स्टूडेंट आफ द इयर : सिर्फ तड़का है कोई मैसेज नहीं (फिल्म समीक्षा)

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शंकर कुमार साव//
युवाओं को आकर्षित करने वाली फिल्म स्टूडेंट आफ द इयर को युवा पीढ़ी काफी पसंद कर रही है। पिछले शुक्रवार को विशुद्ध युवा थीम पर आधारित यह फिल्म रिलीज हुई। करण जौहर द्वारा निर्देशित इस फिल्म को मिला-जुला रिसपॉन्स मिल रहा है। महानगर से लेकर नगर तक के युवाओं के बीच यह फिल्म आकर्षण के केंद्र में है। इस फिल्म में एक्शन, कॉमे़डी, लव स्टोरी और सस्पेंस तो है। लेकिन बहुत पावरफुल मैसेज का नहीं होना इस फिल्म का कमजोर पक्ष है।
दरअसल फिल्म की स्टोरी में संदेश नहीं होने के बावजूद निर्देशक एक्शन, कॉमे़डी, लव स्टोरी और सस्पेंस के तड़का से कम्पलीट पैकेज का रूप धारण करती है। जो कि युवाओं का मनोरंजन करती है। इसकी कहानी बड़े स्कूल मे पढ़ने वाले दोस्तों पर आधारित है। अभिमन्यु (सिद्धार्थ मल्होत्रा), रोहन (वरुण धवन) और शनाया (आलिया भट्ट) तीनों दोस्तों को लीड रोल मे पेश किया गया है । शुरूआती दौर  20-25 मिनट किरदारों के परिचय में ही निकल जाते हैं और इंटरवल तक किसी तरह दर्शकों बांधे रखने में सफल रहता है। क्योंकि परिचय के दरम्यान ही प्यार और स्टु़डेंट्स के बीच मौज-मस्ती का सिलसिला चलता रहता है।
रोहन नन्दा बहुत बड़े बाप का बेटा है और पूरे स्कूल पर उसकी धाक है। शनाया जो कि पूरे स्कूल की सबसे खूबसूरत लड़की है रोहन की गर्लफ्रेन्ड है और उसके दूसरे लड़कियों से इश्क लड़ाने की आदत से हमेशा नाखुश रहती है। इस बीच स्कूल में अभि (अभिमन्यु ) की इन्ट्री होती है। रोहन और अभि में बराबरी की प्रतिद्वन्दिता बीतते वक्त के साथ गहरी दोस्ती में बदल जाती है। यहां अपने सीरीयसनेस के कारण अभि लीड रोल में दिखता है। इस बीच अभि भी शयाना को प्यार करने लगता है। लेकिन अपने सपने को पाने और अपने दोस्त रोहन के रास्ते में न आने की बात सोचकर वह शनाया से दूरी बनाने लगता है।
इंटरवल के बाद कहानी मे ट्वीस्ट आती है जब अभि और शनाया एक दूसरे से दूर नहीं रह पाते और यह बात रोहन को नागंवार गुजरती है। इसके बाद स्टुडेन्ट ऑफ द इयर के खिताब के लिए तीनों के रास्ते अलग-अलग हो जाते हैं। इस बीच रोहन को उसके पिता अपनी जायदाद से बेदखल कर देते हैं, हमेशा उसके पैसों से मौज करने वाला उसका दोस्त उससे बगावत कर बैठता है। रोहन अकेला पड़ जाता है और इस तरह दर्शकों की सहानुभूति के कारण कुछ देर के लिए एकाएक लीड रोल में आ जाता है। इंटरवल के कुछ देर बाद जहाँ स्टुडेन्ट ऑफ द ईयर के खिताब को लेकर आपा-धापी मची रहती है तो वहीं फिल्म के अंत के कुछ देर पहले इमोशनल स्थिति बन जाती है। शनाया अभि की पत्नी के रूप मे प्रकट होकर सस्पेंस खत्म करती है। एक मामुली झगड़े के बाद रोहन और अभिमन्यु में फिर से दोस्ती हो जाती है और इस तरह से फिल्म की हैप्पी एंडिंग हो जाती है।
पूरे फिल्म में यंगस्टर्स का बोलबाला रहा तो ऋषि कपूर के शानदार अभिनय और काजोल की गेस्ट अपीयरिन्ग फिल्म में चार चाँद लगाता है। विशाल-शेखर की जोड़ी के बनाए कुछ गानों ने जहाँ धूम मचा दिया वहीं कुछ गाने सिनेमा हॉल से बाहर भी नहीं निकल सके।
(लेखक – पटना विश्वविद्यालय से मास्टर इन जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेश की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।)

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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