रेजांगला गीत 1962 के शहीदों को हमारी एक भावभीनी श्रद्धाजंलि है – रवि यादव

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राजू बोहरा, नई दिल्ली,
मूलतः गाजियाबाद उत्तर प्रदेश निवासी और अब मुम्बई में बतौर फिल्म निर्माता,अभिनेता एवं गीतकार काम करने वाले रवि यादव ने अभी हाल ही में 1962 के भारत चीन युद्ध के संदर्भ में एक बहुत ही मार्मिक गीत लांच किया है जिसे गाया है मशहूर गायक विनोद राठौड़ ने और संगीत दिया है हृज्जु रॉय ने, निर्देशक है मशहूर विज्ञापन निर्देशक मयूर पोपट और गीतकार और निर्माता हैं रवि यादव।  रवि ने काफी टीवी धारावाहिकों और फिल्म्स में काम भी किया है और उनका निर्माण भी किया है। रवि यादव को साहित्य में काफी रुचि है उनकी अब तक कविता व कहानी की चार किताबें आ चुकी हैं और वो देश भर में मंचों पर कविता पाठ के लिए भी जाते हैं। रवि अपने गीतों के जरिए सामाजिक मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं।  पिछले साल उन्होंने पिता और पुत्र के रिश्तों पर आधरित एक बहुत ही भावनात्मक गीत ”बाबू जी” लांच किया था जिसे काफी सराहा गया। इस गीत में रवि ने मशहूर अभिनेता आलोकनाथ को बाबू जी रूप में पर्दे पर उतारा था। और इन दिनों रवि गंगा सफाई पर एक गाने को शूट करने में व्यस्त है जिसकी शूटिंग कानपुर, हरिद्वार, वाराणसी सहित अलग अलग जगहों पर चल रही हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता-निर्माता एवं गीतकार रवि यादव के लिखे गीतों को कैलाश खेर, कुमार सानू, शान, उदित नारायण, विनोद राठौड़, साधना सरगना, महालक्ष्मी जैसे मशहूर बॉलीवुड के सिंगर्स गा चुके हैं। हमने रवि यादव से इस गीत के संदर्भ में खास बातचीत की। प्रस्तुत है उसके प्रमुख अंश –
रेजांगला युद्ध क्या है इसके बारे में कुछ बताएं?
जब भी 1962 भारत चीन युद्ध की बात होती है तो सिर्फ यही बात होती है कि भारत चीन से हार गया था। ये बात सही है कि उस यद्ध में भारत, चीन के धोखे का शिकार हो गया था लेकिन उस युद्ध में भी रेजांगला एक चैकी थी जिस पर हमारी भारतीय सेना ने चीन के घुटने टिकवा दिए थे। वो दीवाली की रात थी और चीन ने हिंदी चीनी भाई भाई के नारे को भूलकर धोखे से भारत पर हमला कर दिया था। ज्यादातर जगह हमारी टुकड़ियां बहादुरी से लड़ रही थी मगर चीन भारी पड़ रहा था क्योंकि उसके पास हथियार गोला बारूद सेना सबकुछ हमसे ज्यादा था। ऐसे में जब जब चीन सब कुछ तबाह करता हुआ आगे बढ़ रहा था तो लेह लदाख की  रेजांगला चैकी पर मेजर शैतान सिंह भाटी वीर अहीरों की एक टुकड़ी के साथ तैनात थे। ये 13 कुमायूँ रेजीमेंट की चार्ली कंपनी थी। इस टुकड़ी में यादवों को भर्ती किया जाता है। मेजर शैतान सिंह और ये 120 यादव सैनिक अपनी चैकी छोड़ने को तैयार नहीं हुए। उन्होने पीठ दिखाने के बेहतर मातृभूमि पर कुर्बान होना स्वीकार किया। ये कुल 120 थे चीनी 3000 से ज्यादा थे। हमारे सैनिक दादा किशन जी जय बोलकर लड़ गए। 18 नवम्बर की सुबह करीब 3.30 पर युद्ध शुरू हुआ और 8 बजते बजते खत्म हो गया। इस बीच में हमारे इन कुल 114 ने अपनी शहादत दी और 1400 से ज्यादा चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। बाकी बची चीनी सेना भी घायल हो चुकी थी। इतना भारी जान का नुकसान देखकर चीन घबरा गया और उसने युद्ध विराम की घोषणा कर दी। इस वीरता की दूसरी मिसाल दुनिया में नहीं मिलती। जहां इतने कम सैनिकों ने पुराने हथियार और कम गोला बारूद होते हुए भी इतने ज्यादा दुश्मन  सैनिकों को मार गिराया हो। इतने सैनिक सम्मान एक युद्ध के लिए किसी एक टुकड़ी के पास नहीं हैं। एक परमवीर चक्र, आठ वीर चक्र, चार सेना मैडल, एक अति विशिष्ट सेवा मैडल से इस टुकड़ी को सम्मानित किया गया। इसी घटना से प्रेरित होकर पंडित प्रदीप जी ने ये गीत लिखा था ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आँख में भर लो पानी जिसे लता जी की मधुर आवाज ने कालजयी बना दिया।
आपके मन में ये देश भक्ति गीत बनाने  ख्याल कैसे आया?
