“हम दो हमारे दो” में फेल रहा मध्यप्रदेश

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परिचय : मध्य प्रदेश की राजधानी में पत्रकारिता कर रही हूँ . सपने देखना और उनको पूरा करने के लिए हर संभव प्रयत्न जारी है. मेरी उड़ान आकाश के पार और हिमालय से भी ऊँची है. इसलिए किसी भी बंधन में रहकर जीना मुझे कतई पसंद नहीं मेरा काम मुझे सकून देता है. उससे ही साँसे चलती है. मोबाइल नंबर : 09826957722 09303873136

प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए संचालित सारे कार्यक्रम फेल साबित हो रहे हैं और इसलिए यहां “हम दो हमारे दो” का नारा भी सफल नहीं रहा। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो परिवार नियोजन में पिछले साल की तुलना में लगभग 17 फीसदी की कमी आई है। एनआरएचएम के तहत कराए गए सर्वे में भी यह तथ्य सामने आया कि प्रदेश में परिवार नियोजन की स्थिति बेहद खराब है।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरणा, लाड़ली लक्ष्मी जैसी प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं सहित केंद्र से मिल रहे करोड़ों रूपये के बजट के वाबजूद साल दर साल बढ़ती जनसंख्या और परिवार नियोजन अपनाने वालों में कमी स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय है। ऐसे बढ़ रही जनसंख्या

परिवार नियोजन

कार्यक्रम लक्ष्य लक्ष्यपूर्ती(लाख में) प्रतिशत कमी 2008-09 2009-2010 नसबंदी 7.00 3.64 3.37 48.1 7.4 अस्थाई उपाय 1.02 6.53 5.86 53.2 10.2 सूत्रों के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के चलते लोग इन कार्यक्रमों को अपनाने से परहेज करते हैं। इसके साथ ही विभाग द्वारा वर्ष 2006 में घटिया किस्म की लेप्रोस्कोप मशीनों की खरीदी के कारण कई सरकारी अस्पतालों में नसबंदी की सुविधा ही नहीं है। जिसके कारण साल दर साल परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा करने में कमी आ रही। कार्यक्रम की पोल विभागीय रिपोर्ट से खुल जाती है। जिसमें बताया गया की वर्ष 2009 -10 के लिए भी नसबंदी में सात लाख लोगों का लक्ष्य रखा गया था जबकि केवल 3.37 लाख लोगों की नसबंदी ही की जा सकी। वहीं अस्थाई उपाय अपनाने वालों में भी 10.2 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

नियोजन की काउंसलिंग नहीं

एनआरएचएम द्वारा प्रदेश के 50 हर जिले में कराए गए सर्वे की जानकारी देते हुए 23 मार्च 2010 को लिखा गया है कि उपसंचालक परिवार कल्याण, एमपी टास्क के प्रतिनिधि व सलाहकारों द्वारा जिले के दौरे से पता चला कि जिला और सिविल अस्पतालों सहित सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर परिवार नियोजन की अलग अलग विधियों के बारे में जानकारी व परामर्श नहीं दिया जा रहा है। इस सर्वे में यह भी पता चला कि परिवार नियोजन परामर्शदाता (एफपी काउंसलर) भी लोगों की काउंसलिंग नहीं कर रहे हैं।

लक्ष्य से पिछड़े संभाग

प्रदेश के चार संभागों में परिवार नियोजन कार्यक्रमों की वर्ष 2009-10 में हालत सबसे अधिक खराब रही। इसमें उज्जैन में 14.8 फीसदी कमी, रही वहीं जबलपुर लक्ष्य से 10 फीसदी पिछड़ गया। भोपाल में भी 7.8 प्रतिशत की कमी के कारण परिवार नियोजन कार्यक्रम असफल रहा। वहीं इंदौर और ग्वालियर संभाग का प्रर्दशन अपेक्षाकृत बेहतर है।

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