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सीरिया में हथियारों की नई खेप, तेज होगी ‘खूनी लड़ाई’

आगरा। सीरिया में राष्टÑपति बसर अल असद के खिलाफ लड़ रहे विद्रोहियों को सऊदी अरब द्वारा भारी मात्रा में हथियार मुहैया कराया गया है। इसके बाद से वहां जारी खूनी लड़ाई में और तेजी आने की संभावना है। अब तक राष्टÑपति बसर अल असद विरोधी लोग पारंपरिक हथियारों से  फौज का मुकाबला कर रहे थे। अब जब उनके पास हथियारों का एक नया जखीरा आ गया है, उनके उत्साह में बेइंतहा इजाफा हो गया और मुस्तकबिल में इसका असर स्पष्टरूप से वहां जारी घरेलु युद्ध पर पड़ने वाला है। अमेरिकी और मगरबी ओहदेकारों का कहना है कि उन्हें इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि सऊदी अरब ने क्रोएशिया से हथियार खरीदने के लिए न सिर्फ धन मुहैया कराया है बल्कि जॉर्डन के रास्ते इन हथयिारों को सीरिया में धकेल भी दिया है। सऊदी अरब अल असद को ध्वस्त करने पर तुला हुआ है।
जानकारी के मुताबिक ये हथियार जॉर्डन होते हुये दिसंबर में ही विद्रोहियों तक पहुंच गये हैं और अब इन हथियारों का इस्तेमाल अल असद की सेना के खिलाफ होने भी लगा है। सीरिया में विद्रोहियों को मिले हथियारों कीइस खेप के बाद से अरब जगत में एक नई हलचल पैदा हो गई है। अरब जगत में सीरिया के राष्टÑपति बसर अल असद की हिमायत करने करने वाली सरकारें विद्रोहियों से निपटने के लिए असद को हथियारों की नई खेपें मुहैया करा रही हैं। अल असद को मदद पहुंचाने वालों में ईरान सबसे आगे है। ईरान अल असद को हथियार सप्लाई करने में लगा हु्आ है ताकि वहां विद्रोहियों को उनकी औकात बताई जा सके। सऊदी अरब और ईरान जिस तरह से सीरिया में संघर्षरत दोनों पक्षों को मौत के सामान मुहैया करा रहे हैं, उससे सीरिया की स्थिति और भी खतरनाक हो गई है। सीरिया युद्ध से हथियारों के सौदागरों की एक बार फिर निकल पड़ी है। इस मौके का वे भरपूर फायदा उठा रहे हैं।
हालांकि आधिकारिक तौर पर क्रोएशिया ने इस बात से इन्कार किया है कि हथियारों से लदे हुये जहाज जॉर्डन होते हुये सीरिया भेजे गये हैं, सऊदी अरब ने भी इस मसले पर कुछ भी कहने से साफ तौर पर इन्कार कर दिया है। जॉर्डन ने भी इस मसले पर रहस्यमयी चुप्पी साध ली है। लेकिन सीरिया के जंगी हलकों पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि वहां पर क्रोएशियाई हथियारों का इस्तेमाल होने लगा है। इसलिए यह कहना कि वहां क्रोएशिया से हथियार नहीं भेजे गये हैं, दुनिया को गुमराह करने वाली बात है। क्रोएशिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डेनिजेला ने कहा है कि क्रोएशिया ने तो सऊदी अरब को और न हीं सीरिया को किसी तरह के हथियार बेचे हैं। क्रोएशिया के सैनिक हलकों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ भी यही कह रहे हैं कि क्रोएशिया किसी भी मुल्क को हथियार की सप्लाई नहीं कर रहा है। अपने तर्क में वे कहते हैं कि यह सच है कि बाल्कन युद्ध के बाद से युगोस्लाविया के कई देश अवैध तरीके से अपने यहां संचित हथियारों के जखीरों को बेच रहे हैं, लेकिन क्रोएशिया उनमें शामिल नहीं है। चूंकि हथियारों की बिक्री को लेकर क्रोएशिया यूरोपीय यूनियन के नियमों का पालन कर रहा है, इसलिए वहां से सीरिया को हथियार सप्लाई करने का सवाल ही नहीं उठता है। सरकार की अनुमति के बिना भारी मात्रा में वहां से किसी मुल्क को हथियार सप्लाई करना असंभव है।
