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सेना का युद्ध अभ्यास अब अबूझमाड़ में !

लेखक- राजेंद्र तिवारी, (अध्यक्ष ) आंचलिक समाचार पत्र एवं संग्रहालय एवं शोध संस्थान बस्तर, छत्तीसगढ़

बस्तर। भारतीय सेना बस्तर के अबूझमाड़ क्षेत्र में अपना युद्धाभ्यास रेंज स्थापित करेगी।उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के उग्रवाद प्रभावित बस्तर के अबूझमाड़ क्षेत्र में थल सेना अपना युद्ध कौशल क्षेत्र स्थापित करने के लिए औपचारिक रूप से सन् 2017 में शासन के समक्ष प्रस्ताव रखा था।

प्रशासनिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने सेना के उक्त प्रस्ताव को हरि झंडी दे दी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी उक्त प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है। सूत्रों का यह भी कहना है की अबूझमाड़ के बीचों-बीच एक लाख पैंतीस हजार एकड़ क्षेत्र में भारतीय थल सेना अपना “मेनूवेयर” यानी युद्ध कौशल रेंज स्थापित करेगी। इस युद्ध क्षेत्र में सेना का युद्ध अभ्यास प्रारंभ हो जाने से वामपंथी उग्रवादियों के लाल गलियारे में एक बड़ा रोडा कायम हो जाएगा। नक्सली गतिविधियों के जानकारों का कहना है कि अबूझमाड़ में सेना के पहुंच जाने से नक्सली छापामार दस्ते बेरोक- टोक छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा के मध्य भ्रमण नहीं कर पाएंगे। अभी तक नक्सलवादियों के लिए यह क्षेत्र पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता था। लेकिन अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि आर्मी का युद्ध कौशल क्षेत्र स्थापित किये जाने का अर्थ यह कदापि नहीं निकाला जाना चाहिए कि सेना नक्सलवादियों के विरुद्ध जंगल में सीधी कार्यवाही किया करेगी। यह बात दीगर है कि यदि नक्सलियों ने कहीं गड़बड़ी फैलाई तो फिर सेना उनके मांद में घुसकर मारने से पीछे नहीं हटेगी। सरकार के द्वारा सेना के लिए अबूझमाड़ क्षेत्र में युद्धाभ्यास रेंज स्थापित करने का फैसला ठीक उसी प्रकार का है जिस प्रकार 1989 में तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार ने नक्सली समस्या को समाप्त करने के लिए बस्तर को विभाजित कर दंतेवाड़ा पुलिस जिला का गठन किया था

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