दयानंद पांडेय
अदम गोंडवी की पांच गजलें
काजू भूनी प्लेट में, व्हिस्की गिलास में/ राम राज्य आया है विधायक निवास में, जैसे शेर लिखने वाले अदम गोंडवी वास्तव में दुष्यंत कुमार...
भस्मासुर में तब्दील होती जा रही मीडिया
दयानंद पांडेय//
ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी और बिज़नेस हेड समीर आहुलवालिया की आज हुई गिरफ़्तारी का स्वागत किया जाना चाहिए। मीडिया के लिए...
बेनी की बेलगाम बयानबाज़ी के मायने और बहाने
जैसे हिंदी फ़िल्मों से अब कहानी गुम है, वैसे ही अब राजनीति से विचार गुम हैं। सामाजिक न्याय की राजनीति ने इस विचारहीन राजनीति...
रेखा : शोख हसीना के विरह गीत
पहले शोख फिर सेक्स बम से अभिनय की बढ़त बनाने वाली रेखा की शोहरत एक संजीदा अभिनेत्री के सफ़र में बदल जाएगी यह भला...
शोखी का पर्याय एक थीं दिव्या भारती
शोख,चुलबुली और देहाभिनय की एक नई भाषा गढ़ने वाली दिव्या भारती की याद है क्या आप सब को अभी भी? चलिए हम ही याद...
का हो अखिलेश, कुछ बदली उत्तर प्रदेश !
प्रिय अखिलेश जी,
आप जानते ही हैं कि हमारे देश के लोग और खास कर उत्तर प्रदेश के लोग साक्षरता से ले कर रोजगार तक...
अमरीका की धरती पर भारतीयता की खुशबू में लिपटी कहानियां
हिंदी कहानी में अमरीकी आकाश के अक्स में भारतीय स्त्री की छटपटाहट को, उस की तकलीफ, उस की संवेदना की नसों में निरंतर चुभ...
हिंदी फिल्मों की खाद भी है, खनक भी है और संजीवनी...
अमजद खान तो कामेडी भी करने लग गए। लव स्टोरी और चमेली की शादी की याद ताज़ा कीजिए। खैर अब फ़िल्मों का ट्रेंड भी...
अब चुनाव निशान भर नहीं, हाथी हथियार है मायावती के लिए
चाहे कोई माने या न माने चुनाव आयोग ने पहले राउंड में तो हाथी को वाकओवर दे दिया है। सचाई यह है कि इस...
हिंदी फ़िल्मों की खाद भी है, खनक भी और संजीवनी भी...
खलनायक जैसे हमारी समूची ज़िंदगी का हिस्सा हैं । गोया खलनायक न हों तो ज़िंदगी चलेगी ही नहीं। समाज जैसे खलनायकों के त्रास में...