इन तर्कों के बावजूद इस बात के पुख्ता प्रणाम मिले हैं कि सीरिया में क्रोएशियाई हथियार मौजूद हैं। जानकारी के मुताबिक इन हथियारों को सीरिया में विद्रोहियों तक पहुंचाने के लिए अमेरिका में भी गुटबंदी की गई थी। इसी उद्देश्य से एक क्रोएशियाई अधिकारी ने अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क भी साधा था। उसने अमेरिकी अधिकारियों से कहा था कि क्रोएशिया गुप्त रूप से अपने हथियारों को बेचने का इच्छुक है और सीरिया उसके लिए बेहतर बाजार साबित हो सकता है। अमेरिका में हथियारों की दलाली करने वाली लॉबी ने इसमें अच्छी-खासी दिलचस्पी भी दिखाई थी। चूंकि सीरिया में विद्रोहियों को अल असद के ठिकानों पर हमला करने के साथ-साथ अपने कब्जे वाले इलाकों को सुरक्षित रखने के लिए हथियारों की भारी मात्रा में जरूरत थी, इसलिए वहां पर क्रोएशियाई हथियारों की खपत आसानी से हो सकती थी। इसी को ध्यान में रखकर बाद में सऊदी अरब और जॉर्डन को मैनेज किया गया। इसके साथ ही सऊदी अरब ने भारी मात्रा में यूक्रेन निर्मित राइफल और हैंड ग्रेनेड खरीदे थे, जिनका इस्तेमाल अब सीरिया में विद्रोही लड़ाके कर रहे हैं। पश्चिम जगत के अधिकारियों का कहना है कि सऊदी अरब इस मसले पर कुछ भी खुलकर बोलने से हिचक रहा है, लेकिन यह स्पष्ट हो चुका है कि सीरिया में विद्रोही गुटों के वास्ते हथियारों की खरीद के लिए धन उसी ने मुहैया कराए हैं। इस संबंध में ‘जूटारंजी लिस्ट’ नामक एक क्रोएशियाई  समाचार पत्र ने भी खबर प्रकाशित की है, जिसमें जॉर्डन के रास्ते सीरिया को हथियार भेजे जाने की तस्दीक की गई है। खबर में कहा गया है कि क्रोएशिया के मुख्य राजनीतिक दल और सेना ने अमेरिका की देखरेख में सीरिया में हथियारों की खेप पहुंचाने के काम को अंजाम दिया है।
सीरिया में घरेलु युद्ध की वजह से अब तक 60,000 से अधिक लोग मारे चुके हैं और लाखों लोग  लेबनान, जॉर्डन और तुर्की में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। इन मुल्कों की सीमा के पास बने शरणार्थी शिविरों की स्थिति भी खस्ताहाल है। यहां शरणार्थियों के लिए न तो खाना है और न ही पीने का पानी। अब जिस तरह से सीरिया में विद्रोहियों के पास हथियारों की नई खेप के पहुंचने की बात सामने आ रही है, उससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में खून-खराबा और बढ़ेगा और इसके साथ ही इन शरणार्थी शिविरों में लोगों की संख्या में भी इजाफा होगा। इन शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोगों का कहना है कि हमलोगों के बारे में कोई नहीं सोच रहा है। हमलोग अनाथ हो चुके हैं। हम अपने घरों को लौटना चाहते हैं। इससे भी बढ़कर हम शांति चाहते हैं। अब विद्रोहियों के हाथों हथियारों की नई खेप लगने के बाद वहां शांति की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही है। बसर अल असद को अपनी हुकूमत को सुरक्षित रखने की पड़ी है, जबकि विद्रोही उसे किसी भी कीमत पर नेस्तनाबूत करना चाहते हैं, इन दोनों पाटों में वहां के आम सीरियाई पिस रहे हैं।

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