लिटरेचर लव

भारतीय कोशकारिता में तीन परिवर्तनकारी क़दम !

अरविंद कुमार ने अभी अभी भारतीय कोशकारिता में तीन परिवर्तनकारी क़दम उठाए हैँ.

शुरू से ही कुछ नया करते रहने की उन की आदत पुरानी है. सरिता-कैरेवान में थे, तो हिंदी में थिसारस की चाहत, आकांक्षा, कामना, ख़्वाहिश उन के मन में जागी. वहीँ उन्होँ ने हिंदी में इंग्लिश के आयंबिक पैंटामीटर और ब्लैंक वर्स (अतुकांत) छंद में हिंदी कविता का सूत्रपात किया और पूरे हिंदी जगत में तहलक़ा मचा दिया. माधुरी में रहे तो फ़िल्मपत्रकारिता के नए आयाम खोले – किसी लोकप्रिय फ़िल्म पत्रिका को कला और साहित्य का संगम बनाया.

और फिर एक दिन…

मुंबई के मायाजाल को तिलांजलि दे ​कर अपने बलबूते पर हिंदी का पहला थिसारस बनाने की उन्माद तक पहुँची धुन​ मेँ दिल्ली (माडल टाउन) – गाज़ियाबाद (चंद्रनगर) चले आए. बरसोँ लगे रहे. तिरेसठ साल की उमर में कंप्यूटर-कुशल बन गए. बेटे सुमीत की बनाई कंप्यूटर ऐप्लिकेशन पर लगभग साढ़े चार लाख अभिव्यक्तियोँ का संदर्भ क्रम पर आधारित डाटा बेस बनाने में जुट गए. परिस्थितिवश यह काम बेंगलूरु (एअरपोर्ट रोड) जा पहुँचा. और वहीँ 1996 में पूरा हुआ तथा समांतर कोश के रूप में फलीभूत हुआ.

कोई और होता तो समांतर कोश को मिलीवाहवाही से संतुष्ट हो जाता और हिंदी मेँ अपना अलग मठ खोल कर नेतागीरी करने लगता. लेकिन अरविंद के लिए तो बस काम ही काम है. अब उन्होँने अपने हिंदी डाटा में इंग्लिश पिरोनी शुरू कर दी. परिणाम हुआ 2007 में छपा तीन खंडोँ का महाग्रंथदपेंगुइनइंग्लिश-हिंदी/हिंदी-इंग्लिशथिसारसऐंडडिक्शनरी–संसार का सब से बड़ा द्विभाषी थिसारस-कोश. (यह ग्रंथ प्रकाशित तो पेंगुइन इंडिया ने किया था, लेकिन अब अरविंद की अपनी कंपनी अरविंद लिंग्विस्टिक्स प्रा लि ने इस के सर्वाधिकार और सभी प्रतियाँ अपने अधीन कर ली हैँ. उन की बेटी मीता लाल इस की बिकरी तथा वितरण का काम सँभाल रही है.)

काम यहाँ भी नहीँ रुका. अब अपने द्विभाषी कोश को इंटरनैट पर डालने का काम शुरू किया गया. अब अरविंद लैक्सिकन नाम से उन का द्विभाषी हिंदी-इंग्लिश कोश अब उनकी अपनी साइट पर उपलब्ध है –www.arvindlexicon.com. जो लोग देवनागरी लिपि पढ़ नहीँ सकते या उस में टाइप नहीँ कर सकते, उन के लिए हिंदी शब्दोँ के रोमन लिपि रूप भी उपलब्ध हैं. इस की सहायता से दुनिया भर में फैले दूसरी पीढ़ी के भारतवंशी हिंदी से जुड़ सकेंगे.

बात अब यहाँ भी नहीँ रुकी. अब एक साथ तीन धमाके कर रहे हैँ अरविंद कुमार.

1.  किसी भी भारतीय द्विभाषी कोश के लिए पहली बार उन की टीम ने तैयार किया है – विज़ुअल थिसारस. यानी किसी एक शब्दकोटि के पूरे डाटाबेस में भाषाई संदर्भों का सचित्र ब्योरा.

