नीतीश कुमार के खिलाफ हुयें मित्र, अधिकार सभाओं में प्रदर्शनों का तांता

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निशिकांत, पटना

एक ओर मुख्यमंत्री बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के नाम पर पूरे बिहार में अधिकार यात्रा कर रहे हैं तो दूसरी उनकी अधिकार सभाओं में उनके द्वारा नियुक्त मित्र बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मजे की बात है कि बिहार से निकलने वाले तमाम दैनिक समाचार पत्र जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देन के संबंध में प्रत्येक दिन दो-दो पेज छाप रहे हैं, मित्रों के विरोध प्रदर्शनों पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुये हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास यात्रा की शुरुआत 19 सितंबर से चंपारण से हुई है और इसके साथ ही मित्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इसमें सबसे अधिक फजीहत नीतीश कुमार के काफीले को अरेंज करने में लगे प्रशासनिक अधिकारियों को हो रहा है। नाराज मित्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चप्पल तक दिखा रहे हैं।

मुख्यमंत्री जब मोतीहारी में यात्रा पर थे तो उन्हें उनके द्वारा नियुक्त मित्रों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री अपने शासनकाल में मित्रों की नियुक्ति खुब किये। उनके द्वारा बनाये गये शिक्षा मित्र, किसान मित्र, स्वास्थ्य मित्र, विकास मित्र व न्याय मित्र की नियुक्तियां खूब की गई थी । नियुक्ति के समय कहा गया था कि ये लोग अपने घर में जो खाली बैठते हैं उसके बदले तो कुछ मिलता है नहीं इसलिए घर बैठे इनकों रोजगार दे रहें है। इनका मासिक होगा तीन हजार रूपया ।

मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त मित्र अब सड़क पर उतर गयें है। हर जगह मुखयमंत्री के खिलाफ खड़े हो रहे है। मित्रों का कहना है कि बढ़ती मंहगाई में तीन हजार रूपया से क्या होगा। उनका वेतन बढ़ाया जाय। न मित्रों में शिक्षा मित्र का वेतन छः हजार रूपया है। बाकी मित्रों का वेतन तीन हजार रूपया है। शिक्षा मित्रों का कहना है कि एक ही आफिस में समान वेतन होना चाहिए। क्योंकि जो विषय शिक्षक पढ़ाता है वही विषय के लिए उसे पच्चीस से तीस हजार मिलते हैं लेकिन उसी विषय को अच्छी तरह से पढ़ाने पर शिक्षा मित्रों का वेतन एक चपरासी से भी कम मिलता है।

अब मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त मित्र उनके खिलाफ खड़े हो गये है। मुख्यमंत्री के अधिकार यात्रा में ये मित्र हर जगह पूरे दमखम से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मोतीहारी में शिक्षामित्र एवं नियोजित शिक्षकों ने जमकर हंगामा किया। वही सिवान में आशा कार्यकर्ता, छपरा में नियोजित शिक्षक, मुजफ्फरपुर में नियोजित शिक्षक एवं किसान मित्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त शिक्षा मित्रों को इस महंगाई के दौर में अपने परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की बात उनके गले नहीं उतर रही है। उन्हें जहां भी मौका मिल रहा है वहीं प्रदर्शन कर रहे हैं।  इस क्रम में मधुबनी में भी शिक्षकों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। हालांकि शिक्षकों के इस प्रदर्शन से खार खाये नीतीश कुमार इसका पूरी ठीकरा विपक्ष के सिर पर फोड़ रहे हैं। इस तरह के प्रदर्शनों को वह अपने विरोधियों की चाल बता रहे हैं। नीतीश कुमार का कहना है कि इन लोगों को संविदा पर रखा गया था, जब संसाधन बढ़ेंगे तो सुविधाएं दी जायेंगी। लेकिन संसाधन कब तक बढ़ेंगे इस बारे में नीतीश कुमार पूरी तरह से खामोश हैं। फिलहाल तो उनके मन में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के विचार ही उमड़ घुमड़ रहे हैं। इसे बिहार के हक से जोड़ते हुये एक आंदोलन का रूप देने में जुटे हुये हैं। फिलहाल नीतीश सरकार द्वारा नियुक्त मित्रों को विशेष राज्य के दर्जे में कोई रूचि नहीं है. वे तो बस अपना पैसा बढ़ाने की बात कर रहे हैं, और इसे ही वे अपना हाक मान रहे हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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