करोड़ों लोगों की तरह मेरे मन में भी भारतीय सेना के लिए बहुत अधिक सम्मान है। मुझे हमेशा लगता है कि ऐसा क्या किया जाए जिस से सेना के प्रति अपने सम्मान अपने प्रेम को में जाहिर कर सकूँ। मुझे 3 साल पहले इस घटना के बारे में पता चला तो गर्व भी हुआ और दुख भी कि इतनी बड़ी गौरव गाथा इतिहास के पन्नों में दबकर रह गई। इसलिए मुझे लगा कि उस पर काम किया जाना चाहिए। इस तरह पुरानी वीरगाथाएं जो वक्त की धूल में  दबती जा रही हैं हमें उन्हें नई पीढ़ी की सामने रखना होगा।
इसी घटना को क्यूँ चुना?
हमारी भारतीय भूमि वीरों की जननी है। आप देखेंगे कि ऐसी अनगिनत शौर्य गाथाएँ हमारे वीरों ने लिखी हैं। किसी से तो शुरू करना ही था इसलिए इस से शुरू किया। आगे हम बाकी वीरगाथाओं पर भी काम कर रहे हैं। हमारा मकसद ये था कि लोगों को पता चले कि एक ऐसी भी दीवाली हमारे जवानों ने मनाई थी।
इस गीत को बनाने का अनुभव कैसा रहा?
बहुत ही भावनात्मक रहा। बहुत बार रोना आता था बहुत बार गर्व से सीना चैड़ा हो जाता था। हमने करीब 6 महीने इस गीत को पूरा करने में लगाये। पूरी टीम जो बनाने में लगी थी, जो आर्थिक सहयोग कर रहे थे किसी का भी मकसद इस गीत से कुछ पाना नहीं था बल्कि उन शहीदों को नमन करना भर था। ये गीत अगर आज इतना पसंद किया जा रहा है तो वो सिर्फ मेरी मेहनत नहीं है इसके निर्देशक मयूर पोपट, संगीत निर्देशक हृज्जु रॉय और इसके गायक विनोद राठौड़ जी के साथ काफी लोगों का दिन रात का सहयोग है। हम दोस्तों ने कुछ पैसे अपनी जेब से डाले और कुछ चंदा इकठ्ठा करके गाना बनाया। मैं रिसर्च के लिए वंदना यादव जी और आर्थिक सहयोग के लिए बड़े भाई सुदेश यादव, राजकुमार यादव, कर्नल जितेंद्र यादव, शिवजन्म यादव, रामावतार यादव, धर्मेंद्र राव जी, मुकेश यादव, अनिल यादव और विक्रम यादव जी का भी आभारी हूँ कि इस नेक काम में उन्हीने सहयोग किया।
आपकी आगे आगामी योजनाएं क्या क्या है ?
भारतीय सेना के शौर्य को लेकर ये मुहिम चालू रहेगी। इस गीत को जिस तरह लोगों का प्यार और आशीर्वाद मिला है उसके बाद अब हम दूसरी शौर्यगाथा पर काम शुरू करेंगे। साथ ही साथ दिसंबर ,जनवरी तक हमारी एक फिल्म शुरू हो जाएगी जो गाँधी को एक अलग ऐंगल से दर्शाएगी। एक किताब पर काम कर रहा हूँ  बहुत जल्द उसका भी प्रकाशन होगा। साथ ही गंगा सफाई को लेकर एक गीत का शूट बहुत जल्द पूरा हो जाएगा। गंगा वाले गीत की खास बात ये है कि इस गीत की नींव डालने वाले हमारे बड़े भाई और मित्र हाजी शकील कुरेशी हैं। यही भारतीय संस्कृति की खूबसूरती है कि एक मुस्लिम भाई ये मुहिम शुरू करता है कि गंगा को स्वच्छ बनाना है।
रेजांगला गीत के बारे में क्या कहना चाहेंगे ?
यही की रेजांगला गीत 1962 के शहीदों को हमारी एक भावभीनी श्रद्धाजंलि है, रेजांगला के वीर शहीदों पर काम करना हमारे लिए बेहद गौरव की बात है, भारतीय सेना के शौर्य और गौरव को लेकर हम आगे भी काम करते रहेंगे।

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