पटना में ठंड और अपराध से लड़ने की पुख्ता व्यवस्था नहीं
ठंड ने पटना को भी अपनी चपेट में ले लिया है लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से ठंड से लड़ने की कोई पुख्ता व्यवस्था नजर नहीं आ रही है। रात में रैनबसेरा में सोने वाले लोगों की कंपकंपी छुटने लगी है, सड़को पर रात गुजारने वाले लोग भी बेहाल दिख रहे हैं। स्टेशन पर महावीर मंदिर के सामने बैठने वाले भीखमेंगों की परेशानी भी बढ़ गई है।
इस बढ़ते ठंड का दूसरा पहलू भी है। गांजे और शराब की बिक्री बढ़ गई है। शराब की दुकानों पर अच्छी खासी भीड़ देखी जा रही है। लोग दबाकर पी रहे हैं, और देर रात तक पी रहे हैं। वैसे प्याज की कीमत में उछाल आने के कारण लोग लोग मुर्गा खरीदने से परहेज कर रहे हैं, लेकिन होटलों में बने बनाये मुर्गे को छककर उड़ाने से नहीं चूक रहे हैं. क्रिसमस के बाद से पटना वासियों के दिलों दिमाग पर नववर्ष की खुमारी चढ़ने लगी है।
ठंड में अपराध की आशंका भी बढ़ गई है। पिछले कुछ दिनों से पटना में जिस पैटर्न पर अपराध हो रहे हैं उसे देखकर कहा जा सकता है कि अपराधियों पर पूरी तरह से नकेल कसने में पुलिस सक्षम नहीं है। हालांकि अपराध के बाद अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की फुर्ती देखते ही बनती है। ठंडे में डकैती खूब होती है। जाड़े की रात में डकैतों के लिए किसी के घर में घुसकर लुटपाट करना आसान होता है। पटना में इस तरह की एक दो घटनाएं घट चुकी है, और इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है। एक जगह तो पहचाने जाने की भय से गृहस्वामी की ही हत्या तक कर दी गई। ठंडा में पुलिस के सामने बड़ी चुनौती इस तरह के अपराधों को रोकना है।