2.  इंटरनैट पर सामग्री पढ़ते पढ़ते अकसर हम किसी शब्द को समझना चाहते हैं या इंग्लिश शब्द के हिंदी अर्थ या हिंदी के इंग्लिश अर्थ जानना चाहते हैं. अब तक संसार की किसी भी भाषा का कोई भी कोश यह सुविधा प्रदान नहीँ करता कि ऐसे शब्द को कोश में तत्काल देखा जा सके. यह सुविधा प्रदान करता है अरविंद लैक्सिकन – उन सभी के लिए जो उस के पंजीकृत सदस्य बन चुके हैं. पंजीकरण पूरी तरह निश्शुल्क है.

3.  समांतर कोश का पहला सैट दिसंबर 1996 को तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर शंकर दयाल शर्मा को भेंट किया गया था. तब से अब तक उस का कोई परिवर्धित और अपटुडेट संस्करण नहीं आया था. अब अरविंद जी ने तैयार कर लिया है – समांतर बृहत् कोश. शीघ्र ही इस के प्रकाशन की भी संभावना है.

यह है 83-वर्षीय शब्दसारथी और करामाती कोशकार अरविंद की जिजीविषा का अनुपम उदाहरण!

दयानंद पांडेय

अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फ़त लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर ज़िले के एक गांव बैदौली में हुआ। हिंदी में एम.ए. करने के पहले ही से वह पत्रकारिता में आ गए। वर्ष 1978 से पत्रकारिता। उन के उपन्यास और कहानियों आदि की कोई 26 पुस्तकें प्रकाशित हैं। लोक कवि अब गाते नहीं पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद सम्मान, कहानी संग्रह ‘एक जीनियस की विवादास्पद मौत’ पर यशपाल सम्मान तथा फ़ेसबुक में फंसे चेहरे पर सर्जना सम्मान। लोक कवि अब गाते नहीं का भोजपुरी अनुवाद डा. ओम प्रकाश सिंह द्वारा अंजोरिया पर प्रकाशित। बड़की दी का यक्ष प्रश्न का अंगरेजी में, बर्फ़ में फंसी मछली का पंजाबी में और मन्ना जल्दी आना का उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। बांसगांव की मुनमुन, वे जो हारे हुए, हारमोनियम के हज़ार टुकड़े, लोक कवि अब गाते नहीं, अपने-अपने युद्ध, दरकते दरवाज़े, जाने-अनजाने पुल (उपन्यास),सात प्रेम कहानियां, ग्यारह पारिवारिक कहानियां, ग्यारह प्रतिनिधि कहानियां, बर्फ़ में फंसी मछली, सुमि का स्पेस, एक जीनियस की विवादास्पद मौत, सुंदर लड़कियों वाला शहर, बड़की दी का यक्ष प्रश्न, संवाद (कहानी संग्रह), कुछ मुलाकातें, कुछ बातें [सिनेमा, साहित्य, संगीत और कला क्षेत्र के लोगों के इंटरव्यू] यादों का मधुबन (संस्मरण), मीडिया तो अब काले धन की गोद में [लेखों का संग्रह], एक जनांदोलन के गर्भपात की त्रासदी [ राजनीतिक लेखों का संग्रह], सिनेमा-सिनेमा [फ़िल्मी लेख और इंटरव्यू], सूरज का शिकारी (बच्चों की कहानियां), प्रेमचंद व्यक्तित्व और रचना दृष्टि (संपादित) तथा सुनील गावस्कर की प्रसिद्ध किताब ‘माई आइडल्स’ का हिंदी अनुवाद ‘मेरे प्रिय खिलाड़ी’ नाम से तथा पॉलिन कोलर की 'आई वाज़ हिटलर्स मेड' के हिंदी अनुवाद 'मैं हिटलर की दासी थी' का संपादन प्रकाशित। सरोकारनामा ब्लाग sarokarnama.blogspot.in वेबसाइट: sarokarnama.com संपर्क : 5/7, डालीबाग आफ़िसर्स कालोनी, लखनऊ- 226001 0522-2207728 09335233424 09415130127 dayanand.pandey@yahoo.com dayanand.pandey.novelist@gmail.com Email ThisBlogThis!Share to TwitterShare to FacebookShare to Pinterest

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