क्यों तेजप्रताप से भयभीत है आरजेडी में सक्रिय कॉरपोरेटवादियों की लॉबी ?
क्या तेजस्वी यादव की आड़ में राजद का कॉरपोरेटीकरण हो रहा है? क्या राजद का कॉरपोरेटीकरण करने वाले लोग तेजस्वी यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर पूरी पार्टी पर काबिज होने की गहरी साजिश कर रहे हैं? क्या राजद अब गरीब गुरबों के हक में सोचने वाली पार्टी की भूमिका नहीं निभा रहा है? क्या राजद में लालू के नक्शें कदम पर चलने वाले का दम भरने वाले तेज प्रताप यादव को अंदरखाते निपटाने की तैयारी चल रही है? और क्या राजद के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव पार्टी में चल रही इन साजिशों से वाकिफ हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन पर पार्टी के अध्ययक्ष पद पर तेजस्वी की ताजपोशी की तैयारियों की खबर के बीच चर्चा करना निहायत ही जरूरी है।
कठपुतली की भूमिका में तेजस्वी !
राजद के अंदर एक लॉबी द्वारा तेज प्रताप को पीछे धकेलते हुए तेजस्वी यादव को एक कामयाब और उर्जावान नेता तौर पर स्थापित करने की कोशिश लगातार की जाती रही है। इसकी भी ईमानदारी से पड़ताल करने की जरूरत है कि क्या वाकई में तेजस्वी वाकई में उतने सक्षम और कामयाब हैं जितना उन्हें बताया जा रहा है, या फिर राजद के अंदर सक्रिय एक लॉबी के हाथ में अपनी अंधी महत्वकांक्षाओं के साथ वह महज कठपुतली बने हुए हैं?
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस,सीपीआई और सीपीएम को साथ लेकर तेजस्वी यादव ने राजद को नंबर एक पोजिशन पर तो ला दिया लेकिन बिहार की सत्ता से वह वंचित रह गये, जबकि उस वक्त कई वजहों से बिहार की राजनीतिक परिस्थितियां राजद के लिए साजगार थी। सत्ता पर काबिज होने से राजद का चूक जाना कहीं न कहीं उसकी गलत और अवैज्ञानिक रणनीति का ही परिणाम था। राजद का सत्ता से वंचित रह जाने की खास वजह कहीं वह लॉबी तो नहीं थी जो उस समय तेजस्वी को चेहरा बनाकर टिकट बंटवारा से लेकर चुनाव प्रबंधन तक का कमान संभाले हुए थी ?
मौर्या होटल में महागठबंधन की सीट शेयरिंग से संबंधित संयुक्त प्रेस कांफ्रेस से मुकेश सहनी के नेतृत्व में वीआईपी का महागठबंधन से अचानक बाहर निकलना क्या तेजस्वी के नेतृत्व क्षमता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता ? उनके चुनाव संबंधी एक महत्वपूर्ण प्रेस कांप्रेंस में उनके एक घटक दल का नेता क्या करने वाला है इसका उन्हें तनिक भी भान नहीं होना क्या साबित करता है? सही मायने में देखा जाये तो उसी दिन यह तय हो गया था कि चाहे चुनाव परिणाम कुछ भी क्यों न हो तेजस्वी सत्ता में नहीं आएंगे।
मजे की बात है कि टिकट बंटवारे के दौरान तेजप्रताप जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों को अधिक से अधिक टिकट देने की बात कर रहे थे लेकिन उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। दरअसल राजद में सक्रिया एक लॉबी चाहती ही नहीं थी कि तेजप्रताप यादव का प्रभाव पार्टी में बढ़े। तेजप्रताप के सुझाव वाले तमाम नामों को खारिज कर दिया गया, चुनावी रणनीति बनाने की प्रक्रिया से भी उन्हें दूर रखा गया।
तेजस्वी यादव उस लॉबी के हाथ में पूरी तरह कठपुतली की भूमिका में रहे। यह लॉबी तेजस्वी के कानों में बार बार भावी मुख्यमंत्री की चासनी टपका कर उन्हें आज भी पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में लिए हुए है। अब तो आलम यह है कि खुद को मुख्यमंत्री समझने का खुमार उनके सिर पर इतना चढ़ गया है कि सार्वजनिकतौर पर वह यह कहने लगे हैं कि यदि सीएम नीतीश कुमार से कुर्सी नहीं संभल रही है तो उसे छोड़ दें वह संभाल लेंगे मानों सीएम की कुर्सी पर कोई भी किसी को भी बैठा सकता है।
राजद में हावी कारपोरेट कल्चर और बैठकबाज प्रदेश अध्यक्ष
