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बिग बॉस फेम अर्शी खान की डेब्यू हिंदी फिल्म “त्राहिमाम” दिल दहला देगी

सच्ची घटना पर बेस्ड निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह का रियल सिनेमा

अमरनाथ, मुंबई

फ़िल्म समीक्षा : त्राहिमाम
निर्देशक ; दुष्यंत प्रताप सिंह
कलाकार : अर्शी खान, पंकज बेरी, आदी ईरानी, मुश्ताक खान, एकता जैन
निर्माता ; दुष्यंत कार्पोरेशन, सुमेन्द्र तिवारी, नीतू तिवारी और फहीम आर कुरैशी
रेटिंग ; 3 स्टार्स

फ़िल्म मेकर दुष्यंत प्रताप सिंह रियलिस्टिक सिनेमा बनाने वाले फिल्मकार माने जाते हैं, जिनकी फिल्मों में एक सन्देश भी होता है।त्राहिमाम दुष्यंत प्रताप सिंह के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। यह फ़िल्म कानपुर के पास एक गांव में हुई रियल घटना पर आधारित है। बिग बॉस फेम अर्शी खान बधाई की पात्र हैं कि उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में अपनी शुरुआत के लिए त्राहिमाम जैसा सिनेमा चुना जो महिला उत्पीड़न के सब्जेक्ट पर एक जागरूक सिनेमा है। सोसाइटी को आइना दिखाती त्राहिमाम आज के युग मे भी औरतों के हो रहे शोषण को दर्शाती है।

फ़िल्म राजस्थान में खून खराबे का दौर दिखाती है। जहां जुर्म है, अपराधियों, पॉवर, क्रप्शन, दुश्मनी, शोषण की दास्तान है। यहां अत्याचार हद से ज्यादा बढ़ा हूआ है और त्राहिमाम की आवाजें आ रही हैं। बिग बॉस से शोहरत हासिल करने वाली ग्लैमरस अभिनेत्री अर्शी खान ने फ़िल्म में चंपा नाम की एक मजदूर का किरदार निभाया है, जो ईंट के भट्टे पर काम करती है, मगर पुरुष प्रधान समाज उसका शोषण करता है और इस पूरे मामले में उसका कोई साथ नहीं देता। पुलिस, एमएलए, कानून सब से वह जैसे हार जाती है मगर कहा गया है कि जब ज़ुल्म की इंतेहा हो जाती है तो फिर कुछ चमत्कार होता है। फ़िल्म का क्लाइमेक्स खतरनाक है जो रौंगटे खड़े कर देने वाला है। यह फ़िल्म अर्शी खान की बेहतरीन अदाकारी से सजी है।पंकज बेरी, सुमेन्द्र तिवारी, आदी ईरानी और एकता जैन ने भी अपने अभिनय से चौंकाया है। एक वकील के रोल में एकता जैन का काम देखने लायक है।

निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह ने फिल्म “त्राहिमाम” के विषय और इसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इसे पेश किया है। अचलेश्वर फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म के संवाद और टाइटल सॉन्ग शानदार है।

एक सच्ची घटना पर बेस्ड त्राहिमाम देखने लायक सिनेमा है जो दिल को दहला देता है कि इस प्रकार की घटनाएं कब तक महिलाओं के साथ होती रहेंगी।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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