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Wednesday, April 24, 2024
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दयानंद पांडेय

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अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फ़त लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर ज़िले के एक गांव बैदौली में हुआ। हिंदी में एम.ए. करने के पहले ही से वह पत्रकारिता में आ गए। वर्ष 1978 से पत्रकारिता। उन के उपन्यास और कहानियों आदि की कोई 26 पुस्तकें प्रकाशित हैं। लोक कवि अब गाते नहीं पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान, कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फ़ेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान। लोक कवि अब गाते नहीं का भोजपुरी अनुवाद डा. ओम प्रकाश सिंह द्वारा अंजोरिया पर प्रकाशित। बड़की दी का यक्ष प्रश्न का अंगरेजी में, बर्फ़ में फंसी मछली का पंजाबी में और मन्ना जल्दी आना का उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। बांसगांव की मुनमुन, वे जो हारे हुए, हारमोनियम के हज़ार टुकड़े, लोक कवि अब गाते नहीं, अपने-अपने युद्ध, दरकते दरवाज़े, जाने-अनजाने पुल (उपन्यास),सात प्रेम कहानियां, ग्यारह पारिवारिक कहानियां, ग्यारह प्रतिनिधि कहानियां, बर्फ़ में फंसी मछली, सुमि का स्पेस, एक जीनियस की विवादास्पद मौत, सुंदर लड़कियों वाला शहर, बड़की दी का यक्ष प्रश्न, संवाद (कहानी संग्रह), कुछ मुलाकातें, कुछ बातें [सिनेमा, साहित्य, संगीत और कला क्षेत्र के लोगों के इंटरव्यू] यादों का मधुबन (संस्मरण), मीडिया तो अब काले धन की गोद में [लेखों का संग्रह], एक जनांदोलन के गर्भपात की त्रासदी [ राजनीतिक लेखों का संग्रह], सिनेमा-सिनेमा [फ़िल्मी लेख और इंटरव्यू], सूरज का शिकारी (बच्चों की कहानियां), प्रेमचंद व्यक्तित्व और रचना दृष्टि (संपादित) तथा सुनील गावस्कर की प्रसिद्ध किताब ‘माई आइडल्स’ का हिंदी अनुवाद ‘मेरे प्रिय खिलाड़ी’ नाम से तथा पॉलिन कोलर की 'आई वाज़ हिटलर्स मेड' के हिंदी अनुवाद 'मैं हिटलर की दासी थी' का संपादन प्रकाशित। सरोकारनामा ब्लाग sarokarnama.blogspot.in वेबसाइट: sarokarnama.com संपर्क : 5/7, डालीबाग आफ़िसर्स कालोनी, लखनऊ- 226001 0522-2207728 09335233424 09415130127 dayanand.pandey@yahoo.com dayanand.pandey.novelist@gmail.com Email ThisBlogThis!Share to TwitterShare to FacebookShare to Pinterest

अदम गोंडवी की पांच गजलें

काजू भूनी प्लेट में, व्हिस्की गिलास में/ राम राज्य आया है विधायक निवास में, जैसे शेर लिखने वाले अदम गोंडवी वास्तव में दुष्यंत कुमार...

भस्मासुर में तब्दील होती जा रही मीडिया

दयानंद पांडेय// ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी और बिज़नेस हेड समीर आहुलवालिया की आज हुई गिरफ़्तारी का स्वागत किया जाना चाहिए। मीडिया के लिए...

बेनी की बेलगाम बयानबाज़ी के मायने और बहाने

जैसे हिंदी फ़िल्मों से अब कहानी गुम है, वैसे ही अब राजनीति से विचार गुम हैं। सामाजिक न्याय की राजनीति ने इस विचारहीन राजनीति...

रेखा : शोख हसीना के विरह गीत

पहले शोख फिर सेक्स बम से अभिनय की बढ़त बनाने वाली रेखा की शोहरत एक संजीदा अभिनेत्री के सफ़र में बदल जाएगी यह भला...

शोखी का पर्याय एक थीं दिव्या भारती

शोख,चुलबुली और देहाभिनय की एक नई भाषा गढ़ने वाली दिव्या भारती की याद है क्या आप सब को अभी भी? चलिए हम ही याद...

का हो अखिलेश, कुछ बदली उत्तर प्रदेश !

प्रिय अखिलेश जी,  आप जानते ही हैं कि हमारे देश के लोग और खास कर उत्तर प्रदेश के लोग साक्षरता से ले कर रोजगार तक...

अमरीका की धरती पर भारतीयता की खुशबू में लिपटी कहानियां

हिंदी कहानी में अमरीकी आकाश के अक्स में भारतीय स्त्री की छटपटाहट को, उस की तकलीफ, उस की संवेदना की नसों में निरंतर चुभ...

हिंदी फिल्मों की खाद भी है, खनक भी है और संजीवनी...

अमजद खान तो कामेडी भी करने लग गए। लव स्टोरी और चमेली की शादी की याद ताज़ा कीजिए। खैर अब फ़िल्मों का ट्रेंड भी...

अब चुनाव निशान भर नहीं, हाथी हथियार है मायावती के लिए

  चाहे कोई माने या न माने चुनाव आयोग ने पहले राउंड में तो हाथी को वाकओवर दे दिया है। सचाई यह है कि इस...

हिंदी फ़िल्मों की खाद भी है, खनक भी और संजीवनी भी...

खलनायक जैसे हमारी समूची ज़िंदगी का हिस्सा हैं । गोया खलनायक न हों तो  ज़िंदगी चलेगी ही नहीं। समाज जैसे खलनायकों के त्रास में...