वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी तंग थे इंस्पेक्टर बालेश्वर प्रसाद से

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इंस्पेक्टर बालेश्वर प्रसाद

 

आशुतोष कुमार पांडेय, मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर में कुछ ही दिन पहले एक घटना हुई थी। बच्चों को सुनायी जाने वाली किसी राजा-रानी की कहानी जैसी थी। लेकिन राजा-रानी की कहानी का अंत सुखद होता है। बच्चे सुनकर नींद की आगोश में समा जाते हैं। लेकिन इस कहानी में वह सब कुछ है जो एक मसाला फिल्म में होता है। धमकी, चरित्रहीनता, ईष्या, द्वेष, वर्दी को ताक पर रखकर किया जाने वाला कुकर्म। सब कुछ। जिसे सुनकर आपको शर्म भी आए। बात शुरू होती है- एक छोटी सी बच्ची जैसा अपना नाम रखने वाली पिंकी से..।

जी हां.. यह वह पिंकी नहीं है जिसे हेराफेरी फिल्म में परेश रावल और अक्षय कुमार केले खाने को देते हैं। यह पिंकी कहने को तो स्टेट बैंक आफ इंडिया की एडवाइजर थी। जो लोगों को क्या समझाती थी भगवान जाने। लेकिन उसके एकाउंट में करोड़ों का लेखा- जोखा पकड़ा गया। वह बैंक प्रबंधकों से मिलकर किसानों को केसीसी दिलवाती थी। और फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपए का घालमेल करती थी। लेकिन सभी कहानियों की तरह इसका भी भंडाफोड़ हुआ। गिरफ्तारी के लिए मुजफ्फरपुर के अहियापुर इंस्पेक्टर को भेजा गया। बेचारे गए तो उसके घर पर लेकिन गिरफ्तार नहीं किए। सेटिंग करके चले आए। वैसे वे पहले भी हाईप्रोफाइल दलालों के माध्यम से होटलों में घूस खाते थे। नाम भी उनका काफी पवित्र है। बालेश्वर प्रसाद। खैर अभी उनकी गिरफ्तारी का वारंट निकल चुका है और जिस थाने में वे पदस्थापित थे, हो सकता है उसी हाजत में उन्हें बंद होना पड़े।

खैर.. बात बालेश्वर जी के करतूतों की हो रही थी। जरा आप भी पहचान लें अपने रक्षकों को। तो बाबू बालेश्वर जी पिंकी को गिरफ्तार तो नहीं कर सके। उल्टे पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक को उठा लिया। इतना ही नहीं जब प्रबंधक की गलती थी तो उन्हें थाने लाते। ऐसा नहीं हुआ, प्रबंधक को गिरफ्तार कर होटल में रखा। दो तीन दिन तक दलाल के माध्यम से प्रबंधक को छोड़ने की बात चलती रही। बाद में जब प्रबंधक ने पैसा देना कबूल नहीं किया तो उसे जेल भेज दिया गया। बालेश्वर के काले कारनामों से इन दिनों उत्तर बिहार के सभी समाचार पत्र रंगे रहते हैं। भगवान ही जाने इतनी अच्छी सेलरी होने के बाद भी ये लोग क्या चाहते हैं। जी यह हम नहीं पूछ रहे हैं। आपके मन में भी सवाल उठ सकता है।

तो हे तात.. बालेश्वर के काले कारनामे दिन-ब- दिन बढ़ते जा रहे थे। काफी लोग उसके आतंक से त्रस्त थे। तभी उसके खिलाफ मिलने वाली शिकायतों से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी तंग आ गए। अधिकारियों ने उस पर जांच बिठाया और उसमें पता चला कि यह पवित्र शिवलिंग के नामवाला आदमी तो पूरा खतम है। श्री कृष्ण बोले.. हे धर्मराज आज भी तो धरती पर या कर्मक्षेत्र में ईमानदार और कर्तव्‍यनिष्ठ लोग तो हैं ही। जिनके यहां आम लोगों की फरियादें सुनी जाती हैं। तिरहुत प्रक्षेत्र के आईजी ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया और बालेश्वर को बेतिया भेज दिया। साथ में सजा पाने वाले इस इंस्पेक्टर का निलंबन भी हो गया। लेकिन कुत्ते की दुम भला सीधी कैसे हो।

