (पी. एल. देशपाण्डेय), स्वर्ण श्री (राम कुमार वर्मा) ,”खण्डहर” (जगदीश चन्द्र माथुर) ,”सूर्योदय” (कमला कान्त वर्मा ) , “कमरा नंबर पाँच” ( इम्तेयाज अली ताज) , “राम रहीम” (किशोर साहू) , “रीढ़ की हड्डी” (जगदीश चन्द्र माथुर) ,एवं बतौर निर्देशक “चार पार्टनर” (डॉ. जीतेन्द्र सहाय ) आदि रहा. उपरोक्त नाटकों में कई ऐसे नाटक हैं जिसका मंचन दिल्ली , मुंबई ,इलाहबाद , लखनऊ ,गया ,पटना सहित बिहार के कई प्रमुख शहरों में हुआ है. कई नाट्य प्रतियोगिताओं में वे निर्णायक भी रहे . प्यारे मोहन जी की निम्नलिखित हिन्दी ,भोजपुरी एवं मैथली फीचर फिल्मों में भी महत्वपूर्ण भूमिकायें रही है , हिन्दी फिल्मों में ,शहर से गाँव ( पी.एल.संतोषी),एक अधूरी कहानी (मृणाल सेन ) ,राहगीर (तरुण मजुमदार ),कल हमारा है (गिरीश रंजन ), दामुल (प्रकाश झा ) राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत फिल्म , भ्रष्टाचार (रमेश सिप्पी ), जीने दो (राजेश सेठी ) ,रणभूमि (दीपक सरीन ) ,तहलका (अनिल शर्मा ), पुलिस वाला गुंडा (पप्पू वर्मा ), माँ (अजय कश्यप ), बेटा हो तो ऐसा (सी पी दीक्षित ), ऐ छोकरी ( शुभंकर घोष ) पुरष्कृत , बाल गोविन्द भगत (ब्रज भूषण ), मुनादी (ब्रज भूषण ),अपना भी कोई होता ( गिरीश रंजन ), मृत्युदंड (प्रकाश झा ), आकांक्षा (दिनकर चौधरी ), मिल गई मंजिल मेरी ( लेख टंडन ).

पहली मैथली फिल्म “ममता गावे गीत ” (परमानन्द चौधरी )

भोजपुरी फिल्मों में – कब होइहें गवनवा हमार (पी. एल.संतोषी ), बिहारी बाबु ( दिलीप बोस ) ,सैयां से भइल मिलनवा (पी.एल संतोषी ), बलमा नादान (अकबर बालम ), टूटे ना पिरितिया के डोर ( अकबर बालम ),गंगा तुलसी (राम सिंह ), बासुरिया बजे गंगा तीरे (राकेश पाण्डेय ), गंगा आबाद रखिह सजनवा के ( राजीव रंजन ), सच भाईले सजनवा हमार (पी.एल.संतोषी), बटोहिया (राकेश पाण्डेय ).

 प्रमुख हिन्दी धारावाहिकों में – पहला पाठ , मुंगेरी लाल के हसीं सपने ,मैला आँचल ,हमराही ,मेरा कहा मान लीजिये ,मुंगेरी का भाई नवरंगी ,रजाई ,अभी तो मैं जवान हूँ ,प्रेम पहेली ,फर्ज ,संकल्प एवं अर्जुन पंडित रहा है.

प्यारे मोहन सहाय का जन्म 13 मई सन 1929 ई. को मुज्ज़फरपुर जिले के नूरछपरा नामक गाँव में हुआ था लेकिन लालन पालन पटना में हुआ, क्यूँ की पिता पटना में ही डाक-तार विभाग में नौकरी करते थे .अपना मकान शहर स्थित पोस्टल पार्क में तब से आज तक है. पिता यदुनंदन सहाय थे तथा माता बनारसी देवी थीं. स्कूली शिक्षा मिलर हाई स्कुल से एवं उच्च शिक्षा बी. एन. कॉलेज ,पटना विश्वविद्यालय, पटना से प्राप्त किया था . बहुआयामी प्रतिभा के धनी प्यारे मोहन सहाय का निधन 01 फरवरी सन 2010 ई. पटना में हो गया. वे कई नाट्य संस्थाओं से जुड़े रहे तथा स्वंय भी “पाटलिपुत्र कला मंदिर” एवं “लोकमंच” जैसे रंग संस्थाओं का निर्माण किया था . वे अपने जीवन के अंतिम समय तक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र ,इलाहबाद का शासी निकाय का सदस्य रहे. उनके निधन के पश्चात् राजधानी स्थित भारतीय नृत्य कला मंदिर का नवनामकरण ‘प्यारे मोहन सहाय नाट्य कला मंदिर’ का प्रस्ताव कला ,संस्कृति एवं युवा विभाग ,बिहार सरकार के पास लंबित है.

साभार : अक्षर दर्पण ब्लॉग , http://akshardarpan.blogspot.in/

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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