20 फरवरी को पटना पहुंचेगी मदर एक्सप्रेस

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तेवरआनलाईन, हाजीपुर

मदर टेरेसा के जन्म वार्षिकी पर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए भारतीय रेल द्वारा ‘मदर एक्सप्रेस‘ नामक प्रदर्शनी गाड़ी चलाने का फैसला किया गया है । रेल मंत्री सुश्री ममता बनर्जी द्वारा इस विशेष ट्रेन को 26 अगस्त को सियालदह स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था । इस गाड़ी में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मदर टेरेसा के जीवन और उनके कार्यों को चित्रों और पेंटिग्स के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है । पूरी तरह से वातानुकूलित इस प्रदर्शनी गाड़ी में कुल 6 कोच हैं जिसमें तीन कोचों में मदर टेरेसा से संबंधित प्रदर्शनी हैं । रेल हैरिटेज मैनेजर, पूर्व रेलवे की देखरेख में इस प्रदर्शनी गाड़ी को लिलुआ के कोचिंग वर्कशाप में बनाया गया  है । इसका मूल रंग उजला और नीला है । विदित हो कि मिशनरीज आफ चैरिटी की संस्थापिका मदर टेरेसा नीली बाडर वाली श्वेत साड़ी पहना करती थीं ।

पूर्व मध्य रेल में यह प्रदर्शनी सबसे पहले 14 फरवरी, 2011 को डाल्टेनगंज आयेगी । यहां यह गाड़ी एक दिन रूकने के बाद 16 फरवरी को धनबाद पहुंचेगी और यहां यह  विशेष गाड़ी दो दिन- 16 एवं 17 फरवरी, 2011 को लोगों के लिए खुली रहेगी । इसके बाद यह गाड़ी 20 फरवरी को पटना पहुंचेगी जहां यह प्रदर्शनी गाड़ी लोगों को देखने के लिए 20 एवं 21 फरवरी को खुली रहेगी । पटना के बाद मदर एक्सप्रेस 22 फरवरी को मुजफ्फरपुर पहुंचेगी । यहां यह गाड़ी आम लोगों के प्रदर्शनी के लिए 22 एवं 23 फरवरी को उपलब्ध रहेगी । पूर्व मध्य रेल में यह विशेष गाड़ी अपने अंतिम पड़ाव के रूप में समस्तीपुर पहुंचेगी । समस्तीपुर में यह प्रदर्शनी गाड़ी आम लोगों के लिए   24 फरवरी को खुली रहेगी । इस गाड़ी  प्रदर्शनी गाड़ी को देखने के लिए आने वाले लोगों की सुविधा हेतु इस विशेष गाड़ी की प्रत्येक कोच में रेलकर्मचारियों तथा स्काउट एवं गाईड के स्वयंसेवकों को लगाया गया है  ।

मदर टेरेसा का जन्म वर्तमान मेसिडोनिया रिपब्लिक के स्कोपजे शहर में 26 अगस्त, 1910 को हुआ था । इसीलिए मदर एक्सप्रेस की  शुरूआत 26 अगस्त, 2010 को की गयी है ।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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