प्रत्येक साल एक पेड़ जरूर लगाएं : आर. के अग्रवाल

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तेवरआनलाईन, हाजीपुर

वैदिक साहित्य में एक वृक्ष को सौ पुत्रों के बराबर माना गया है। पर्यावरण की रक्षा के लिए भी वृक्षारोपण जरुरी है। इसीलिए हमें प्रत्येक साल कम से कम एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए और फिर उसकी रक्षा करनी चाहिए। ये बातें सोनपुर के मंडल रेल प्रबंधक श्री आर.के. अग्रवाल ने रेलवे स्टेडियम में वृक्षारोपण कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कही। इस अवसर पर उन्होने पूर्व मघ्य रेल महिला कल्याण संगठन की सोनपुर शाखा की अघ्यक्षा श्रीमती कल्पना अग्रवाल एवं अन्य अधिकारियों के साथ रेलवे स्टेडियम में मौलश्री, कचनार, गुलमोहर, अमलतास तथा पाम के 132 पेड़ लगाए। मंडल रेल प्रबंधक श्री अग्रवाल ने बताया कि सोनपुर मंडल में वृक्षारापण अभियान के तहत इस वर्ष 10000 पेड़ लगाए जाने की योजना बनाई गई है। ये पेड़ सोनपुर के अलावा हाजीपुर, बरौनी, मुजफ्फरपुर, खगड़िया, मानसी, नौगछिया तथा बेगुसराय में रेलवे की खाली जमीन पर लगाए जाएंगे। इसके अलावा हाजीपुर-बरौनी रेलवे लाइन तथा मुजफ्फरपुर-बरौनी रेलवे लाइन के बगल में रेलवे की खाली जमीन पर भी पेड़ लगाए जाएंगे।

वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत के अवसर पर सोनपुर के वरिष्ठ मंडल अभियंता/समन्वय श्री एस.के. गुप्ता, वरिष्ठ मंडल अभियंता/द्वितीय श्री महबूब आलम, मंडल अभियंता/विशेष श्री पी आर सिंह, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक श्री विनीत कुमार, वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी श्री एम के गुप्ता, वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त श्री महेश्वर सिंह, वरिष्ठ मंडल यांत्रिक अभियंता श्री दिलीप कुमार, वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता श्री वी पी शर्मा सहित अनेक कर्मचारियों ने वृक्षारोपण किया। वृक्षारोपण के बाद मंडल रेल प्रबंध्क श्री आर.के. अग्रवाल ने लोगों से अपील की कि वे स्टेडियम में लगाए गए पेड़ों की रक्षा करें।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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