धर्मराज ने कहा.. हे तात आगे कहो- यह कहानी तो महाभारत काल से भी ज्यादा स्वादिष्ट लग रही है। श्री कृष्ण बोले तो सुनिए.. बालेसरा तो है इंस्पेक्टर लेकिन डीएसपी को धमकी दे डाला कि तुमको देख लेंगे। अब फिर क्या बात बड़े लोगों तक पहुंची। अब जरा सुनिए उसने उल्टे कोर्ट में वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारियों पर दलित प्रताड़ना का मामला भी दर्ज करवा दिया। अब जरा बताइए। बिहार के किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और फारबिसगंज की छोटी अदालतों में बलात्कार के आने वाले नब्बे फीसदी मामले किसी न किसी को फंसाने वाले होते हैं। लेकिन इसे लेकर आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जब किसी अधिकारी के चरित्र और उसकी छवि को पूरा बिहार जानता हो और उस पर बिना सोचे समझे कोई मामला दर्ज हो जाता है तो फिर आम आदमी की औकात क्या है।

हे तात.. यह तो महाभारत काल वाला युग आ गया क्या। मामला दर्ज होने के बाद वारंट निकलता है.. यदि वारंटी पैसेवाला रहा तो बलेसरा जैसे को पैसा खिलाकर शांत रहता है और गरीब रहा तो उसकी गिरफ्तारी दूसरे दिन। यह क्या है। क्यों हजारों बेकसूर पूरे देश में रोजाना फर्जी मामलों में जेल भुगतते हैं। श्री कृष्ण बोले धर्मराज.. क्या कीजिएगा। आजकल देश पर काले अंग्रेजों का शासन है। यहां जनप्रतिनिधत्‍व करने के लिए दो-चार का खून करना जरूरी है। इससे  आपका दबदबा रहेगा। नहीं तो कोई बड़ा घोटाला कर दीजिए। स्पेक्ट्रम जैसा। आपकी बल्ले बल्ले। यह वहीं देश है.. जहां बुंदेलखंड में किसी माया के घर में जब घास की रोटी पकती है तो वहां जश्न का माहौल होता है। और किसी की शादी में लाखों रुपए के खाने फेंक दिए जाते हैं। यह वही देश है जहां तस्लीमुद्दीन जैसा नेता कभी गृहराज्यमंत्री तक बन जाता है और ईमानदार छवि और कर्तव्‍यनिष्‍ठ अपने घर में पड़े-पड़े किस्मत को कोसता है। यह वही देश है जहां क्रिकेट के खिलाड़ी मिनरल वाटर से नहाते हैं। वहीं अपने देश के राष्ट्रीय खेल के खिलाड़ी रेलवे स्टेशन पर पानी पीने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं।

खैर बहुत सारी बातें हैं। हे तात.. तो बलेसरा की हिम्मत इतनी कि उसने केस तक कर दिया। अरे आप जानते नहीं हैं न.. उसने बहुत कमाया है मुजफ्फरपुर से। सुनते हैं दार्जीलिंग, सिंगटाम और हरिद्वार में कहीं जमीन खरीद रहा है। बाप रे बाप!  इतना खून चूसा है। आम लोगों का। त आउर का। इसको कोई गम है। कह रहा है कि कौन नौकरी लेगा इसका। आईबी वाले तो जानते ही हैं कि ई पिंकी का पति बनने की फिराक में था। क्योंकि पिंकी के मासूम चेहरे और उसके पैसे पर तो इसकी नियत उसी दिन डोल गई थी जिस दिन ई उसे गिरफ्तार करने गया था। खैर रात बहुत हो गई बाद में ई ससुरा की कहानी कहेंगे।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

3 COMMENTS

  1. OH NOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOO??????????????????????????????????????????????

  2. क्या आशुतोष जी जैसे लिखने वाले अभी भी है…………..। मुझे शक होता है। ऐसे लोगों को पत्रकारिता में अछ्छे स्थान क्यों नहीं मिलते। आपने जो लिखा उस बेबाक लेख के लिए आपको धन्यवाद। साईट के संपादक को निर्देश आशुतोष जी जैसे लोगों के लेख आते रहें तो अच्छा होगा। आपके वेवसाईट का नियमित पाठक

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