पटना। बिहार में सबसे शक्तिशाली सियासी फैमिली के छोटे बेटे व नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री पद के प्रबल उम्मीदवार की गुपचुप शादी चौंकाने वाली है। वह इसलिए कि अब तक लालू यादव और राबड़ी देवी के बेटे और बेटियों की शादी धूमधाम से होती रही है। आलिशान तरीके से की जाने वाली अपने बच्चों की शादियों के जरिये लालू यादव अपने समाज को अपने साथ मजबूती से जोड़ते हुए सियासी ताकत हासिल करते रहे हैं। इनके बच्चों की शादियों की धमक एक महीना पहले से ही पटना सहित पूरे बिहार में महसूस देती थी। अब क्या वजह हुई कि बिहार के सबसे शक्तिशाली परिवार के सबसे होनहार बैचलर तेजस्वी यादव की शादी सबसे नजरें चुरा करके दिल्ली में की जा रही है, और वह भी बाउंसरों के सख्त पहरे के बीच में?

इस अचंभित करने वाली शादी का साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है। इस शादी की जानकारी आरजेडी के कद्दावार नेताओं को अंत समय तक नहीं हुई। उन्हें न्यौता तक नहीं मिला। आरजेडी के प्रमुख प्रवक्ताओं सहित कई कद्दावार नेता इस संबंध में पूछे जाने वाले सवालों से बचने के लिए फोन बंद करके बैठे हुए हैं। शायद उन्हें इस बात को लेकर शर्मिंदगी का अहसास हो रहा है कि अपने प्यारे नेता की शादी में उन्हें पूछा तक नहीं गया।

कहा तो यही जा रहा है कि यह बचपन का प्यार था जो धीरे धीरे परवान चढ़ता रहा और इस मुकाम तक पहुंच गया। कई मौके पर तेजस्वी यही संदेश दे चुके थे कि वह एक होनहार बेटा है और अपने मां-पिता के इच्छानुसार ही शादी करेंगे। लेकिन लगता है अंत समय में अनारकली की मुहब्बत में गिरफ्तार सलीम की तरह उन्होंने अपनी निजी पंसद को ही तरजीह दी और उनके पारंपरिक माता पिता को भी उनकी मन पसंद दुल्हन को स्वीकार करने के लिए बाध्य होना पड़ा। इतना तो तय है कि उनका प्यार आजमाइशों से होकर ही अंजाम तक पहुंचा है।

तेजस्वी यादव को उनका प्यार तो मिल गया लेकिन क्या अब उन्हें उनके समर्थक उनकी पत्नी के साथ पूरी तरह से स्वीकार करने की मानसिकता में है, खासकर तब जब आरजेडी के नेताओं को पूछा तक नहीं गया है? उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव की शादी के बिगड़ने के बाद से ही यादवों के एक तबके में लालू परिवार को लेकर तीखी प्रतिक्रिया है। शादी के बाद छुट्टा छुट्टी और मुकदमेबाजी की संस्कृति यादव समुदाय में लगभग न के बराबर है। अपनी पत्नी से दूरी बनाने की कीमत तेजप्रताप यादव को चुकानी भी पड़ रही है। इसे लेकर उन्हें सोशल मीडिया पर लगातार ट्रोल किया जाता रहा है।

एक शक्तिशाली यादव परिवार में तेजप्रताप यादव की शादी का उद्देश्य कहीं न कहीं बिहार में लालू परिवार की सियासी जमीन को और मजबूत करना भी था। लेकिन यह शादी सफल नहीं हो सका और जबरन अपने बहू एश्वर्या को घर से निकालने जाने की वजह से राबड़ी देवी की भी किरकिरी हुई। अब इसी का लाभ तेजस्वी यादव को मिल रहा है। उनके पास अपने बड़े भाई के उदाहरण के साथ ठोस तर्क था कि जाति और परिवार देखकर की गई शादी जरूरी नहीं है कि सफल ही हो। इस लिहाज से उन्हें मनपसंद दुल्हनियां चुनने की पूरी छूट मिलनी चाहिए। रही बात सियासत की तो उन्होंने अपनी सियासी जमीन इतनी मजबूत कर ली है कि किसी दूसरे राज्य में दूसरी जाति या मजहब की लड़की से शादी करने की वजह से उनकी सियासी जमीन नहीं खिसकेगी। उनके समर्थक इस शादी को सहजता से स्वीकार कर लेंगे।

उनकी दुल्हनिया के बारे में कई तरह की बातें की जा रही हैं। कहा जा रहा है कि  दिल्‍ली के फ्रेंड्स कालोनी की रहने वाली है और उसका नाम राशेल   है। दोनों आरकेपुरम स्थित डीपीएस में साथ पढ़ते थे। वहीं प्‍यार हुआ। वह एयर होस्टेस के तौर पर भी काम कर चुकी है। तेजस्वी यादव और उनकी होने वाली दुल्हन की दोस्ती 7 साल पुरानी है। वह चंडीगढ़ के व्यवसायी की बेटी हैं और हरियाणा की रहने वाली हैं। उनका धर्म परिवर्तन को लेकर भी बातें हो रही हैं। आरजेडी के खेमे में कुछ परंपरावादी नेता यह सवाल भी उठाने लगे हैं कि कौन सी जाति से आती है दुल्हन और किन परिस्थितियों में धर्म परिवर्तन किया ? क्या इन्हीं बातों को छुपाने के लिए आरजेडी के लोगों को इस शादी से दूर रखा गया है? जानकारी के मुताबिक लड़की का नाम राशेल है जो अब राजेश्वरी यादव हो गई है।

तेजस्वी के विरोधी पहले से ही यह आरोप लगाते रहे हैं उनका अधिकतर समय दिल्ली में ही व्यतीत होता है। यहां तक कि संकट के समय में भी वह गायब रहते हैं। अब शायद तेजस्वी पर हमला करने का उन्हें एक और हथियार मिल जाएगा।

वैसे इस जटिल दौर में क्रांतिकारी कदम उठाने के लिए तेजस्वी यादव को बधाई के साथ साथ शाबसी भी मिलनी चाहिए।

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