राजद की ताकत गरीब गुरबा है। पार्टी दफ्तर में उनकी आवाजाही बेधड़क होती थी, जिसे जगदानंद सिंह के राजद का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही नियंत्रित किया जा रहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पूरी तरह से एक बैठकबाज नेता की भूमिका में हैं। कभी यह दफ्तर से बाहर निकलते ही नहीं है और दफ्तर में बैठते भी हैं तो पूरी ठसक के साथ। इनसे मिलने के लिए कार्यकर्ताओं को तो छोड़ दें, पार्टी के विधायकों और पत्रकारों तक को पुर्जे लिखकर देने पड़ते हैं। अंदर हरीझंडी मिलने के बाद ही कोई उनसे मिल पाता है। अनुशासन के नाम पर उन्होंने पार्टी को गरीब गुरबों से पूरी तरह से काट दिया है। निजी लाभ उठाने की फिराक में रहने वाले लोगों से घिरा रहना उन्हें पसंद है। प्रदेश अध्यक्ष किस कदर बैठकबाजी वाली संस्कृति पोषित कर रहे हैं उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अभी तक उन्होंने किसी जिले का न तो दौरा किया और न ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में शरीक हुए हैं।
तेजप्रताप काफी मुखर होकर सार्वजनिक तौर पर इनका कई बार विरोध कर चुके हैं। इसलिए इनको और पार्टी के अंदर इनके चाहने वाले लोगों को वह रास नहीं आ रहे हैं। पार्टी से जुड़े पुराने लोगों में यह आम धारणा है कि यह सबकुछ पार्टी में सक्रिय एक कॉरपोरेटवादी लॉबी द्वारा पार्टी पर कब्जा करने की साजिश के तहत किया जा रहा है। और यही लॉबी पार्टी में कॉरपोरेट कल्चर को व्यवस्थित तरीके से स्थापित कर रही है। पार्टी की कार्यप्रणाली पर कॉरपोरेट शैली का प्रभाव स्पष्टरूप से देखा जा सकता है।
कॉरपोरेटवादियों को क्यों चुभते हैं तेजप्रताप
राजद के 25 वें स्थापना दिवस के अवसर पर तेज प्रताप यादव ने पार्टी कार्यालय में महिलाओ के बैठने की व्यवस्था के मुद्दे को बड़ी बेबाकी से उठाया था। पार्टी के अंदर महिलाओं की समस्याओं को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जगदानंद सिंह कभी भी समझने के लिए तैयार नहीं थे। उनको इस बात का अहसास है कि तेजप्रताप एक बेहतर संगठनकर्ता है और लोगों के साथ सीधा संबंध स्थापित करने की कला भी उन्हें खूब आती है और उनकी बेबाकी की वजह से लोग उनके सामने किसी भी तरह की गड़बड़ी करने से घबड़ाते भी हैं। पार्टी में सक्रिय कॉरपोरेटवादियों को इस बात की आशंका है कि पार्टी के अंतर यदि तेजप्रताप की ताकत बढ़ती है तो उनकी परेशानी भी पढ़ जाएगी। इसलिए उनकी रणनीति हमेशा तेजप्रताप को पीछे धकेल कर तेजस्वी यादव को आगे करने की होती है। अब इस लॉबी की नजर अध्यक्ष पद पर टिकी हुई है। तेजस्वी को अध्यक्ष बनाकर यह लॉबी विधिवत पूरी तरह से पार्टी को अपनी गिरफ्त में लेने की रणनीति पर चल रही है। इस लॉबी द्वारा व्यवस्थित तरीके से यह प्रचार किया जा रहा है कि राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर तेजस्वी की ताजपोशी बस समय की बात है। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि तेजस्वी की ताजपोशी के बाद यह लॉबी तेजप्रताप को पार्टी से बाहर निकालने की रणनीति पर अमल करना शुरू कर सकती है। जिस तरह से तेपप्रताप बिहार में कोरना और बाढ़ के दौरान लगातार सक्रिय रहे हैं, अस्पतालों और बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करते रहे हैं उससे इस लॉबी से ताल्लुक रखने वाले लोगों के कान खड़े हैं। तेजस्वी कोराना काल में लगातार बिहार से लापता रहे हैं और अब बाढ़ भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। इस दौरान उनकी सक्रियता सिर्फ सोशल मीडिया पर देखी गई है, जबकि तेजप्रताप पूरी मजबूती से संकट इस घड़ी में लोगों के साथ खड़े दिखें। इसलिए वह कॉरपोरेटवादियों की आंखों में और ज्यादा चुभ रहे हैं।
क्या लालू वाकिफ है पार्टी की जमीनी हकीकत से ?
अभी सबसे अहम सवाल यह है कि क्या लालू यादव पार्टी में चलने वाली इस साजिश से वाकिफ हैं? इस सवाल का स्पष्ट जवान उन्हीं के पास होगा। लेकिन जिस तरह से पार्टी के रजत जयंती समारोह में तेजप्रताप का पूरा भाषण सुनने के बाद उन्होंने खुलकर कहा था कि उनका बड़ा बेटा भी काफी बुद्धिमान है मायने रखता है। तेजप्रताप की नीयत और काबिलियत पर उन्हें कोई शक नहीं है। उन्हें पता है कि जरूरत पड़ने पर वह पार्टी को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं। शायद यही बात पार्टी में सक्रिय कॉरपोरेटवादियों को खटक रही है और वह जल्द से जल्द तेजस्वी की ताजपोशी चाह रहे हैं।