अपने वास्तविक लक्ष्य को प्रकट किया प्रेस वार्ता में

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नई दिल्ली ,अब तक भारत विरोधी ताकतों के द्वारा हिन्दू समाज को कमजोर करने के लिए विभिन्न नैरेटिव का प्रयोग किया जाता था। पहली बार इन्होंने अपने वास्तविक लक्ष्य को प्रकट किया है। औरंगजेब के बाद पहली बार किसी ने सनातन उन्मूलन की सार्वजनिक धमकी दी है।

वह भी ऐसे व्यक्ति ने जो कि संविधानिक पद पर आसीन है। संविधान की शपथ ले कर मन्त्री बना है।एक धर्मनिरपेक्ष सरकार का मन्त्री भारतीय संविधान का उल्लंघन कर एक धर्म के उन्मूलन की बात कैसे कर सकता है?

‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ में जहाँ यह अत्यन्त हिंसात्मक और घृणास्पद वक्तव्य तमिलनाडु सरकार के मन्त्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिया गया गया वहाँ प्रदेश सरकार के Hindu Religious and Charitable Endowments Minister पी. के. शेखर बाबू भी उपस्थित थे। जिनके हाथों में तमिलनाडु के सारे मठ-मंदिर और उनकी लाखों करोड़ रुपयों की संपत्ति है। जिससे प्रतिवर्ष हजारों करोड़ का राजस्व सरकार प्राप्त करती है। ऐसे मन्त्री इस कार्यक्रम में कैसे शामिल हो सकते हैं? यह तो हिन्दू समाज के संसाधनों से ही हिन्दूओं के उन्मूलन की तैयारी दिख रही है। हमारे मठ-मन्दिर ऐसे हाथों में कैसे सुरक्षित रह सकते हैं?

इसलिए हम महामहिम राष्ट्रपति से यह माँग करते हैं किः
1. तमिलनाडु सरकार के दोनों मन्त्रियों उदयनिधि स्टालिन और पी. के. शेखर बाबू ने जो संविधानिक अपराध किया है उसके लिए दोनों मन्त्रियों को तत्काल मन्त्री पद से बर्खास्त किया जाए।
2. Hindu Religious and Charitable Endowments विभाग को महामहिम राष्ट्रपति अपने नियन्त्रण में लेकर तमिलनाडु के हिन्दू समाज को आश्वस्त करें कि तमिलनाडु के मठ-मन्दिर और उनकी लाखों करोड़ रुपयों की संपत्तियाँ सुरक्षित हाथों में हैं।

अन्य विषयों पर अति सक्रियता का प्रदर्शन करने वाले सर्वोच्च न्यायालय पर भी देश के हिन्दू समाज और साधु-सन्तों की नजर है कि संविधान की शपथ लेकर संविधान विरुद्ध आचरण करने वाले तमिलनाडु सरकार के मन्त्रियों पर संविधान का रक्षक सर्वोच्च न्यायालय क्या कार्रवाई करने जा रहा है ?

उन्मूलन का अर्थ होता है समूल नाश करना। जड़ से उखाड़ फेंकना। इसलिए ‘सनातन उन्मूलन’ हिन्दू समाज के समूल नाश की धमकी है। यह हिन्दुओं के नरसंहार यानि की हिन्दू होलोकॉस्ट की तैयारी है। क्या कोई देश में इस्लाम उन्मूलन या ईसाई उन्मूलन जैसे शब्दों का प्रयोग करने की हिम्मत कर सकता है?

अब देखना है कि हिन्दुओं के उन्मूलन की बात करने वालों पर देश की संवैधानिक संस्थाएँ क्या कदम उठाती हैं? साथ ही लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ इस विषय पर क्या भूमिका निभाता है?

आगामी दो, तीन, चार और पाँच नवम्बर को काशी में संस्कृति संसद होने जा रही है। जिसमें देश के सभी प्रान्तों के चार सौ जिलों से हजारों साधु-सन्त इकट्ठा होने वाले हैं। सन्त समग्रता से इस विषय पर विचार कर यह तय करेंगे कि ‘सनातन उन्मूलन’ करने वालों का समुचित उत्तर हिन्दू समाज को किस प्रकार से देना चाहिए।
पूज्य श्री महन्त रवीन्द्र पुरी जी महाराज (अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद,स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती:महामन्त्री अखिल भारतीय सन्त समिति,आलोक कुमार जी:कार्याध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद्)

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