रुपम को लेकर न्याय कहीं लहुलुहान न हो जाये

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विधायक केसरी की हत्या के मामले में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का दबाव पुलिस पर स्पष्टरूप से दिख रहा है। पुलिस इस बात की तहकीकात कर रही है कि रुपम पाठक विधायक आवास पर किससे साथ आई थी। विधायक केसरी और उनके गुर्गों द्वारा रुपम के यौन शोषण के मामले को टेक्निकल आधार पर पुलिस पूरी तरह से अनदेखी कर रही है। पुलिस का मानना है कि यौन शोषण का मामला अलग है और विधायक केसरी की हत्या का मामला अलग।

सत्ता व्यक्ति को भ्रष्ट करती है और संपूर्ण सत्ता व्यक्ति को संपूर्ण रूप से भ्रष्ट करती है। लगता है सुशासन राज्य के साथ भी यही फार्मूला लागू हो रहा है। भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद सुशासन से जुड़े लोगों की आंखों में सत्ता का माढ़ा पूरी तरह से चढ़ चुका है। न्याय के साथ विकास का नारा देने वाली सरकार अन्याय के पथ पर चल निकली है।

उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी न सिर्फ झूठ पर झूठ बोलते जा रहे हैं बल्कि इनके झूठ के आधार पर पुलिस भी अपनी थ्योरी गढ़ने में लगी हुई है। रुपम के यौन शोषण मामले पर पहली बार कलम चलाने वाले पत्रकार नवलेश को भी पुलिस अपने गिरफ्त में लेने की कोशिश कर रही है। बिना किसी वारंट के पुलिस उसे अपराधियों की तरह उठा ले गई। पूर्णिया के डीआईजी अमित कुमार कह रहे हैं कि इस मामले में नवलेश की भूमिका की भी जांच की जाएगी। यानि पुलिस का इरादा साफ है कि रुपम के पक्ष में जो लोग भी खड़े हैं उन्हें कानूनी तरीके से निपटा दिया जाये। पुलिस ने रुपम के स्कूल को भी सील कर दिया है। अभी तक रुपम के परिजनों को सुरक्षा भी मुहैया नहीं कराया गया है।

रुपम की मां कुमुद मिश्रा सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी गठबंधन धर्म को निभाते हुये इस मामले में पूरी तरह से चुपी साधे हुये हैं। आम जनता यही चाह रही है कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाये। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुपी से लोगों के बीच लोगों के बीच एक नकारात्मक संदेश जा रहा है। अभी तो सरकार का हनीमून भी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में अभी से यदि लोग सरकार की मंशा को लेकर आक्रोशित हो रहे हैं तो इसे शुभ लक्षण नहीं माना जा सकता। बेहतर यही होगा कि नीतीश कुमार रुपम के मामले में बिहार के लोगों की मानसिकता को समझते हुये निरपेक्ष भाव इसकी जांच का मार्ग प्रशस्त करें। वैसे भी रुपम प्रकरण की सीबीआई जांच की चौतरफा मांग उठने लगी है। कहीं ऐसा न हो कि आने वाले समय में विकास की चर्चा तो हो, लेकिन न्याय लहुलुहान हो जाये।

2 COMMENTS

  1. Now,when journalists like you are raising voices against such incidents,I doubt that anyone can supress these anger and resentment against these corrupt and emotionless criminal leaders.Bihar will see the true light with your visions.
    Best wishes to Tewar !!

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