रोजी रोजगार के लिए प्रखंड कार्यालयों पर बिहार लौटे मजदूरों ने किया प्रदर्शन
पटना । भाकपा-माले, ऐक्टू, खेग्रामस व प्रवासी मजदूर यूनियन के संयुक्त आह्वान पर अपने आठ सूत्री मांगों को लेकर हजारों प्रवासी मजदूर राज्य के सैंकड़ों प्रखंड मुख्यालय पर पहुंचे और प्रखंड विकास पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल और खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा ने संयुक्त रूप से कहा कि कार्यक्रम प्रवासी मजदूरों के आक्रोश का इजहार है, जिनके साथ भाजपा व जदयू ने घोर विश्वासघात किया है।
नेताओं ने कहा कि बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार काम देने की बात कही थी, लेकिन सरकार न तो कोरोना टेस्ट करवा रही है और न ही प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था। मनरेगा में भी बहुत काम नहीं मिल रहा है। नतीजतन, एक तरफ कोरोना का विस्पफोट हो रहा है, तो दूसरी ओर प्रवासी मजदूर काम की तलाश में एक बार फिर वापस लौटने के लिए विवश हो रहे हैं। भाजपा-जदयू ने इन प्रश्नों से पूरी तरह मुंह फेर लिया है और लोगों को अपने रहमो-करम पर छोड़कर वर्चुअल तरीके से बिहार विधानसभा चुनाव को हड़प लेने की तैयारी में लग गए हैं।
सरकार के इसी विश्वासघात के खिलाफ रोजी-रोजगार की गारंटी की मांग पर पूरे बिहार में सैंकड़ो प्रखंड कार्यालयों पर हजारों प्रवासी मजदूर पहुंचे। आज के प्रदर्शन के प्रमुख मांगों में सभी प्रवासी मजदूरों और नाई, बढ़ई, लोहार, कुम्हार, रिक्शा-ठेला-टैम्पो चालकों,दुकानों में कार्यरत कर्मियों सहित स्वरोजगार से जुड़े तमाम लोगों को 10 हजार रुपए का लॉकडाउन भत्ता अविलंब पद्रान करने, आयकर से बाहर के सभी परिवारों को छह माह तक प्रति महीना प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज प्रदान करने, प्रवासी मजदूरों को योग्यतानुसार रोजगार व स्वरोजगार के इच्छुक लोगों को बिना ब्याज के ऋण प्रदान करने, मनरेगा में 200 दिन काम व 500 रु. न्यनूतम मजदूरी देने व शहरों तक इसका विस्तार करने, बिहार वापसी के कारण प्रवासी मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था करने, किसानों-बटाईदारों का केसीसी लोन माफ करने, स्वयं सहायता समूह के सभी कर्ज भी माफ करने; प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटा डॉक्टर और कोविड के इलाज की व्यवस्था करने, जिला अस्पताल में कोविड की जांच और आईसीयू की व्यवस्था करने तथा क्वारंटाइन सेंटर से बाहर आए मजदूरों के लिए घोषित 2000 रु. की राशि का अविलंब भुगतान करने तथा क्वारंटाइन व्यवस्था पर खर्च का सोशल ऑडिट कराने की मांग की। दरभंगा के हायाघाट, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सहरसा, गोपालगंज, नालंदा, भोजपुर, अरवल, पटना ग्रामीण आदि जिलों के सभी प्रखंडों पर प्रदर्शन किया गया।